युवा कवि गोलेन्द्र पटेल की दो कविताएं, उषा और कविता में किन्नर

1-उषा
प्रात पुष्प था बहुत खिला हुआ जैसे
लोहित आसमान का सूरज
पृथ्वी पर उतर रहा हो
नदी सागर की यात्रा में
नयी सुबह है
बहुत धुआँ उठ रहा है उधर
कि जैसे जंगल जल रहा हो
कागज़ पर या समय के श्यामपट पर
लिख दी हो किसी ने
कुम्हलाई कली की करुणा
रूह की रोशनाई से
और देह
दर्द का गेह मालू हो रही है
गौर रेह रो रही है
रेत…
फ़सलें झुमती हैं रेगिस्तान में उषा का अब
सूर्योदय हो रहा है!
2-कविता में किन्नर
प्रिय दोस्त!
न स्त्री
न पुरुष
न ही अर्द्धनारिश्वर हो तुम
तुम कविता में किन्नर हो
यानी थर्ड जेंडर
ट्रांसजेंडर
लफ़ंगों की भाषा में हिजड़ा
तुम्हारा गात
गोया गम का पिंजड़ा
पर तुम मुझे पसंद हो!
इस सृष्टि में
तुम्हारी ताली
कुदृष्टि के लिए
गाली है
तुम भी उसी कोख से उत्पन्न हुए हो
जिससे मैं
तुम देश की संतान हो
मेरे दोस्त!
कवि का परिचय
नाम-गोलेन्द्र पटेल
ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश,
मोबाइल-8429249326, ईमेल : corojivi@gmail.com

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।