तीरथ के आगाज़ से टूटा त्रिवेंद्र का सपना, 9 अप्रैल जन्मदिवस पर विशेषः भूपत सिंह बिष्ट
अब राजनीति में सब के सपने सच नहीं होते। बड़े अरमानों से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चार साल पूरे करने का रिकार्ड बनाने का त्रिवेंद्र सिंह रावत का सपना महज नौ दिन पहले जब आला कमान ने चूर कर दिया तो विधायकों की शक्ति और एका का महत्व रेखांकित हो गया। त्रिवेंद्र सिंह रावत विधानसभा के बजट सत्र के दौरान घटे इस ड्रामे पर कुछ भी कह नहीं पाये।
हरिद्वार कुंभ में छलक रहा अमृत
हरिद्वार महाकुंभ पर्व में इस बार 11 साल बाद अमृत छलक रहा है और उत्तराखंड का सबसे सरल, शांत, सुलभ और सादगी भरा चेहरा तीरथ सिंह रावत अब इस अमृत क्लश आयोजन के लिए देश – विदेश के नागरिकों को पावन गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आमंत्रित कर रहा है।
कोरोना काल में तमाम सुरक्षा उपाय लिए अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोती युवाओं की अपार भीड़ पूरे उमंग और उत्साह के साथ कुंभनगरी हरिद्वार पहुंच रही है। यह एक चमत्कार से कम नहीं है कि भाजपा की हाईकमान ने त्रिवेंद्र जैसे एटीटयूट वाले नेता के विकल्प में पहाड़ के सबसे सौम्य राजनीतिक चेहरे को तरजीह दी है।
तीसरी विधानसभा दलबदल का काला इतिहास
कांग्रेसियों की तिकड़म और सत्ता लोलुपता ने तीसरी विधानसभा को दलबदल का काला इतिहास बना दिया। पूरी कैबिनेट में इस तरह अफरा तफरी मची। ठीक बजट सत्र के मध्य हरीश रावत जैसे चाणक्य हरक सिंह, सुबोध उनियाल, विजय बहुगुणा और सतपाल महाराज के आगे विवश साबित हुए। पता नहीं चला कि बजट सरकार गिराने के हो – हल्ले में कैसे पास हो गया।
पहाड़ के विधायक और मंत्री पांच सितारा होटल में चार्टेड हवाई जहाज में रातो रात उड़कर टूरिस्ट बन गए और देवभूमि उत्तराखंड ने नेताओं को गर्त में जाते खुली आंखों और टीवी कैमरों के आगे देखा। हरीश रावत अपनी सरकार बचाने के लिए कैमरे के आगे सौदे बाजी करते नज़र आये और पहाड़ की ईमानदारी का मिथक टूट गया।
कानूनी लड़ाई में हरीश रावत की सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से वापस आ गयी और दल बदल करने वाले कांग्रेसी अब सीधे भाजपा के पाले में खड़े नज़र आये।
चौथी विधानसभा चुनाव में कटा था टिकट
चौथी विधानसभा के लिए 2017 में सतपाल महाराज ने चैबटाखाल से भाजपा के सीटिंग विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत का टिकट हथियाने में कामयाबी हासिल की तो लगा कि राजनीति अब मूल्यों से बहुत दूर जा चुकी है। वर्ष 2017 के आमचुनाव में भाजपा ने 70 में से 57 सीट जीतकर प्रचंड बहुमत की सरकार त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में बनायी। कांग्रेस का सफाया, कांग्रेसी महारथियों ने ही कर दिया।
कहते हैं ना कि घर को आग लग गई, घर के चिराग से। कांग्रेसी नेताओं और सरकारों का दरकना उत्तराखंड के अलावा देश के अन्य उत्तर, दक्षिण, पूर्व व पश्चिम भागों में देखने को मिला। कांग्रेस मुक्त भारत का नारा फलीभूत होने लगा था।
त्रिवेंद्र की विदाई के साथ अनूठा कीर्तिमान
उत्तराखंड में भाजपा सरकार के चार साल पूरे होने से ठीक नौ दिन पहले त्रिवेंद्र रावत की विदाई और तीरथ रावत की ताजपोशी ने चौथी विधानसभा में अनूठा कीर्तिमान बनाया है। सतपाल महाराज भले ही चैबटाखाल से तीरथ रावत का टिकट कटवाने में तब सफल रहे, लेकिन आज तीरथ सिंह रावत की कैबिनेट में मातहद मंत्री बनकर निचली पायदान पर ही खड़े हैं।
राजनीतिक सफर
तीरथ सिंह रावत का राजनीतिक सफर आज सब गौर से पढ़ना चाहते हैं, लेकिन उनके बीच एक सादा सरल चेहरा आरएसएस का तहसील प्रचारक, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में पूर्णकालिक राष्ट्रीय मंत्री पद पर रहा। भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा में उमा भारती के साथ राष्ट्रीय पदाधिकारी रहे। उत्तरनप्रदेश के सर्वोच्च सदन विधान परिषद में विधायक बने और विभिन्न संवैधानिक कमेटियों में शिरकत की।
वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने पर शिक्षा मंत्री, निर्वाचन, कारागार और अन्य विभागों में मंत्री, प्रदेश भाजपा का महामंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, चैबटाखाल का विधायक, अमित शाह की टीम में राष्ट्रीय सचिव, हिमाचल लोकसभा चुनाव का प्रभारी और 2019 में प्रतिष्ठित गढ़वाल लोकसभा सीट को तीन लाख से अधिक वोट के अंतर से जीतकर लोकप्रिय सांसद बने हैं। राजनीति का यह सुहाना सफर उत्तराखंड में किसी अन्य नेता के नसीब में दर्ज नहीं है।
कर्मयोगी योद्धा
तीरथ जी की संवेदना जून 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान पीड़ितों ने निकट से देखी है। केदारघाटी से लेकर सीमांत पिथौरागढ़ की धारचूला और मुनस्यारी तहसील के दूरदराज लोगों के बीच टूटी सड़कों पर अग्रसर यह नेता हैलीकोप्टर के इंतजार में कभी नहीं रूका और ना ही थका है। आम कार्यकर्ता और नागरिक तीरथ को अपना परिवार का सदस्य मानकर मेल मुलाकात करना अपनी शान समझते हैं। दूसरी ओर राजनीति की ए बी सी डी ना जानने वाले और धुरंधर चकड़ैत भी मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को ज्ञान वांचना अपना धर्म समझते है।
9 अप्रैल को अपना सतावनवां जन्मदिवस मना रहे तीरथ सिंह रावत राजनीतिक जीवन में अब सब कुछ पा गए हैं। मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री जैसे गरिमा पद पाकर गढ़वाल के एक सामान्य गांव सीरौं के बालक ने इतिहास रच दिया है और यह रिकार्ड तोड़ना अब आसान नहीं है।
लेखक का परिचय
भूपत सिंह बिष्ट, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
उपल्धियां तो बहुत है पर बोल चाल में कुछ भी बोल कर गुड़ गोबर कर देते हैं