उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन की अटकलें, रिपोर्ट लेकर दिल्ली गए पर्यवेक्षक, 48 घंटे के भीतर हो सकती है विधायक दल की बैठक

उत्तराखंड में यदि विपक्ष चाहता तो विधानसभा सत्र में भाजपा की सरकार गिर सकती थी। अफरा तफरी में बजट पारित किया गया। उस दौरान सत्ता पक्ष के मात्र पांच विधायक ही मौजूद थे। वहीं सदन में कांग्रेस के सभी 11 विधायक थे। शायद उन्हें भी ये पता नहीं था कि आखिर भाजपा में क्या पक रहा है।
उत्तराखंड में आज दोपहर से ही राजनीतिक भूचाल छाया रहा। दिन भर राजनीतिक अटकलों का दौर जारी रहा। इसे शाम को प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने विराम लगाने का प्रयास किया, लेकिन भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद से ही कई लोगों के चेहरों पर खुशी साफ झलक रही थी और कई के चेहरों पर मासूसी छा गई थी। इससे साफ है कि अभी अटकलों का दौर समाप्त नहीं हुआ और इस पर फैसला दिल्ली से लिया जाएगा। फिलहाल दो बड़े नेता अपनी रिपोर्ट लेकर दिल्ली चले गए हैं। सूत्र बता रहे हैं कि 48 घंटे के भीतर उत्तराखंड में भाजपा विधायक दल की बैठक होगी। इसमें ही नया नेता चुनने की संभावना है। फिलहाल इसमें अंतिम मोहर दिल्ली से ही लगाई जानी है।
आज अचानक भाजपा की कोर ग्रुप की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक के चलते विधानसभा का बजट सत्र भी बीच में छोड़कर सीएम सहित कोर कमेटी के सदस्य विधायक देहरादून कूच कर गए थे। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा में बजट सत्र को विभागवार चर्चा होनी थी। पहले अफरा तफरी में बजट को पास किया जा रहा था। विपक्ष के हंगामे के चलते कुछ देर चर्चा की गई और आनन फानन बजट पारित कर दिया गया। साथ ही विधानसभा सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। बजट सत्र 10 मार्च तक चलना था।
इसमें भी गौर करने वाली ये बात है कि सदन में वित्त विधेयक पर चर्चा चल रही थी। उस समय भाजपा के अधिकांश विधायक सदन से बाहर जा चुके थे। सदन में भाजपा के पांच विधायक ही थे। बताया जा रहा है कि यदि विपक्ष इस पर वोटिंग का प्रस्ताव लाता तो भाजपा की सरकार गिर सकती थी। पर ऐसा हुआ नहीं और विपक्ष के लोग भी शायद इस बात से खुश थे कि जल्द बजट पारित हो और सब अपने अपने घरों को चले जाएं। भाजपा सरकार के विधायकों ने ऐसा क्यों रिस्क लिया, ये भी सोचने की बात है।
इधर, बीजेपी कोर कमेटी की अचानक बुलाई गई बैठक के बीच ही राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के साथ दिल्ली पार्टी कार्यालय में मुलाकात हुई है। इस बैठक में क्या कुछ चर्चा हुई है, इसको लेकर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है। इस बैठक को लेकर उत्तराखंड की राजनीति में भी चर्चा गरम हो रही है।
इस बीच कोर कमेटी के सदस्य जो भाजपा विधायक भी हैं, देहरादून कूच कर गए थे। इन विधायकों को देहरादून लाने के लिए हेलीकॉप्टर भेजे गए थे। इन विधायकों में विनोद चमोली हेलीकॉप्टर से नहीं आए और वह कार से देहरादून के लिए चले। वहीं, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक तो यूपी के विमान से देहरादून आना था, लेकिन वे देर से देहरादून पहुंचे। वह बैठक में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने जौलीग्रांट एयरपोर्ट में इन पर्यवेक्षक और प्रदेश प्रभारी से भेंट की। उधर, भाजपा के महामंत्री संगठन अजय को भी कोलकाता से विशेष विमान से देहरादून बुलाया गया। इससे संकेत मिल रहे थे कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है।
अब असम चुनाव के लिए लिस्ट फाइनल होते ही भाजपा के पार्लियामेंट्री बोर्ड ने पर्यवेक्षक के रूप में वरिष्ठ भाजपा नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को उत्तराखंड भेजा। उन्होंने कोर ग्रुप की बैठक ली। इससे पहले भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम भी इस बैठक में शामिल होने के लिए पहले ही पहुंच गए थे।
वहीं, ये भी कयास लगाए जा रहे थे कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मंत्रीमंडल का भी विस्तार हो सकता है। इसके तहत पांच विधायकों की लॉटरी लग सकती है। इनमें तीन विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। वहीं, पहले से मंत्री का काम देख रहे दो विधायकों को आगामी चुनाव के मद्देनजर पार्टी में जिम्मेदारी देकर नए विधायकों को उनकी जगह अर्जेस्ट किया जा सकता है। इन कयासों पर ज्यादा दम इसलिए भी नहीं दिखा कि यदि किसी को मंत्री बनाना होता तो उसके लिए पर्यवेक्षक को भेजने की जरूरत नहीं थी।
इस बीच नेता परिवर्तन पर भाजपा सांसद नरेश बंसल का बयान आया कि राज्य में कोई बदलाव होने नहीं जा रहा है। शनिवार की शाम करीब साढ़े चार बजे से शुरू हुई कोर कमेटी की बैठक शाम पौने छह बजे तक चली।
इसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का बड़ा बयान आया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होने जा र हा है।18 मार्च को त्रिवेंद्र सरकार के 4 साल के कार्यकाल पूरे होने पर बैठक में चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि राज्य में कोई विधायकों में मनमुटाव नहीं है। यहां फिर से सवाल भी उठते हैं कि क्या दो नेता यहां आकर चार साल के कार्यकाल की चर्चा करके चले गए। फिर उन्होंने बंद कमरे में अलग अलग नेताओं से बातचीत क्यों की। यदि जश्न मनाना था तो सामूहिक चर्चा हो सकती थी।
वहीं, भाजपा कोर कमेटी की बैठक में पर्यवेक्षक और प्रदेश प्रभारी ने पहले सभी से भेंट की। बैठक शुरू होते ही कुछ ही देर में यानी दस पंद्रह मिनट बाद मुख्यमंत्री बैठक से चले गए। वहीं, कई लोगों के चेहरे उतरे हुए भी देखे गए। इसके बाद पर्यवेक्षक और प्रदेश प्रभारी ने सांसद माला राज्य लक्ष्मी और अन्य बड़े नेताओं से अकेले-अकेले बातचीत की। बातचीत करके एक एक नेता कक्ष से बाहर निकलते गए। इसके बाद विधायकों से भी बातचीत करने का कार्यक्रम तय था, लेकिन उसे स्थगित कर दिया गया। कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी कोर कमेटी की बैठक में शामिल थे।
बैठक के बाद फीडबैक लेकर दोनों नेता संघ कार्यालय भी गए। वहां भी संघ के वरिष्ठ नेताओं से फीडबैक लेकर वे दिल्ली को रवाना हो गए। इससे अभी भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी एक दो दिन के भीतर कुछ भी हो सकता है। भले ही भाजपा के नेता अभी इसे छिपाने में जुटे हैं।
भाजपा में मुख्यमंत्री बदलने की परंपरा उत्तराखंड के गठन से बाद से ही होती रही है। पहले नित्यानंद स्वामी को हटाकर उनके स्थान पर भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री बना दिया गया था। फिर मेजर जनरल (अ.प्रा.) भुवन चंद्र खंडूड़ी के को हटाकर रमेश पोखरियाल निशंक को सीएम बनाया गया। इसके बाद फिर अगला चुनाव खंडूड़ी के नाम पर लड़ा गया। इसी तरह त्रिवेंद्र सिंह को सीएम बने चार साल पूरे हो रहे हैं। गाहेबगाहे उन्हें बदलने की चर्चा अक्सर उठती रही है। हर बार त्रिवेंद्र विरोधियों को मात देते आते रहे हैं।
भाजपा के रणनीतिक जानकारों के मुताबिक पर्यवेक्षक का काम नेता चुनने में मदद करना होता है। जब कोई नेता बदलना होता है, या फिर पार्टी संगठन में कोई संकट आता है, तब भी पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाता है। ऐसे में अचानक पर्यवेक्षक भेजना और विधानसभा सत्र को बीच में ही बैठक तरह तरह की चर्चाओं को हवा दे गया है। उधर, कुछ भाजपा नेताओं का कहना है कि नेतृत्व परिवर्तन कभी भी बैठकों के जरिये नहीं होता है। यदि नेतृत्व परिवर्तन होना होता तो सीधे दिल्ली से इसके आदेश आ जाते।
बताया ये भी गया कि भाजपा के करीब 22 विधायक विद्रोह की स्थिति में हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से बगावत करने वाले कांग्रेसी विधायक भी शामिल हैं। उनका आरोप है कि उनके क्षेत्र के विकास को सीएम तवज्जो नहीं दे रहे हैं। साथ ही भ्रष्टाचार के मामले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआइ जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे है, लेकिन इस पर सुनवाई 10 मार्च को है। ऐसे में कयास लगाए गए कि इससे पहले नेता बदलने पर विचार हो सकता है। अब इन नेताओं की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही पीएम मोदी को फीडबैक देना है। सूत्र बता रहे हैं कि तब कोई बड़ी घोषणा हो सकती है।
हरीश रावत ने किया ट्विट
उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने भाजपा में चल रही चर्चाओं के बीच आज एक ट्विट किया। इसमें उन्होंने लिखा कि- उत्तराखंड में फिर राजनैतिक अस्थिरता की चर्चाएं हैं, कुछ लोग दिल्ली में तो, कोई मुंबई में नाह-धोकर के तैयार और राज्य का अस्थिरता के आगोश में जाना। लगता है तयशुदा नियति बन चुकी है। भाजपा के पास अपनी अक्षमता का एक ही जवाब है चेहरा बदलना। धन्य है भाजपा। क्या फार्मूला निकाला जन कल्याण का? उत्तराखंड राजनैतिक अस्थिरता के लिए भाजपा को कभी माफ नहीं करेगा।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
जरूर झांपू को बदलने की बात होगी.
Aap bas aise he kaam karte raho.
Bht bhadiya likjte hai aap.