युवा कवयित्री अंजली चंद की कविता- अनसुलझे मिजाज़ में एक पैग़ाम लिखा है
अनसुलझे मिजाज़ में एक पैग़ाम लिखा है
चौखट चौखट ढूंढ़ा जब खुद को,
सबक लेकर अपने ही सफ़र में एक इम्तेहान लिखा है
ख़ुद को ख़ुद के ही हिस्से लिखा है,
कोई कहे मुसाफ़िर तो,
कोई कहे भटका हुआ,
हर देखने वाले की नज़र के लिए,
एक किस्सा लिखा है,
अनसुलझे मिजाज़ में एक पैग़ाम लिखा है।
परिणाम ग़र देखो तो
असफ़लता ही प्रमाण है,
ग़र जानना हो कोशिशें तो
संघर्ष को सुनना होगा,
कहने को तो हज़ारो बातें,
अनगिनत विचार हैं,
समझना हो गहराई को तो समीप आकर,
मन मेल रहित कर सुनना होगा, (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
मंजिल रहित राही
अधर मे अटका पँछी
नर्म दिल से महसूस कर पूछो तो
शायद सुख हिस्से ही ना आया होगा,
हार ना मानने की सलाह,
अंत तक लड़ने की बातें,
मझधार में फंसे को निकालने के लिए,
पूछो जरा ख़ुद की हिम्मत के सिवा,
कौन साथ आया होगा,
सब्र, संयम सुखमय जीवन के ताज हैं,
लम्बी लड़ाई में हालातों से हार जाने वाला,
ना जाने कब से सालों के बदलते कैलेंडर में,
समय एक सा देखा होगा। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
लहजे पर तंज दे देते हैं,
वाणी का अग्रिमय हो जाना,
समझ ना सको तो सोच लो,
ह्रदय कितना छला होगा।
ख़ुद से लड़ने से पहले,
ख़ुद को मनाया होगा,
ख़ुद गुम होने से पहले,
ख़ुद को ढूँढा होगा,
याद नहीं क्या पाना था अन्तर्मन को,
खोज में ख़ुद के यूँ ही तो ना निकला होगा।
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चंद
खटीमा, उधमसिंह नगर, उत्तराखंड। पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।