कवि एवं चित्रकार रजनीश शर्मा की कविता-वक्त गुजर जाएगा

वक्त गुजर जाएगा
आज जो गुजर रहा तेरे सामने कल हो जाएगा
होंसलों में फूंक भर मुमकिन है संवर जाएगा
लगे पड़े है सब यूं ही की काश कल संवर जाए
मुसीबतों की आंधी मै कहीं न सब बिखर जाए
ज़िन्दगी की दौड़ में क्या क्या न छूट जाएगा
जो पास है तू समेट ले यही है जो काम आएगा
न फिक्र में तू घुल इतना कि वजूद तेरा मिट जाए
पंखों को फैला ज़रा कि एक उड़ान फिर हो जाए
ज़िन्दगी एक दांव है इस दांव को तू सीख ले
होगी फतह विश्वाश रख ये बात मन में ठान ले
कितनी भी स्याह ये रात हो दिन तो निकल जाएगा
मन में हार का डर न कर ये वक्त भी टल आएगा
जो बीत गया वो बात गई उस बात को तू भूल जा
आने वाले की कद्र कर गले लगा और प्यार कर
ज़िन्दगी को समझ ज़रा न परखने की कोशिश तू कर
हाथ न कुछ आएगा ये वक्त भी बीत जाएगा
कवि का परिचय
रजनीश शर्मा देहरादून में डाकपत्थर के मूल निवासी हैं। शिक्षा के बाद वह नौकरी के लिए मेरठ चले गए। वहां उन्होंने पेपर मिल में नौकरी की। इसके बाद नौकरी छोड़कर उन्होंने पेपर ट्रडिंग का व्यवसाय किया। खाली समय में शौक में वह पेंटिंग करने लगे। सफल बिजनेसमैन के साथ ही उन्होंने कलाकार के रूप में पहचान बनाई। उनकी पेंटिंग में पकड़ इतनी मजबूत होने लगी कि अब लोग उनके घर आकर पेंटिंग भी खरीदकर ले जाने लगे। उनकी पेंटिंग में लोगों की भावनाएं उजागर होती हैं और वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप कलाकारी भी। वह मेरठ में मवाना रोड स्थित गंगा सागर में रहते हैं।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
उम्दा रचना, बहुत बहुत धन्यवाद
Proud of you both the jija’s…. one is painter and poet and 2nd is honest journalist.