युवा कवि विनोद सिंह मनोला की कविता-क्यों देखता हीन भावना से तू उसको, जो तेरे हर काम है आता
युवा कवि विनोद सिंह मनोला की कविता-क्यों देखता हीन भावना से तू उसको, जो तेरे हर काम है आता।

तेरा जो न बनता एक काम भी, दर पर उसके तू जाता।
खेत खलिहान से लेकर घर के अंदर मंदिर वो बनाता।
उस मंदिर में तू नित्य दिया जलाता, फिर उससे क्यों परहेज करता।
चाहे हो शुभ काज या अशुभ घङी हर वक्त साथ तेरा निभाता।
घर पर हो नवजात या शादी – विवाह, खुशियों के गीत वह गाता संग ढोल नगाड़े बजाता।
खुशियों के मौके में कुछ उपहारों के बदले,
जिंदगी भर का आशिर्वाद और भर भर के दुआये दे जाता।
मंदिर में हो कोई भी पूजा अर्चना, उसके नगाड़े की धुन के बिना भगवान भी भोग न लेता।
क्या दोष है उसका इसमे भगवान ने उसे शुद्र बनाया,
वो भी हर काम हमारी तरह ही करता।
कर दो चार बातें उससे प्यार से हर जगह गुणगान तुम्हारा करता।
छोड़ो छुआ-छूत की भावना, सारे हो परमेश्वर की संतान,
वो भी है एक इंसान, उसको भी सम्मान रास है आता।
क्यों देखता हीन भावना से उसको जो तेरे हर काम है आता।
कवि का परिचय
विनोद सिंह मनोला
ग्राम पोस्ट बजानी जौरासी
डीडीहाट, जिला पिथौरागढ़, उत्तराखंड।
9557521627
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।