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February 22, 2025

उत्तराखंड में सशक्त भू कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी, कैबिनेट की बैठक में किया गया फैसला, पढ़िए महत्वपूर्ण बिंदु

उत्तराखंड में धामी सरकार की मंत्रिमंडल की बैठक में सशक्त भू कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी मिल गई है। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए आज कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। बुधवार को विधानसभा में पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल की बैठक सुबह 9.30 बजे से हुई थी। इस बैठक में सख्‍त भू-कानून के प्रस्‍ताव को मंजूरी दी गई। गौरतलब है कि प्रदेश में भू-कानून को कड़ा बनाने की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है। हालांकि मूल निवास की भी मांग की जा रही थी, लेकिन इस बिंदु को फिलहाल दरकिनार कर दिया गया।  मुख्य विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का प्रयास कर रहा है। अब इसे बजट सत्र में विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य, संस्कृति और मूल स्वरूप की रक्षक हमारी सरकार है। प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, साथ ही प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो जाता है कि हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। निश्चित तौर पर यह कानून प्रदेश के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नए भू कानून के प्रमुख प्रावधान
-पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार द्वारा 2018 में लागू किए गए सभी प्रावधानों को नए कानून में समाप्त कर दिया गया है।
-हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर, उत्तराखंड के 11 अन्य जिलों में राज्य के बाहर के व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।
-पहाड़ी इलाकों में भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित करने और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी।
-जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित
-नए प्रस्तावित कानून में जिस प्रयोजन में भूमि ली जाएगी, उसका अन्य प्रकार से दुरूपयोग नहीं किया जा सकेगा।
– अन्य प्रयोजन के लिए भूमि खरीद से पहले सरकार की अनुमति आवश्यक।
बाहरी व्यक्ति परिवार के लिए एक ही बार 250 वर्गमीटर भूमि खरीद सकता है। रजिस्ट्रार को शपथ पत्र देना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शपथ पत्र होगा अनिवार्य
-अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी मामलों में सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया होगी।
-ऑनलाइन पोर्टल से होगी भूमि खरीद की निगरानी
-प्रदेश में जमीन खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जमीन खरीद को दर्ज किया जाएगा।
-राज्य के बाहर के लोगों को जमीन खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके।
-नियमित रूप से भूमि खरीद की रिपोर्टिंग
-सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
-नगर निकाय सीमा के भीतर तय भू उपयोग
-नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा।
-यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया, तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नए कानून का प्रभाव
-इस कानून से उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी।
-पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे राज्य के निवासियों को अधिक लाभ मिलेगा।
– भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा और राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत होगी।
-सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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