युवा कवयित्री नैंसी की कविता-मंजिल पाने के लिए

मंजिल पाने के लिए,
खुद ही चलना पड़ता है रास्तों पर
मंजिल की तरफ रास्ते खुद, चलते हैं क्या!
खुद ही लड़ना पड़ता है मुसीबत के तूफानों से
ये तूफ़ान ख़ुद-ब-ख़ुद, टलते हैं क्या!
संवारना पड़ता है बाग़बान को बाग अपने
ये बाग कहीं खुद संवरते हैं क्या!
ज़िम्मेदारियों में डूबे किसी शख्स के जीवन मे
बेफिक्री के ख़्याल कहीं, पलते हैं क्या!
औरों से कहोगे तो नमक ही लगायेंगे
ये दुनियावाले ज़ख्मों पर मरहम,मलते हैं क्या!
कवयित्री का परिचय
नाम – नैंसी
पता – चौक, लखनऊ, उत्तरप्रदेश।
वर्तमान में कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो चुकी है। अब एसएससी की तैयारी कर रही हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।