युवा कवि महाबीर सिंह नेगी (दौला) की गढ़वाली कविता-टालु
टालु
कुजणि कख हरचि सु टालु,
जु छोटु भि रौन्दू छौ अर बडु भी
कुजणि कख हरचि सु टालु
जु अगने भी रौन्दू छौ अर पिछने भी ||
काला रंगै पैन्ट पर, सफेद रंगों टालु
अर हरी रंगै कमीज पर, लाल रंगो टालु ||
यू भी गजब कमीनेशन छौ
कैकू छौटु रौन्दू छौ कैकू बडु ||
पर रौन्दू जरूर छौ,
कुजणि कख हरचि सु टालु….,……………
घुनु मा लगया टाला,
ब्वौन्जौ मा लगया टाला |
सैरा गात लगया टाला,
पर व्वी सरम नि छैन ||
सभियौ का लगया टाला,
यू भि कपडा चलौणा इक सौलूसन छौ
कुजणि कख हरचि सु टालु……
कवि का परिचय
नाम- महाबीर सिंह नेगी( दौला)
मूल निवास- ग्राम दौला, पोस्ट कंडारा, जिला रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड। वर्तमान में कवि गुजरात के अहमदाबाद में नौकरी कर रहे हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
का लौंडा की सुंदर यादगार कविता, वाह नेगी जी???????????