लेखक, कवि, साहित्यकार, आलोचक और रंगकर्मी विजय गौड नहीं रहे, उनसे हमारी भी जुड़ी हैं यादें
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आज सुबह सात बजे प्रसिद्ध रंगकर्मी, लेखक, कवि, साहित्यकार और आलोचक विजय गौड का निधन हो गया। उन्होंने मैक्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। विजय गौड के साथ हमारी भी यादें जुड़ी हैं, जो रंगकर्म की हैं। देहरादून की प्रसिद्ध नुक्कड़ नाट्य संस्था दृष्टि में विजय गौड और मैने साथ काम किया। हम एकसाथ नैनीताल सहित उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों में नाटक के प्रदर्शन के लिए जाते रहे। वो दौर करीब 1990 के आसपास का था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज गुरुवार 21 नवंबर की सुबह लगभग सात बजे विजय गौड ने देहरादून के मैक्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। इसी रविवार 17 नवंबर को अचानक उनका स्वास्थ्य बिगड़ा था। इसके बाद उन्हें पहले कनिष्क अस्पताल और बाद में मैक्स अस्पताल में भर्ती किया गया। जांच में पता चला कि उन्हें हार्टअटैक पड़ा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हालांकि मैक्स में पहले ही दिन स्टंट डाल दिया गया था, पर उनकी हालत नहीं सुधरी और अंततः आज उन्होंने आज इस दुनिया को अलविदा कह दिया। यारों के यार विजय गौड को रंगकर्मियों, साहित्य से जुड़े लोगों के साथ ही देहरादून में युगवाणी परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मूल रूप से चमोली जिले के निवासी विजय गौड के परिवार में पत्नी पूर्ति गौड, बेटी पवि हैं। वे हमेशा जीवट से भरे रहते थे। कविता कहानी के साथ साथ उन्होंने उपन्यास भी लिखा। कुछ आलोचनात्मक लेखन भी उनके नाम है। अभी पिछले 18 अक्तूबर 2024 को उन्होंने बिटिया पवि की शादी की थी। वह देहरादून में नथनपुर क्षेत्र में इंद्रप्रस्थ कालोनी में रह रहे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विजय गौड़ का जन्म 16 मई, 1968 को देहरादून, उत्तराखंड में हुआ। 13 नवंबर तक वह सोशल मीडिया फेसबुक में एक्टिव रहे। उन्होंने उस दिन कथाकार नवीन कुमार नैथानी को जन्मदिन की बधाई दी। विजय गौड अच्छे रंगकर्मी भी रहे। साथ ही उनकी रचनाओं को हमेशा याद किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक बार नैनीताल में नाट्य समारोह में शामिल होने के लिए विजय गौड और दृष्टि के अन्य साथियों एबी राणा, कुलदीप मधवाल, विजय शर्मा, शूरवीर त्यागी, जनकवि अतुल शर्मा, विक्टर थामस के साथ मैं भी जा रहा था। तब बस में डॉ. अतुल शर्मा और विजय गौड ने मिलकर बस में ही एक कविता गढ़ ली। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘सबसे ठीक नदी का रास्ता’, ‘मरम्मत से काम बनता नहीं’, ‘चयनित कविताएँ’ (कविता-संग्रह); ‘फाँस’, ‘भेटकी’, ‘आलोकुठि’ (उपन्यास); ‘खिलंदड ठाट’, ‘पोंचू’ (कहानी-संग्रह) आदि। वह रक्षा संस्थान के उत्पादन विभाग में कार्यरत थे। बताया जा रहा है कि आजकल वह एक नाटक की रिहर्सल कर रहे थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।