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September 28, 2025

ग्राफिक एरा में महके पहाड़ के पकवान, लोक परंपराओं से रूबरू होने का अनोखा अवसर

देहरादून स्थित ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में आज विश्व पर्यटन दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें उत्तराखंड की पारंपरिक संस्कृति को पर्यटन के साथ जोड़ने का प्रयास किया गया। छात्र-छात्राओं को पर्वतीय सांस्कृतिक विविधता, पारंपरिक व्यंजन और लोक परंपराओं से रूबरू होने का अनोखा अवसर मिला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस दौरान आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि पर्यटन व्यवसयी कैप्टन सरभदीप सिंह ने कहा कि स्थानीय लोग, सरकार और पर्यटन उद्योग यदि एक साथ मिलकर प्रयास करें तो उत्तराखंड में पर्यटन के माध्यम से न केवल हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे बल्कि उत्तराखंड अपनी समृद्ध संस्कृति, अनूठे व्यंजन और जीवंत परंपराओं को वैश्विक स्तर पर चमकाने में सक्षम होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के प्रो वीसी डा. संतोष एस. सर्राफ़ ने कहा कि पर्यटन उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की रीड है और इसे मजबूत बनाने के लिए सतत् विकास, योजनाबद्ध रणनीति और स्थानीय सहभागिता बेहद जरूरी है। कार्यक्रम में उत्सव ग्रुप के निदेशक डा. राकेश भट्ट और प्रसिद्ध लोक गायिका डा. रेशमा शाह ने पहाड़ी लोकगीतों और जागर की गूंज से ऐसा माहौल रचा मानो श्रोतागण सीधे हिमालय की आंचल की वादियों में पहुंच गए। डा. भट्ट ने लोकगीतों और जागर के माध्यम से पर्यटन को लोकसंस्कृति से जोड़ती उत्तराखंड की नंदा राजजात यात्रा की गाथा को जीवंत कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम में मीठू पहाड़ नाम से कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में छात्र-छात्राओं ने उत्तराखंड की पारंपरिक मिठाइयां- रोंठ और अरसे को पारंपरिक विधि से बनते देखा और सीखा। उनके लाजवाब स्वाद और सोंधी खुशबू ने सभी को मानो सीधे पहाड़ों की वादियों में पहुंचा दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम में आयोजित गढ़वाली फूड फेस्टिवल में झंगोरे की खीर, चैसूं, लिंगड़े की सब्जी, थेचवानी, काफुली, लाल चावल जैसे उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों की भरपूर विविधता देखने और चखने को मिली। वहीं दूसरी ओर बीज प्रदर्शनी ने उत्तराखंड की कृषि धरोहर को पर्यटन से जोड़ने का संदेश दिया। बीज बचाओ आंदोलन से जुड़े पर्यावरणविद श्री विपिन जरधारी ने नौरंगी, पहाड़ी राजमा, मंडवा, झंगोरा जैसे बीजों की जानकारी देकर स्थानीय कृषि परंपराओं पर प्रकाश डाला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यह कार्यक्रम ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट डिपार्टमेंट ने आयोजित किया। कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डा. नरेश कुमार शर्मा, हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के एचओडी डा. अमर डबराल, हेनवल वानी कम्युनिटी रेडियो के रवि गुसाईं के साथ डा. वी.पी उनियाल, डा. राकेश दानी, डा. रविश कुकरेती, आकाश रावत अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “ग्राफिक एरा में महके पहाड़ के पकवान, लोक परंपराओं से रूबरू होने का अनोखा अवसर

  1. यह तो अब्बा-बाप्पा की तरह है कि पहाड़ी खाना और गीत शिक्षा के साथ जोड़े गए हैं! लोकसंस्कृति से रूबरू होना ही बहुत ही सुंदर है, लेकिन क्या अब हमें मीठू पहाड़ कार्यशाला में भाग लेना पड़ेगा कि रोंठ सीखें? समझ में नहीं आ रहा है कि यूनिवर्सिटी में हॉस्पिटैलिटी के लिए इतनी जटिल तरीके से पर्यटन बनाया जा रहा है! 😄ai watermark remover

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