युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता-मैं अविनाशी काशी वासी
मैं अविनाशी
काशी वासी
महाकाल प्रलयंकर हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
मरघट वासी
मैं कैलासी
मणिकर्णिकाघाट का कंकण हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
मैं वैरागी
मैं सन्यासी
मैं महादेव रुद्द्रांकर हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
मैं मृत्युंजय
मैं धनंजय
मैं नीलकण्ठांकर हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
मैं उमापति
मैं पुरारति
मैं महाकाल भयंकर हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
मैं ध्यानरति
मैं त्रिलोक अधिपति
मैं वीरभद्रंकर
हाँ मैं शंकर हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
मैं देवप्रिय
मैं दैत्यप्रिय
मैं सामप्रिय
मैं भीमांकर हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
हाँ मैं शंकर हूँ
जय शिव काशी
पाप नाशी हर हर महादेव
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रुचि है। मोबाइल नंबर-75258 88880
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।