ग्राफिक एरा में राष्ट्रीय सम्मेलन, हिमालयी क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था सुधारेगा बद्रीफल

ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में हिमालय के संरक्षण में सीबकथोर्न तकनीक की भूमिका पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। विशेषज्ञों ने हिमालयी क्षेत्रों के पर्यावरण व आर्थिक सुधार के लिये सीबकथोर्न (बद्रीफल) उत्पादन को बढ़ावा देने का आह्वान किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दो दिवसीय सम्मेलन को आज बतौर मुख्य अतिथि राज्य के फोरेस्ट फोर्स के प्रमुख डा. धनंजय मोहन ने कहा कि ज्यादातर औषधीय पेड़-पौधे हिमालयी क्षेत्रों में पाये जाते हैं। लेह, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखण्ड के सूदूर इलाकों में उगने वाला सीबकथोर्न हिमालयी क्षेत्रों की जैव विविधता के लिये महत्वपूर्ण संसाधन बन सकता है। यह झाड़ी सीमांत क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव की रोकथाम, भूमि सुधार के साथ आर्थिक व सामाजिक विकास में योगदान देगा। उन्हांेने बद्रीफल के व्यावसायीकरण के लिये किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता पर जोर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. नरपिन्दर सिंह ने कहा कि बद्रीफल में पाये जाने वाले ओमेगा 3, 6, 9 फैटी एसिड व अन्य पोषक तत्वों का उपयोग त्वचा के स्वास्थ्य, गैस्ट्रिक अल्सर, कोलेस्ट्राल व मांसपेशियों की मरम्मत करने में किया जाता है। सम्मेलन में सीबकथोर्न एसोसिएशन ऑफ इडिया की उपाध्यक्ष डा. मधु बाला ने बद्रीफल पर की गई अपनी शोध प्रस्तुत करते हुए कहा कि इसकी पत्तियों का उपयोग रेडिएशन एक्सपोजर के प्रभावों को कम करने में किया जा सकता है। इसके बहुऔषधीय गुण बोन मैरो, मध्यान्त्र, किडनी, लीवर व प्रतिरक्षा तंत्र की सुरक्षा करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सम्मेलन में आज स्मारिका व जैव प्रौद्योगिकी विभाग की एचओडी डा. मनु पंत की किताब टिशू कल्चर टैकनिक्स एण्ड मेडिसिनल प्लांट्स व प्रो. विरेन्द्र सिंह की किताब सीबकथोर्न – मल्टीपर्पस हिमालय बेरीज का विमोचन किया गया। पहले दिन सात शोध पत्र, 24 पोस्टर प्रस्तुत किए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन यूनिवर्सिटी के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने सीबकथोर्न एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सहयोग से किया। सम्मेलन में डा. वीपी उनियाल, डा. अनीता पांडे, डा. डीपी सिंह, प्रो. निशान्त राय, डा. नेहा पांडे के साथ वैज्ञानिक, शोधकर्ता, किसान, शिक्षक-शिक्षिकाएं, पीएचडी स्कॉलर्स व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। संचालन किरन बिष्ट ने किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।