विश्व तम्बाकू निषेध दिवसः एम्स के विशेषज्ञों ने किया तंबाकू के खतरों से आगाह, महाविद्यालय में हुई गोष्ठी

तंबाकू निषेध दिवस पर प्रदेश भर में गोष्ठियों का आयोजन कर इसके खतरों से आगाह किया गया। बताया कि तम्बाकू का सेवन न केवल मुंह के कैंसर का कारण है, अपितु यह फेफड़ों में भी कैंसर पैदा करता है। स्थिति यह है कि प्रतिवर्ष तम्बाकू का सेवन करने से प्रत्येक 10 में से 1 व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। इस पर रोक लगाने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को अपनी भूमिका निभानी होगी। मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण तम्बाकू का सेवन करना है। जो लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं उन्हें मुंह के कैंसर की शत प्रतिशत संभावना होती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह शरीर में कई अन्य बीमारियों का कारण भी बनता है।
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर अपने संदेश में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कान्त ने कहा कि तम्बाकू हृदय की कोरोनरी वाहिकाओं को प्रभावित करता है। इसकी वजह से हृदय में रक्त की आपूर्ति की कमी हो जाती है। इसे इस्कीमिक या कोरोनरी हृदय रोग कहते हैं। उन्होंने बताया कि मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण तम्बाकू ही है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक 10 में से 1 व्यक्ति की मृत्यु तम्बाकू के सेवन की वजह से हो जाती है। उन्होंने तम्बाकू सेवन को स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक बताया। बताया कि विश्वभर में तम्बाकू का सेवन पूरी तरह से रोकने अथवा कम करने के लिए वर्ष 1988 से विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने आह्वान किया कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को तम्बाकू सेवन से बढ़ते जानलेवा खतरे को समझने की जरूरत है।
एम्स के सर्जिकल ओंकोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. एसपी अग्रवाल जी ने बताया कि तम्बाकू का सेवन करने वाले लोगों में अन्य लोगों की तुलना में कैंसर का खतरा 6 से 8 गुना ज्यादा होता है। यदि तम्बाकू सेवन करने वाला व्यक्ति शराब का भी आदी हो तो फिर यह खतरा 10 गुना बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि जो लोग बीड़ी, सिगरेट, चिलम अथवा हुक्का आदि से तम्बाकू का सेवन करते हैं ऐसे लोग जीभ अथवा तालुका के कैंसर से ग्रसित हो जाते हैं। तम्बाकू को पान आदि में मिलाकर खाने वाले लोगों में जबड़े और गाल का कैंसर होता है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि कैंसर होने से पहले के लक्षणों के नजर आने पर यदि समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए तो इसके गंभीर नुकसानों से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि मुंह में पानी का ठंडा या गर्म लगना, गाल अथवा मुंह में छाले उभरना, मुंह का कम खुलना और मुंह में बदबू आना आदि तम्बाकू के सेवन से होने वाले मुंह के कैंसर के प्राथमिक लक्षण हैं। इन लक्षणों के नजर आने पर तत्काल उपचार शुरू कर देना चाहिए। इसके अलावा तम्बाकू का सेवन करने वालों को फेफड़ों का कैंसर भी हो जाता है। यह विभिन्न कारणों से स्वास्थ्य के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि स्कूल-कॉलेज के अध्यापकों, समाजसेवी संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों और समाज के प्रत्येक वर्ग को इस मामले में जन जागरुकता के लिए बढ़चढ़कर सहभागिता की आवश्यकता है।
महाविद्यालय में गोष्ठी आयोजित
राम चन्द्र उनियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, उत्तरकाशी के तम्बाकू निषेध प्रकोष्ठ के सौजन्य से एवं जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सह-सौजन्य से दिनांक गुगल मीट माध्यम से एकदिवसीय ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। इसका शीर्षक “तम्बाकू सेवन की आदत – करे कोरोना एवं अन्य रोगों का स्वागत” रहा। वेबिनार में विषय विशेषज्ञों, छात्र-छात्राओं एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकों ने तम्बाकू प्रयोग के शारिरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य और समाज पर पड़ने वाले विभिन्न नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा की गई ।
कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. सविता गैरोला ने प्रतिभागियों को तम्बाकू सेवन से दूर रहने संबधी शपथ भी दिलाई। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर तम्बाकू मुक्त समाज के लिए युवाओं से किये गए आह्वान के संबंधित वीडियो का भी प्रसारण किया गया । इसके साथ ही वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसo डी. सकलानी एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. बीके विश्वास ने भी वीडियो क्लिप के द्वारा भी तम्बाकू सेवन के दुष्प्रभावों से युवाओं को अवगत कराया गया।
कार्यक्रम में बीएससी प्रथम वर्ष के अभिषेक बंथवान, स्वाती नौटियाल, बीएससी द्वितीय वर्ष की गोल्डी प्रजापति एवं एमएससी सेमेस्टर प्रथम की कृष्णा कैंतुरा ने प्रभावशाली तरीके तम्बाकू निषेध पर अपने विचार प्रस्तुत किये । वेबिनार के मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. डीडी पैन्यूली जी ने तम्बाकू सेवन से जुड़े वैज्ञानिक, वैधानिक, सामाजिक बिंदुओं पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया ।
इस मौके पर जिला सलाहकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ज्ञानेन्द्र पँवार, वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. महेंद्र परमार, डॉ. आकाश चंद्र मिश्र, प्रो. वसन्तिका कश्यप ने भी विचार रखे। कार्यक्रम में महाविद्यालय तम्बाकू निषेध प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ ऊषा रानी नेगी, डॉ कमल बिष्ट, डॉ मनोज फोन्दनी, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ नंदी गड़िया, डॉ दिवाकर बौद्ध, डॉ जयलक्ष्मी रावत, डॉ एम पी तिवारी, डॉ रुचि कुलश्रेष्ठ, डॉ वीर राघव खंडूड़ी, डॉ विश्वनाथ राणा, डॉ रिचा बधानी, डॉ आराधना चौहान, डॉ सृष्टि, डॉ अर्जुन, डॉ अनामिका, डॉ नेपाल सिंह आदि प्राध्यापकगण एवं छात्र छात्राएं ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।