शतरंज के विश्वकप फाइनल में मैग्नस कार्लसन से हारे 18 साल के भारतीय प्रज्ञानंद, जीत लिया दिल
बाकू में खेले गए फिडे शतरंज विश्व कप में तीन दिन के भीतर चले करीब चली करीब चार बाजियों और शुरुआती दो दिन चले खासे कड़े मुकाबले के बाद आखिरकार वीरवार को तीसरे दिन टाईब्रेकर में पांच बार के चैंपियन मैग्सन कार्लसन का अनुभव भारतीय युवा प्रज्ञानंद पर कहीं भारी साबित हुआ। इस दिग्गज ने भारत के 18 साल के युवा प्रज्ञानंद को मात देते हुए छठी बार विश्व कप का खिताब अपनी झोली में डाल लिया। कार्लसन ने यह मुकाबला 1.5 – 0.5 के अंतर से जीता। प्रज्ञानंद ने टूर्नामेंट में दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी हिकारू नकामूरा और तीसरे नंबर के खिलाड़ी फेबियानो कारूआना को हराकर कार्लसन के खिलाफ फाइनल में जगह बनाई थी, लेकिन फाइनल में उन्हें हार मिली। इसके बावजूद उन्होंने भारतवासियों का दिल जीत लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पहली रैपिड बाजी में 18 साल के प्रज्ञानंद ने दिग्गज कार्लसन को अच्छी चुनौती दी और एक समय पहली बाजी बराबर छूटती दिखाई पड़ रही थी, लेकिन आखिरी पांच मिनट के दबाव और कार्लसन के अनुभव ने तेजी से सबकुछ पलट दिया। एक बार प्रज्ञानंद इस खिताबी मुकाबले के टाइब्रेकर की शुरुआती बाजी में क्या हारे कि यहां से सबकुछ उनके हाथ से निकल गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दूसरी बाजी में प्रज्ञानंद काले मोहरों के साथ खेल रहे हैं और यह उनके लिए करो या मरो की बाजी थी। पहली बाजी कार्लसन के नाम रही। भारतीय युवा ने थोड़ी देर प्रार्थना करने के बाद खेल की शुरुआत की। दोनों ही खिलाड़ियों ने दूसरी बाजी की शुरुआत में ही अपना एक-एक नाइट (घोड़ा) गंवा दिया, लेकिन पहली बाजी में हार का असर प्रज्ञानंद पर साफ दिखा।समय के लिहाज से कार्लसन ने भारतीय खिलाड़ी पर बढ़त बना ली। दूसरी बाजी का आधा समय पूरा होने से पहले ही भारतीय युवा ड्रा पर सहमत हो गए। इसी के साथ ही नॉर्वे के पांच बार के विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लस ने एक और विश्व कप खिताब अपनी झोली में डाल लिया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।