यशपाल आर्य ने नेता विपक्ष का संभाला कार्यभार, शहीदों को किया नमन, कम विधायकों की उपस्थिति पर कांग्रेस ने दी सफाई

कांग्रेस नेतृत्व ने हाल में ही प्रदेश अध्यक्ष, नेता विधायक दल (नेता प्रतिपक्ष) व उप नेता प्रतिपक्ष के पदों पर नियुक्तियां की थीं। जिसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष का दायित्व सौंपा गया है। इससे पहले रविवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पदभार ग्रहण किया। सोमवार को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य अपने कार्यालय में हवन-पूजन के बाद कार्यभार संभाला। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आर्य को पहली बार नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी गई है।
इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी देवेन्द्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापडी, विधायक ममता राकेश, फुरकान अहमद, आदेश चैहान, मनोज तिवारी, गोपाल राणा, सुमित हृदयेश, अनुपमा रावत, विरेन्द्र कुमार जाति, रवि बहादुर, प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि उपस्थित रहे।
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने यह भी बताया कि तिलक राज बेहड एवं राजेन्द्र सिंह भण्डारी अस्वस्थ होने के कारण पदभार ग्रहण कार्यक्रम में नहीं पहुंच पाए। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के क्षेत्र में सड़क हादसा होने तथा विक्रम सिंह नेगी पारिवारिक समारोह में व्यस्तता के चलते कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके। लोहाघाट विधायक खुशहाल सिंह अधिकारी ने पत्र के माध्यम से अपनी पारिवारिक परिस्थितियों के चलते उपस्थित होने मे असमर्थता जताई।
बोले यशपाल आर्य
पदभार ग्रहण के उपरान्त यशपाल आर्य ने पार्टी नेतृत्व को विश्वास दिलाया कि वे उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेंगे तथा जनहित के मुद्दों को पार्टी के सभी सम्मानित विधायकों के सहयोग से सदन में पूरी शिद्दत से उठायेंगे तथा जनता के हित की हर लडाई लडेंगे। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड की जनता और काग्रेस पार्टी विधान मंडल दल के सदस्यों के आशीर्वाद तथा कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व के विश्वास से मै आप लोगों के सामने उत्तराखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष के रूप में उत्तराखंड की जनता की सेवा के लिए प्रस्तुत हॅूं।
उत्तराखंड की जनता ने हमें विपक्ष की भूमिका में रखकर जनता की आवाज को बुलंद करने हेतु जनादेश दिया है। कांग्रेस पार्टी भले ही जीत कर सरकार नही बना पाई हो, लेकिन प्रदेश के कुल मतदाताओं में से 36 फीसद ने काग्रेस पार्टी पर भरोसा किया है।
उन्होंने कहा कि हम जनादेश को विनम्रता पूर्वक स्वीकार करते हुए सकारात्मक और सजग विपक्ष की भूमिका में रहते हुए राज्यहित में और राज्य की जनता की बेहतरी और खुशहाली के लिए कार्य करने को तैयार है। कांग्रेस पार्टी स्वच्छ लोकतात्रिक मूल्यों पर विश्वास करती है। इसलिए विधान सभा के भीतर और बाहर लोकतात्रिंक परम्पराओं के अनुसार सकारात्मक विरोध की राजनीति करेगें। 19 सदस्यों वाला कांग्रेस विधायक दल भले ही सत्तापक्ष की तुलना में सख्यांबल में छोटा हो, लेकिन हमारा विधायक दल विविधताओं से भरा है। इसमें प्रीतम सिंह जैसे राज्य के सबसे वरिष्ठ विधायकों में से एक हैं, तो हमारे इस विधान सभा में ऊर्जा से लवरेज पांच विधायक भी है।
उन्होंने कहा कि विधायक मंडल दल में पंचायतों में विभिन्न स्तरों पर जो प्रतिनिधित्व कर विधायक तक पहुंचे। विधायक हैं, पूर्व मंत्री हैं तो ममता राकेश और अनुपमा के रूप में दो महिला विधायक भी सम्मिलित हैं। मै पूरे भरोसे के साथ कह सकता हॅूं कि हमारे विधायक संम्पूर्ण देवभूमि उत्तराखंड और उत्तराखडिंयत का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं और पूरे उत्तराखंड की आवाज बन सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष के रूप में मेरी कोशिश होगी कि विधान सभा का अधिकतम प्रयोग प्रदेश की जनता की खुशहाली और प्रगति के लिए करें।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उत्तराखंड में विधान सभा के सत्रों की समायावधि धीरे-धीरे कम होती जा रही है। उत्तराखंड विधानसभा के सत्रों की समयावधि की तुलना यदि हमारे साथ बने दो राज्य झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ ही हम अपने पड़ोसी राज्य हिमांचल से करें तो इन सभी राज्यों की तुलना में उत्तराखंड में विधान सभा के सत्रों की समायावधि बहुत छोटी है।
उन्होंने कहा कि विधान सभा के सत्र छोटे होने से माननीय विधायकों को विधान सभा में अपने क्षेत्र और प्रदेष के जनता की आवाज उठाने के लिए बेहद कम समय मिलता है। हम सरकार पर लम्बे और प्रभावी विधान सभा सत्र आहूत करने हेतु दबाव डालगें। सरकार को यदि सत्र की समयावधि बढानी है तो सरकार को पहले से ही तैयारी कर विधान सभा के लिए सरकारी कार्य और विधायन की मात्रा बढ़ानी होगी। क्योंकि बिना सरकारी काम काज के सत्र चलाना मुश्किल होता है।
यशपाल आर्य ने कहा कि अभी भी प्रदेष में सैकडों तरह के विधायन कार्य अधूरे हैं। हम अनेको कानूनों और नियमावलियों के लिए अपने पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश पर निर्भर हैं। कांग्रेस सरकार के समय विधान सभा से पास कर महामहिम राज्यपाल को स्वीकृति के लिए भेजे गये लोकायुक्त कानून और राजकीय सेवाओं में राज्य आन्दोलनकारियों से सम्बन्धित कानून अभी भी स्वीकृत होकर नहीं आये हैं। सरकार को शीर्ष स्तर के भ्रष्टाचार पर रोक लगाने तथा राज्य आन्दोलनकारियों को सम्मान देने के लिए इन दोनों विधेयको और ऐसे अनेकों विधेयको पर फिर से कार्य शुरू करना चाहिए। इसलिए सरकार अब सदन चलाने के लिए प्रर्याप्त सरकारी काम-काज का बहाना नहीं बना सकती है।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार उत्तराखंड की जनता के हित और जनता की परेशानियों को हल करने के लिए प्रर्याप्त संख्या में विधेयक नहीं लाती है तो मजबूर होकर हम उन विषयों पर कांग्रेस विधानमंडल दल के विधायकों के द्वारा प्राईवेट मेम्बर बिल सदन में प्रस्तुत करेगें। जो सरकार को आईना दिखाने का काम करेंगे। पिछली विधान सभा में कांग्रेस के विधायकों द्वारा लाये गये प्राईवेट मेम्बर बिल चारधाम देबस्थानम बोर्ड कानून को निरस्त करने में महत्वपूर्ण हथियार व कारण बना था।
इसी तरह उत्तराखंड जमींदारी उन्मूलन कानून में गलत बदलाओं को समाप्त करने वाले प्राईवेट मेम्बर बिल के कारण सरकार दबाव में आई और सशक्त भू-कानून के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई थी। हालाकि सशक्त भू-कानून के मामले में अभी भी सरकार एक कदम भी आगे नही बढ़ पाई है। कांग्रेस विधानमंडल दल के विधायकगण व्यापक राज्य हित के विषयों को विभिन्न नियमों के तहत उठायेंगे। प्रश्नकाल का पूरा सदुपयोग किया जायेगा। हमारी कोशिश होगी कि हम न केवल विधान सभा में सरकार के कदम भटकने पर उन्हें चेतायेंगे, बल्कि संवैधानिक प्रक्रिया के तहत सरकार को रास्ता दिखाते हुए बेहतर विकल्प भी देंगे।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार सदन में संख्या बल के दम पर हमारे सकारात्मक विकल्पों को दबाती है या स्वीकार नही करती है तो हम कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओें के द्वारा इन विकल्पो को लेकर जनता के सामने जायेंगे और जनता के साथ मिलकर उत्तराखंड के बेहतरी के लिए सड़को पर संघर्ष करेगें। इन सभी कार्यो के लिए मुझे और कांग्रेस के विधानमंडल दल को उत्तराखंड की जनता का आशीर्वाद और सहयोग मिलता रहेगा, ऐसा मेरा भरोसा है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की प्रेस और मीडिया ने देश के स्वत्रंत्रा संग्राम से लेकर उत्तराखंड राज्य आंदोलन को बहुत ही जिम्मेदारी से और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मेरा उत्तराखंड की प्रेस और विभिन्न माध्यमों के पत्रकार साथियों से निवदेन है कि आप विपक्ष की इस सकारात्मक लडाई में सहयोग देगें और इन सकारात्मक मुद्दो को विभिन्न माध्यमों से जनता के बीच पहुंचाने में विपक्ष की सहायता करेंगे।
राज्यपाल से मिले और दिया ज्ञापन
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व सीएम हरीश रावत, प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा सहित कांग्रेस विधायकों ने राजभवन में राज्यपाल से भेंट कर हनुमान जयंती के दिन हरिद्वार के भगवानपुर में हुई हिंसक घटना को लेकर ज्ञापन दिया और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की।
राज्य के शहीद आंदोलनकारियों को किया नमन
उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष यशपाल ने कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत देहरादून कचहरी स्थित शहीद स्थल पहुंचकर उत्तराखंड के शहीदों को नमन किया एवं श्रद्धा सुमन अर्पित किए। आर्य ने कहा उत्तराखंड के आंदोलनकारियों ने प्रदेश को लेकर एक सपना देखा था, जिसमें दूरस्थ ग्रामीण अंचल में रहने वाले के हितों की रक्षा हो सकेष अपने प्रदेश में निकलने वाली भर्तियों पर पहला अधिकार यहाँ के मूल निवासियों का हो। यहाँ के संसाधनों पर उसका भी हक़ हो, लेकिन आज हकीकत इससे परे है। आज उत्तराखंड का वासी ही उत्तराखंड में सबसे ज्यादा शोषित और वंचित है ऐसे में इस व्यवस्था को ठीक किए जाने की जरूरत है। राज्य आंदोलनकारियों के क्षेतिज आरक्षण को लेकर भी आर्य ने चिंता जताई।
कांग्रेस विधायकों की अनुपस्थिति की खबर भ्रामकः गरिमा मेहरा दसौनी
उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी की गढ़वाल मंडल मीडिया प्रभारी एवं प्रदेश प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसोनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि आज मीडिया में सत्ता पक्ष के द्वारा विपक्ष के विधायकों की गैरमौजूदगी की भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं। दसोनी ने कहा कि यह बात सच है के प्रदेश अध्यक्ष के पदभार ग्रहण समारोह में और नेता प्रतिपक्ष के कार्यभार ग्रहण के अवसर पर कांग्रेस के आधे विधायक गण नहीं उपस्थित हो पाए, परंतु हर एक विधायक की अनुपस्थिति के पीछे वाजिब कारण हैं।
दसोनी ने बताया की बद्रीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी एवं किच्छा विधायक तिलकराज बेहड़ जी स्वास्थ्य ठीक ना होने के कारण दोनों ही अवसरों पर अनुपस्थित रहे। वहीं चकराता विधायक एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के क्षेत्र में बड़ी दुर्घटना हुई है, जिसमें एक ही परिवार के 4 लोगों की क्षति हुई है। इसी वजह से प्रीतम सिंह जी दोनों ही अवसर पर नहीं पहुंच पाए।
नानकमत्ता विधायक गोपाल सिंह राणा जी प्रदेश से बाहर होने की वजह से प्रदेश अध्यक्ष के स्वागत समारोह में नहीं पहुंच पाए, परंतु आज नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य जी के पदभार ग्रहण समारोह में उपस्थित रहे। गरिमा ने यह भी बताया की भगवानपुर विधायक ममता राकेश एव पिरान कलियर से विधायक फुरकान अहमद के क्षेत्र में चल रहे धार्मिक उन्माद की घटनाओं के कारण प्रदेश अध्यक्ष के स्वागत समारोह में नहीं पहुंच सके। इसका उन्होंने खेद जताया। दोनों ही विधायक आज विधानसभा परिसर में नेता प्रतिपक्ष के कार्यभार ग्रहण समारोह में उपस्थित रहे।
वहीं लोहाघाट विधायक खुशाल सिंह अधिकारी ने पत्र लिखकर प्रदेश अध्यक्ष करण महारा एवं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य से निजी कारणवश उपस्थित ना होने की वजह से खेद जताया है। गरिमा मेहरा दसोनी ने कहा कि आज सत्तापक्ष को इस बात की चिंता नहीं है कि उनकी कैबिनेट बैठकों में मंत्री और अधिकारी अनुउपस्थित हो रहे हैं, लेकिन उनका पूरा ध्यान इस तरफ केंद्रित है कि विपक्ष के आयोजनों में कौन आ रहा है कौन नहीं। दसोनी ने सत्ता पक्ष को नसीहत देते हुए कहा कि सत्तापक्ष को चाहिए कि वह प्रदेश के विकास में और शासन प्रशासन की कमियों को दूर करने में अपना ध्यान केंद्रित करें ना कि विपक्ष पर ही अपनी पूरी एनर्जी और क्षमता लगा दे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।