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March 11, 2025

उत्तराखंड में भी लग सकता है नाइट कर्फ्यू, सीएम ने दिए संकेत, दिन में ही नियमों का करा लो पालन, ये हो सकता है समाधान

जिस तेजी से कोरोना ने फिर से हमला कर दिया है, इसे लेकर नियमों में सख्ती के साथ ही देश के कई राज्य नाइट कर्फ्यू की ओर बढ़ रहे हैं। उत्तराखंड में भी नाइट कर्फ्यू का फैसला लिया जा सकता है।

जिस तेजी से कोरोना ने फिर से हमला कर दिया है, इसे लेकर नियमों में सख्ती के साथ ही देश के कई राज्य नाइट कर्फ्यू की ओर बढ़ रहे हैं। उत्तराखंड में भी नाइट कर्फ्यू का फैसला लिया जा सकता है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इसके संकेत दिए हैं। साथ ही कहा कि आज शुक्रवार की शाम को कैबिनेट की बैठक में ही इस संबंध में चर्चा के बाद फैसला होगा।
नाइट कर्फ्यू को लेकर सवाल
नाइट कर्फ्यू को लेकर एक सवाल तो ये ही उठता है कि क्या ये कोरोना को नियंत्रित करने का समाधान है। इसके विपरीत दिन में बाजारों में भीड़ जमा हो रही है। धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में दिन में ही लोग बगैर मास्क के नजर आ रहे हैं। प्रभावशाली लोग ही कोरोना के नियमों का पालन नहीं करेंगे तो नाइट कर्फ्यू से कोरोना कैसे थमेगा। वैसे ही उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्र में लोग भले ही रात को होटल आदि में निकलते हों, लेकिन पर्वतीय क्षेत्र में तो शाम सात या आठ बजे से कर्फ्यू वाली स्थिति रहती है। लोग घरों में रहते हैं।
पहाड़ों में तो रात आठ बजे से हो जाता है नाइट कर्फ्यू
देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, नैनीताल जिलों में जरूर रात को लोग बाहर दिख सकते हैं। ऐसे में नाइट कर्फ्यू का असर होटल, रेस्टोरेंट के संचालकों पर ही पड़ेगा। ये कोई बेहतर समाधान नहीं है।
ये है एकमात्र समाधान
समाधान तो ये है कि सभी कार्यक्रमों में लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और मास्क लगाकर रखें। ऐसा नहीं हो रहा है। न तो मास्क लगाए जा रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन हो रहा है। दुकानों के आगे से गोले भी गायब हो चुके हैं, जो कोरोनाकाल की शुरूआत में बनाए गए थे।
बनाए जा सकते हैं छोटे कंटेनमेंट जोन
हां इतना जरूर है कि जहां कोरोना के संक्रमित मिले, उस घर या फिर उस छोटे क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन बयाया जा सकता है। ट्रेसिंग करके ऐसे लोगों के संपर्क में आए लोगों को भी घरों पर रहने की व्यवस्था हो। इस पर सख्ती होनी चाहिए। ताकि कोरोना का फैलाव रुक सके।

राजनीतिक व समाजिक कार्यक्रमों के लिए बनें नियम
राजनीतिक सभाओं के साथ ही सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों के लिए नियम जरूरी हैं। यदि मुख्य अतिथि या बड़ा नेता खुद मास्क लगाकर लोगों को संबोधित करेगा तो उसे सुनने वाले भी मास्क लगाएंगे। वह कार्यक्रम में लोगों से मास्क पहनने की अपील भी कर सकता है। मास्क न लगाने वालों को टोक भी सकता है। ऐसा नहीं हो रहा है। सभी कार्यक्रम में ऐसे लोगों की संख्या काफी मिल जाएगी, जहां न तो अतिथि मास्क लगा रहे हैं और न ही उपस्थित लोग। राजनीतिक रैलियों में पहुंचने वाले लोगों को मास्क भी बांटे जा सकते हैं। साथ ही मंच से अपील की जा सकती है कि पहले सभी मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। यहां तो सभी को वोट दिख रहे हैं और नियम हवा हो रहे हैं।
सीएम ने दिए ये संकेत
शुक्रवार को अपने जन्मदिन पर देहरादून के बाल बनिता आश्रम पहुंचे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मीडिया कर्मियों से अनौपचारिक बातचीत में नाइट कर्फ्यू के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार पूरी तरह सजग है। उन्होंने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर राज्य में नाइट कर्फ्यू के सिलसिले में आज शाम होने वाली कैबिनेट की बैठक में चर्चा कर फैसला लिया जाएगा।
सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण से अधिक प्रभावित 12 राज्यों से उत्तराखंड आने के लिए आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट को अनिवार्य किया गया है। राज्य में लाकडाउन की स्थिति न आए, इसके लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। 45 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों के टीकाकरण को जोर-शोर से अभियान चल रहा है। केंद्र सरकार इसमें पूरा सहयोग कर रही है। राज्य में रिकवरी रेट भी बेहतर है। सुरक्षित शारीरिक दूरी, मास्क का प्रयोग, बार-बार हाथ धोने अथवा सैनिटाइजेशन के लिए कदम उठाए गए हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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