हवा में लटके आधे शरीर पर सहन कर सकते हैं भार, जानिए विधि
यदि आप दो स्टूल की सहायता से उसके ऊपर इस तरह लेटे हों कि शरीर के आधे से ज्यादा भाग के नीचे कोई वस्तु न हो। यानी आपका यह हिस्सा हवा में लटका हो। ऐसे हिस्से पर भी आप वजन को सहन कर सकते हो। ऐसा करने के पीछे विज्ञान का सिद्धांत है।
विज्ञान के जरिये आप ऐसे काम भी कर सकते हो जो असंभव लगते हैं। हम आपको शरीर के ऊपर भार सहन करने का तरीका बताने जा रहे हैं। वो भी ऐसी स्थिति में जब हमारे शरीर के नीचे कोई ठोस वस्तु नहीं है। फिर भी हम एक व्यक्ति के वजन को आसानी से सहन कर सकते हैं।
आवश्यक सामग्री
इसके लिए हमें तीन स्टूल की आवश्यकता पड़ेगी। तीनों स्टूल की ऊंचाई एक समान होनी चाहिए। साथ ही एक सूती तौलिया भी होना चाहिए। इन समान के जरिये हम इस चमत्कार को आसानी से कर सकते हैं।
यह है विधि
सबसे पहले हम दो स्टूलों को आमने-सामने रख देते हैं। एक स्टूल पर किसी व्यक्ति को इस तरह से लिटाते हैं कि उसके टखने से चार ईंची नीचे का हिस्सा एक स्टूल पर टिका हो और दूसरे स्टूल पर उसका कंधे व सिर का हिस्सा आ जाए। यानि व्यक्ति के टखने से नीचे पैर का हिस्सा एक स्टूल पर व छाती से ऊपर का हिस्सा दूसरे स्टूल पर रहे। बीच के हिस्से के नीचे कोई वस्तु नहीं रहती।
अब लेटे व्यक्ति का चेहरा व आंखे तौलिए से ढक देते हैं। ताकि उसे कुछ दिखाई न दे और वह घबराए नहीं। फिर उसे अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने को कहते हैं। साथ ही हड्डी में तनाव बना रहे और हड्डी सीधी रखी जाए। यानी उसे शरीर को अकड़ाने को कहा जाता है।
फिर तीसरे स्टूल को लेटे व्यक्ति के बीच के हिस्से के बगल में रखते हैं। उस पर किसी व्यक्ति को चढ़ने के लिए कहते हैं। वह व्यक्ति लेटे व्यक्ति की कमर की सीध में बगल में रहता है।

इसके बाद खड़े व्यक्ति को इस प्रकार से लेटे व्यक्ति के ऊपर खड़ा करते हैं कि उसका एक पैर पेट के ऊपर और दूसरा लेटे व्यक्ति की जांघ के ऊपर रहे। कुछ देर बाद खड़े व्यक्ति को नीचे उतार देते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान लेटे व्यक्ति को अपने ऊपर खड़े व्यक्ति का भार जरा भी महसूस नहीं होता।
यह है वैज्ञानिक तथ्य
प्रक्रिया के दौरान लेटा हुआ व्यक्ति लीवर का काम करता है। साथ ही खड़े व्यक्ति का भार दोनों स्टूल पर बराबर-बराबर बंट जाता है। इस कारण लेटा हुआ व्यक्ति अपने ऊपर खड़े व्यक्ति के वजन का सही अनुमान नहीं कर पाता।
ये बरतें सावधानी
लेटे व्यक्ति की आंखे अच्छी तरह से बंद होनी चाहिए। साथ ही उसे जिन दो स्टूल के सहारे लिटाया जाता है, उसकी ऊंचाई एक समान होनी चाहिए। प्रक्रिया के दौरान लेटे व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी में तनाव रहना चाहिए। ताकी वह आसानी से वजन को सहन कर ले।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।