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September 11, 2025

युवा कवि सुरेन्द्र प्रजापति की कविता-मत देना बरदान मुझे

युवा कवि सुरेन्द्र प्रजापति की कविता-मत देना बरदान मुझे।

मत देना वरदान मुझे

मैं रोऊँगा, चिल्लाऊंगा
निज किस्मत को गोहराउंगा,
संतप्त वेदना में तपकर
अपना संघर्ष लुटाऊँगा।
पग-पग पर ठोकर खाकर भी
जीवन पर है अभिमान मुझे
मत देना वरदान मुझे।

मिट जाऊँगा, मर जाऊँगा
गिरूंगा कभी, सम्हल जाऊँगा,
अपनी मस्त निराली कुटिया
सुखद स्मृति से भर जाऊँगा।
टूटी हुई प्राचीर प्रहर में
बुलाता बिसुरा गान मुझे
मत देना वरदान मुझे।

हार गया परवाह ही क्या?
जीवन संग्राम ठहराव नहीं,
पराजय से भयभीत न हूँ
यह है अंतिम पड़ाव नहीं।
मैं पीड़ा में जीने वाला
मर कर करना प्रस्थान मुझे
मत देना वरदान मुझे।

मैं दीन, लघुता में पलता
तुम सभ्य समाज में जीनेवाला,
कठिन कंटक से भरा मेरा पथ
वेदना का विष पीने वाला।
दो बेड़ियाँ, जंजीरों में बाँधो
दो यातना या अभयदान मुझे
मत देना वरदान मुझे।

चाहो तो अंतर में ज्वाला देना
तेज अभिशाप का हाला देना,
अपनी सभी-सभी बंदिशों का
तल्ख जहर का प्याला देना।
जीतो-जीतो तुम, मुझे हार कर
लाना है अटल मुस्कान मुझे
मत देना वरदान मुझे।

आए विपदा बाधा बनकर
रोके मार्ग चाहे सिंधु तनकर
नियति तेज गरल दे पीने को
पी लूँगा मैं, हंस-हंस कर
विजित उपलब्धियां पा लूँगा
है सामर्थ का ज्ञान मुझे
मत देना वरदान मुझे

नहीं चाहिए मुझे महल का
मिथ्या शान, ऐश्वर्य सुख
बाधाओं का आखेट करूँगा
नमन प्रकृति का संचित दुःख
कुछ करतब तो दिखा विश्व को
तोड़ना है प्रपंच, का मान मुझे
मत देना वरदान मुझे

मैं मरुस्थल में चल लूंगा
डगमग पैरों को बल दूंगा
यदि मृत्यु को भी प्यास लगे
चिर धरा को, जल दूंगा
करना न संताप, यंत्रणा
है गौरव का अभिमान मुझे
मत देना वरदान मुझे

कवि का परिचय
नाम-सुरेन्द्र प्रजापति
पता -गाँव असनी, पोस्ट-बलिया, थाना-गुरारू
तहसील टेकारी, जिला गया, बिहार।
मोबाइल न० 6261821603, 9006248245

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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