युवा कवयित्री अंजली चंद की कविता- हम दोनों को हम दोनों जैसे बहुत मिलेंगे
हम दोनों को हम दोनों जैसे बहुत मिलेंगे,
बस हम ही एक दूजे को ना मिल पायेंगे,
सफ़र करते करते एक रोज़
राह सफ़र की अलग हो जाएगी,
तुम और मैं की मंजिल अलग हो जाएगी,
जब तुम और मैं का सफ़र शुरू होगा,
हम कहने का कारवाँ थम जाएगा,
जब कभी अकेलेपन में यादों के गुल्लक से
खालीपन को तो मिटा लेंगे,
मगर हकीकत ना बना पायेंगे,
तब मैं और तुम का वो हम वाला पल याद करके
आँखों को नम कर होठों पर मुस्कान लाएँगे, (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
जब किसी मोड़ पर
मैं जैसा तुम, तुम जैसा मैं अगर चाहत हो तो
कुछ मिलती जुलती संगत मिल ही जायेगी,
जब कमियां हमारी याद कर
खूबी कहीं ढूँढे तो बेहतर मिल ही जायेगी,
खूबी अगर एहसास हो जाये तो
कमी बेहद सताएगी,
आकर्षण की रफ़्तार जगह किसी को दे दे,
कोई दूसरा एकदम से हमे हम जैसा लगने लगे,
पुराने घावों को ताजा करने कोई मिल जाये,
अनजाना सा वो रंगत, वो संगत देकर जाना सा बन जाए,
ठहराव जीवन में ले आये, (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
मिले होंगे तेरी सी आदत,
कुछ मेरी सी फ़ितरत,
समेटे हुए एक दूजे को एक दूजे में,
मगर हम ना मिले एक दूजे को
कहानी हम की अधूरी रह गई,
कहा ऐसा मनचाहा मन मिल पाता है,
जुदा होकर कहा मन किसी डगर से जुड़ पाता है,
मन का मन से समझौता हो जाता है,
या मन का मन से सुलह हो जाता है
आकर्षण जीवन में कई बार आता है
ठहराव तो जीवन में एक ही बार आता है,
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चंद
खटीमा, उधमसिंह नगर, उत्तराखंड। पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही हैं।
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