जादू नहीं है आग को खाना, आप भी कर सकते हैं ऐसा चमत्कार
हम विज्ञान के इसी चमत्कार की बात करने जा रहे हैं। यह चमत्कार है आग को खाना। आग को खाने के नाम से ही शरीर में झुरझुरी सी दौड़ने लगती है। ऐसा चमत्कार हर कोई कर सकता है। हम यहां पर इसकी विधि बताने जा रहे हैं। ऐसी विधि कई वैज्ञानिक अंधविश्वाश को दूर करने के लिए लोगों को बताते आ रहे हैं। जिसे तांत्रिक तंत्र विद्या का नाम देते हैं।
ऐसे करें चमत्कार
इसके लिए हमें डेले वाला कपूर और माचिस की जरूरत पड़ती है। सबसे पहले हथेली में कपूर के टुकड़े को जला लेते हैं। जलते हुए कपूर के टुकड़े को एक हाथ से दूसरे हाथ में लेकर आरती के अंदाज में घुमाया जा सकता है। इसके बाद जलते हुए कपूर के टुकड़े को निचले हिस्से से पकड़कर मुंह में रखकर मुंह बंद कर लेते हैं। हो गया चमत्कार।
वैज्ञानिक तथ्य
अग्नि की लौ सदैव ऊपर ही ओर निकलती है। हथेली पर रखे जलते कपूर की निचली सतह आक्सीजन के अभाव में गर्म नहीं होती। इससे हथेली नहीं जलती है। मनुष्य की त्वचा आग का ताप एक स्थान पर आसानी से तीन सैकेंड तक सहन कर लेती है। जब कपूर को मुंह में रखा जाता है तो मुंह एकदम बंद कर लेना चाहिए। ऐसे में मुंह बंद करने पर आक्सीजन नहीं मिलने और मुंह में उपस्थित लार के कारण आग तुरंत बुझ जाती है। त्वचा तीन सैकेंड तक 1200 डिग्री सेंटीग्रेट ताप सह सकती है। ऐसे में तीन सैकेंड से पहले आग बुझने से मुंह नहीं जलता।
बरते ये सावधानियां
-जलते हुए कपूर को मुंह में रखने से पहले हमें जीभ को लारयुक्त कर लेना चाहिए।
-कपूर को जीभ पर रखते समय थोड़ी सी सांस मुंह से बाहर की तरफ निकालते हुए मुंह बंद करना चाहिए। इससे जलता हुआ कपूर का टुकड़ा तुरंत बुझ जाएगा।
-जलते हुए कपूर के टुकड़े से आरती अधिक देर तक नहीं करनी चाहिए। जितना जल्द हो सके इसे गर्म होने से पहले मुंह खोलकर जीभ में रख देना चाहिए। फिर तुरंत मुंह कर देना चाहिए।
-यह भी ध्यान रखना होगा कि प्रयोग के लिए डेले वाला (पूजा के लिए इस्तेमाल होने वाला) कपूर ही लेना चाहिए।