आया डाकू सुंदर सिंह वाला ट्रेंड, तालाब में कूदने लगे आरोपी, असम के बाद उत्तराखंड में मौत
एक समय था जब डाकू सुंदर आतंक देश के कई राज्यों में बोल रहा था। उसकी मौत उस समय हुई, जब उसने पुलिस हिरासत में हथकड़ी लगे हुए ही यमुना नदी में छलांग लगा दी। अब इसी तरह का ट्रेंड देश के दो राज्यों में दिखाई दिया। पहले असम में दुष्कर्म का आरोपी तालाब में कूदता है। उसके बाद उत्तराखंड में भी दूसरे मामले में एक आरोपी पुलिस से बचने के लिए तालाब में कूदता है। दोनों की ही मौत हो जाती है। ये सिर्फ संयोग है या फिर कुछ और कहानी। इसकी जांच में ही हकीकत सामने आ सकती है। सवाल ये भी है कि दोनों आरोपी किस जाति और धर्म से हैं। असम की खबर को जानने के लिए आपको उससे संबंधित खबर का लिंक खोलकर पढ़ना होगा। जो हम इसी खबर में दे रहे हैं। वहीं, हम सुंदर सिंह के बारे में भी बताने का प्रयास करेंगे। वैसे ऐसे मामलों में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी राजनीतिक दल भी बयानबाजी से बचने का प्रयास करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पढ़ें असम की खबरः क्राइम सीन रिक्रिएट करने घटनास्थल पर नाबालिग से दुष्कर्म आरोपी को ले गई पुलिस, संदिग्ध परिस्थितियों में हो गई मौत
उत्तराखंड में पुलिस ने किया पीछा, तालाब में कूदा युवक, हुई मौत
असर की तर्ज पर ही एक युवक की तालाब में डूबकर मौत हो गई। मामला हरिद्वार जिले में रुड़की क्षेत्र का है। मीडिया की खबरों के मुताबिक, संरक्षित पशु कटान की सूचना पर गोवंश स्क्वायड की टीम ने एक युवक का पीछा किया तो उसने तालाब में छलांग लगा दी। इस दौरान तालाब में डूबने से युवक की मौत हो गई। गुसाए ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया और शव नहीं उठाने दिया। बाद में पुलिस ने किसी तरह ग्रामीणों को समझाकर शांत किया और शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस तरह बताया गया घटनाक्रम
रुड़की के मामले में जो घटनाक्रम बताया जा रहा है, उसके अनुसार गोवंश स्क्वायड की टीम को रविवार की सुबह करीब आठ बजे सूचना मिली थी कि गंगनहर कोतवाली क्षेत्र के माधोपुर गांव के पास एक युवक बाइक पर संरक्षित पशु का मांस लेकर बेचने जा रहा है। सूचना पर पुलिस ने माधोपुर के पास युवक की घेराबंदी की तो वह बचकर भागने लगा। इस दौरान युवक ने एक तालाब में छलांग लगा दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लोगों ने किया हंगामा
वहीं मौके पर ग्रामीणों की बड़ी संख्या में भीड़ जुट गई और हंगामा करना शुरू कर दिया। हंगामे की सूचना मिलते ही कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जानकारी ली। बताया जा रहा है कि इस दौरान ग्रामीणों की पुलिस से जमकर नोकझोंक और हंगामा बढ़ गया। पुलिस ने ग्रामीणों को समझाकर शांत किया और युवक के शव को तालाब से निकाला। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम भेजना चाहा तो ग्रामीणों ने शव उठाने नहीं दिया। काफी देर तक मौके पर हंगामा चलता रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुलिस के काफी देर समझाने के बाद ग्रामीण शांत हुए और शव उठाने दिया। उधर, एसपी देहात एसके सिंह ने बताया कि मृतक की पहचान मोनू निवासी सोहलपुर गाडा, रुड़की के रूप में हुई है। मामले की जांच कराई जा रही है। जांच में जो भी सामने निकल कर आएगा उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुंदर सिंह की कहानी
इस कहानी के लिए हमने सोशल मीडिया से मिली जानकारी का उपयोग किया है। हालांकि, जब सुंदर सिंह की मौत हुई थी तो मैने खुद ( मैं यानि खबर लिखने वाला भानु बंगवाल) ने उस समय सुंदर सिंह की मौत की खबर को पिताजी से सुना था। मेरे पिताजी हर अखबार को पढ़ते थे। वे हमें हर शाम को खबरें पढ़कर सुनाते थे। करीब छह फुट डेढ़ इंच लंबा चौड़ा गठीले बदन वाला खतरनाक फौजी सुंदर मरने के बाद भी, 13 पुलिस अफसरों को जेल में डलवा गया। 1940 के दशक में यूपी के थाना दादरी (अब जिला गौतमबुद्ध नगर) के अंतर्गत स्थित गांव दुजाना निवासी चौधरी छज्जू सिंह रसूखदार किसान थे। पत्नी बलदेई से संतान नहीं हुई, तो छज्जू सिंह ने कालांतर में दूसरी शादी अफीमी से कर ली। अफीमी से शादी के कुछ दिन बाद ही पहली पत्नी बलदेई से एक पुत्र ने जन्म लिया। बेटे का नाम मंगल सिंह रखा. वहीं, दूसरी पत्नी अफीमी से चौधरी छज्जू सिंह के घर-आंगन में तीन पुत्रों की किलकारियाँ गूंजी। इनके नाम भोपाल सिंह, सुंदर सिंह और सूरज सिंह रखे गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मोस्ट वांटेड बन गया सुंदर फौजी
सुंदर फौजी राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और यूपी पुलिस का नंबर-वन ‘मोस्ट-वॉन्टेड’ बन चुका था। दिल्ली पुलिस ने उस जमाने में सुंदर के सिर पर 5 हजार का इनाम रख दिया था। बाद में सुंदर लाश में तब्दील होने के बाद भी, पुलिस की आने वाली पीढ़ियों को सबक दे गया था। मरने के बाद वह 13 आला-पुलिस अफसरों को जेल की काल कोठरी में डलवाकर उन्हें ‘जिंदा-लाश’ में तब्दील करा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छोटी उम्र में ही दरोगा को मारी गोली
छह फुट डेढ़ इंच लंबा-चौड़ा गठीले बदन का गोरा-चिट्टा बेटा सुंदर सिंह देखने में जितना मासूम और खूबसूरत था, उतना ही खतरनाक। सुंदर सिंह ने मीर भोज इंटर कॉलेज दादरी से 10वीं पास की। उसी दौरान उसने दादरी थाने के एक दारोगा को गोली मारकर घायल कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फौज में हुआ भर्ती
जैसे-तैसे मां-बाप की जिद पर सन 1964 आते-आते सुंदर सिंह भारतीय फौज की राजपूताना राइफल में सिपाही बन गया। 1965 के युद्ध में भारतीय फौज की ओर से युद्ध लड़ा। खुराफाती दिमाग ने सुंदर को फौज में टिकने नहीं दिया और घर लौट आया। कुछ समय बाद समझा-बुझाकर उसे दुबारा सेना में भेजा गया। फिर वो सेना से वापिस लौट आया। गांव की राजनीति में पूर्व फौजी सुंदर सिंह की टांग ऐसी फंसी कि गरम-खून सुंदर ने कम उम्र के बावजूद ‘हथगोले’ से रात के वक्त गांव के ही एक बुजुर्ग की हत्या कर दी। उस हत्याकांड के बाद भी गांव की राजनीति तो नहीं सुलझी, लेकिन गांव वह एक दुर्दांत डकैत बन गया। यह वाकया होगा सन् 1966 के अंत या 1967 की शुरुआत का है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीछे पड़ी यूपी और दिल्ली पुलिस
गांव में पहले कत्ल के बाद दादरी (यूपी) पुलिस पीछे पड़ गई। दिल्ली और यूपी पुलिस से उसकी तमाम मुठभेड़ हुईं। फरीदाबाद में हुई मुठभेड़ में सुंदर साफ बच निकला। दो साथी बदमाश बली बागपत (यूपी) का रकम सिंह और हरियाणा का जयचंद्र पुलिस द्वारा मार डाले गए। बाद में दिल्ली पुलिस ने सुंदर को गिरफ्तार कर लिया। 8-9 साल तक दिल्ली की तिहाड़ जेल सहित मेरठ, बुलंदशहर, गुड़गांव की जेलों में उसे कैद करके रखा गया। यह बात है सन 1975 के आसपास की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुलिस हिरासत में हुआ फरार
एक दिन दिल्ली में यूपी पुलिस की कस्टडी से मय हथकड़ी सुंदर सिंह भाग गया।
5000 इनाम होते ही सबसे रहीस ‘मोस्ट-वांटेड’ बन गया। दिल्ली पुलिस ने उस जमाने में सुंदर के सिर पर 5 हजार का इनाम रख दिया। उसी दिन से 1970 के दशक में सुंदर डाकू देश का सबसे मंहगा और खूंखार डकैत करार दिया गया।
पुलिस को मिली सिर्फ एक फोटो
दिल्ली पुलिस द्वारा देश भर में सुंदर डाकू के इश्तिहार लगवाये गये। इश्तिहार पर वही फोटो दिल्ली पुलिस ने लगाई जो, फरीदाबाद में मुठभेड़ के दौरान सुंदर के लाइसेंस पर लगी मिली थी। उसके बाद और उससे पहले की कभी कोई फोटो पुलिस के हाथ सुंदर ने नहीं लगने दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
13 पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई
नवंबर सन् 1976 में सुंदर डाकू की दिल्ली पुलिस हिरासत से संदिग्ध फरारी और उसके बाद यमुना से रहस्यमय हालातों में सुंदर की हथकड़ी लगी लाश की बरामदगी ने देश की सरकार और दिल्ली पुलिस को हिला दिया था। इसके चलते दिल्ली के दो आईपीएस प्रीतम सिंह भिंडर (दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर पीएस भिंडर) और पुलिस अधीक्षक गुरु चरन सिंह संधू (बकौल पूर्व डीएसपी सुखदेव सिंह, संधू की भी मृत्यु हो चुकी है) सहित दिल्ली पुलिस के 13 अफसरों को महीनों तिहाड़ जेल में कैद रहना पड़ा। हालांकि बाद में सभी आरोपी पुलिसकर्मी अदालत से ब-इज्जत बरी कर दिए गए। पुलिस की कहानी के मुताबिक, सुंदर पुलिस हिरासत से फरार हुआ और यमुना में छलांग लगा दी। वहीं, परिजनों ने आरोप लगाया कि जबरन नदी में डुबोकर उसे मारा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुंदर डाकू जब भी कहीं देखा गया तो, उसके साथ दो बच्चों के भी होने की खबर पुलिस को हमेशा मिलती थी। उन दोनो बच्चों का कई साल तक कोई खुलासा नहीं हो सका। जयपुर पुलिस ने सुंदर डाकू को दबोचा। इसके बाद ही जयपुर से दिल्ली पुलिस उसे ले गई। वहीं दिल्ली में यमुना में डूबने से सुंदर की रहस्यमय हालातों में दिल्ली में मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने दावा किया था कि वह हथकड़ी सहित यमुना में कूद गया और हाथों में हथकड़ी की वजह से तैर नहीं पाया। ऐसे में उसकी मौत हो गई।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।