भारत में 22-25 वर्ष तक के 65 फीसद युवा तनावग्रस्त, नाकारात्मकता छोड़ने से ही इलाज संभवः डॉक्टर संतोष कुमार

इसके साथ ही विभाग की ओर से बताया गया की मानसिक स्वास्थ्य के बिना संपूर्ण स्वास्थ्य की परिकल्पना नहीं की जा सकती।समाज में एक व्यक्ति को हम पूर्णता स्वस्थ तब कहते हैं, जब वह मानसिक, शारीरिक एवं सामाजिक रूप से पूर्ण स्वस्थ हो। मानसिक स्वास्थ्य आज के सामाजिक, व्यक्तिगत एवं बदलते समाज के इस दौर में एक बहुत बड़ी चुनौती बन रहा है। इस सन्दर्भ मे एम्स ऋषिकेश के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग की ओर से जनता के बीच में जाकर यह दिवस मनाया गया। कोविड पेंडमिक के बाद लोगों में मानसिक स्वास्थ्य काफी प्रभावित हुआ है।
बताया कि भारत में सबसे बड़ी मानसिक समस्या एवं तनाव से सबसे ज्यादा युवा वर्ग है। इनकी उम्र 18 से 22 वर्ष के बीच की है। एक अध्यन के अनुसार भारत मे एक घंटे में एक युवा आत्मदाह करता है। कोविड के दौरान यह मानसिक तनाव ओर ज्यादा बढ़ गया है। भारत मे 65 फीसद 22-25 वर्ष की उम्र के युवा तनावग्रस्त हैं। इसी प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए एम्स ऋषिकेश के एसोसिएट प्रोफेसर एवं सोशल आउटरीच सेल विभाग के नोडल आधिकारी डॉक्टर संतोष कुमार कई सालों से युवाओं के बीच जाकर उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में चर्चा करते आ रहे हैं।
उन्होंने इस प्रोग्राम का नाम वेलनेस दिया है। जो समय समय पर कॉलेज विश्वविद्यालयों में जाकर युवाओं के लिए किए जाते हैं। इसमें युवा के तनाव, चिंता, स्ट्रेस अदि कारण शामिल हैं। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के दिन डॉ संतोष कुमार ने ऋषिकेश के शांति नगर में पहुंचकर जनता के साथ मिलकर यहां दिवस मनाया। लोगों के बीच जाकर उनके मानसिक कारणों की चर्चा की। लोगों से बातचीत में पता चला कि घरेलू समस्या जैसे आर्थिक समस्या, पारिवारिक संबंध और आपसी संबंध एवं अपनी बातों को शेयर न पाना और इसके साथ विश्वास की कमी के कारण मानसिक तनाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार के कार्यक्रम थानों, रायवाला के स्कूल में भी किया गया।
इस दौरान युवाओं को डॉक्टर संतोष कुमार ने संदेश दिया कि युवाओं में काफी उर्जा होती है और वह उर्जा का सही दिशा में प्रयोग करें। सकारात्मक बनें और ऐसे वातावरण मे रहें, जहां से जिंदगी में सकारात्मक का एहसास हो। उन्होंने बताया कि मानसिक तनाव का मुख्य स्रोत नकारात्मक से होता है। युवाओ के अंदर इतनी क्षमता होती है कि वह नकारात्मक को सकारात्मक रुप मे बदल सकते हैं और स्वस्थ्य जीवन जी सकते है।कार्यक्रम के दोरान डॉ आशुतोष, डॉ रोहित, डॉ निशांत, महिला चिकित्सक डॉ गुरविन्दर कौर आदि उपस्थित थे।