क्या फिर से बदले जाएंगे पांच सौ और एक हजार के पुराने नोट, जानिए आरबीआई के इस संदेश की सच्चाई
नोटबंदी का दिन शायद हर किसी को याद होगा, जब एक झटके में पांच सौ और एक हजार के नोट बंद कर दिए गए थे। इसके कई फायदे गिनाए गए और कई दिनों तक नोट को बदलवाने के लिए बैंकों में लंबी लाइनें लगनी शुरू हो गई थी। अब काफी समय से सोशल मीडिया में पांच सौ और एक हजार के नोट को लेकर फिर से एक मैसेज वायरल हो रहा है। ये मैसेज आरबीआई की ओर से बताया गया। इस मैसेज में कहा जा रहा है कि अगर आपने भी उस समय पर 500 और 1000 रुपये के नोटों को नहीं बदला था तो अब आपके पास में एक और मौका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का एक लेटर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस लेटर में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट को बदलने को लेकर है। वायरल लेटर में दावा किया गया है कि RBI ने विदेशी नागरिकों के लिए भारतीय डिमॉनेटाइज्ड करेंसी नोट को एक्सचेंज करने की सुविधा को और आगे बढ़ा दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या है सच्चाई
इस पोस्ट की जांच की गई तो गंभीरता को देखते हुए प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो की फैक्ट चेक टीम (PIB Fact Check) ने इस मामले की जांच-पड़ताल की और इसकी सच्चाई सामने लाई। पीआईबी ने इस वायरल पोस्ट का फैक्ट चेक किया है। पीआईबी फैक्ट चेक ने कहा कि विदेशी नागरिकों के लिए 500-1000 के पुराने नोट की एक्सचेंज करने की सुविधा को और आगे बढ़ाने का दावा फेक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस दावे को लेकर ट्वीट करते हुए कहा गया है कि कि विदेशी नागरिकों के लिए इंडियन डिमोनेटाइज करेंसी नोटों को बदलने की सुविधा 2017 में समाप्त हो गई है। 500 और 1000 के नोटों के बदलने को लेकर ऐसा कोई आदेश नहीं जारी किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस दिन से हुई थी नोटबंदी
8 नवंबर 2016 की तारीख सभी को याद है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने रात 8 बजे 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को बंद करने का एलान किया था। हालांकि नोट बदलने के लिए केंद्र सरकार ने कई नियम भी बनाए थे। नोटबंदी के इस फैसले से देश में कुछ दिनों तक कैश की किल्लत भी हुई थी। हालांकि, तब सरकार ने नोटबंदी के कई फायदे गिनाए थे। कहा था कि आतंकवाद की कमर टूट जाएगी। कालाधन वापस आएगा। नकली नोट बाजार से गायब हो जाएंगे। इस दावे की भी हवा निकल गई थी। ना ही कालाधन वापस आया और ना ही आतंकवाद समाप्त हुआ। इसकी एवज में पांच सौ और दो हजार के नए नोट चलाए गए थे। इनमें दो बजार के नोट भी अब बाजार से गायब हैं। वहीं, नकली नोटों के मामले भी कम नहीं हुई हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।