नवरात्र का तीसरा दिनः आज कीजिए मां चंद्रघंटा का पूजन, जानिए मां को क्या लगाएं भोग
नवरात्र में दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का पूजन नवरात्रि को तीसरे दिन किया जाता है। मां अपने माथे पर अर्द्ध चंद्र धारण करती हैं। जिसके कारण इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। इनके घंटे की ध्वनि से सभी बुरी शक्तियां डर कर दूर भागती हैं। ये सिंह पर विराजती हैं। इनका शरीर स्वर्ण के समान चमकीला है। इनकी पूजा वाले दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में स्थापित होता है। यहां डॉ. आचार्य सुशांत राज बता रहे हैं कि मां की पूजा कैसे करें। मां चंद्रघंटा को खीर का भोग लगाना चाहिए। साथ ही सेब और लाल रंग के पुष्प अर्पित करने चाहिए। मां का यह स्वरूप दुष्टों का संहार करने वाला है।
चंद्रघण्टा
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघण्टा है। नवरात्र उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन व आराधना की जाती है। इनका स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। हमें चाहिए कि हम मन, वचन, कर्म एवं शरीर से शुद्ध होकर विधि−विधान के अनुसार, मां चंद्रघंटा की शरण लेकर उनकी उपासना व आराधना में तत्पर हों। इनकी उपासना से हम समस्त सांसारिक कष्टों से छूटकर सहज ही परमपद के अधिकारी बन सकते हैं।
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आचार्य का परिचय
नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शिव मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।