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November 21, 2024

क्या धरती में सिर्फ महिलाएं ही लेंगी जन्म, पुरुष हो जाएंगे कम, फिर मिट जाएगा इंसान का अस्तित्व, जानिए कारण और दावे

वैज्ञानिक धरती में इंसान से लेकर जीव जंतुओं पर निरंतर शोध करते रहते हैं। इसके साथ ही उनके नए दावे भी शुरू हो जाते हैं। वैज्ञानिकों की ओर से ऐसा दावा किया जा रहा है, जो पुरुषों के लिए चिंताजनक हो सकता है। इस दावे से तो ऐसा ही लगता है कि भविष्य में लड़कों का जन्म नहीं होगा। सिर्फ लड़कियां पैदा होंगी। एक ताजा स्टडी में कहा गया है कि लड़कों के जन्म के लिए जिम्मेदार Y क्रोमोसोम (Y Chromosomes) या गुणसूत्र बहुत तेजी से खत्म हो रहे हैं। अगर यही स्थिति रही तो कुछ पीढ़ियों बाद सिर्फ लड़कियां ही पैदा होंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

धीरे धीरे सिकुड़ रहा वाई क्रोमोसोम
रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि पुरुष-निर्धारक जीन, Y क्रोमोसोम, धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है और पूरी तरह से गायब हो सकता है। वाई क्रोमोसोम में कमी का मतलब है कि एक ऐसी दुनिया, जहां केवल लड़कियां ही पैदा होती हैं। जब तक कि कोई नया लिंग-निर्धारण जीन विकसित न हो जाए। हालांकि, प्रकाशित शोध से पता चलता है कि कांटेदार चूहों ने पहले से ही एक नया नर-निर्धारण जीन विकसित कर लिया है, जो मनुष्यों के लिए संभावित विकास पथ का संकेत देता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जानिए वाई क्रोमोसोम के बारे में
Y क्रोमोसोम इंसानों में पाए जाने वाले दो क्रोमोसोम में एक है। दूसरा क्रोमोसोम या गुणसूत्र है X है। मनुष्यों और अधिकांश अन्य स्तनधारियों में दो सेक्स क्रोमोसोम होते हैं- एक X और दूसरा Y होता है। ये क्रोमोसोम जो किसी व्यक्ति का लिंग निर्धारण करते हैं। महिलाओं के सेल्स में में दो X क्रोमोसोम होते हैं, जबकि पुरुषों में एक X और एक Y होता है। हालांकि इन क्रोमोसोम या गुणसूत्र के नाम का इनके आकार से कोई लेना-देना नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

क्रोमोसोम से होता है लिंग निर्धारण
X क्रोमोसोम में लगभग 900 जीन होते हैं, जो लिंग निर्धारण के अलावा तमाम तरह के काम करते हैं। वहीं, Y क्रोमोसोम में करीब 55 जीन और बहुत सारे नॉन-कोडिंग डीएनए होते हैं। ये भ्रूण को पुरुष या मेल के तौर पर विकसित होने में मदद करता है। ला ट्रोब यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक गर्भधारण के लगभग 12 सप्ताह बाद Y क्रोमोसोम वाला मास्टर जीन, दूसरे जीन्स को एक्टिव कर देता है। साथ ही ये तय करते हैं कि बच्चा एक लड़के के रूप में विकसित हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जानिए नई स्टडी के बारे में
द वीक में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक वाई क्रोमोसोम का ज़्यादातर हिस्सा ‘जंक डीएनए’ से बना है और इसकी संरचना अस्थिर है। इसी वजह से कुछ पीढ़ियों के बाद पुरुषों में Y क्रोमोसोम पूरी तरह खत्म होने का खतरा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि पुरुषों के पास क्रोमोसोम की सिर्फ एक कॉपी होती है। इसलिये जेनेटिकली रिबिल्ड होने की संभावना भी नहीं है। चूंकि ये जेनेटिकली रिबिल्ड नहीं होते हैं। इसलिये ये जीन समय के साथ खराब हो जाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वाई क्रोमोसोम खत्म होने में लग सकता है इतना समय
स्टडी के मुताबिक कभी वाई क्रोमोसोम में भी कभी X क्रोमोसोम की तरह 900 के आसपास जीन थे, जो अब घटते-घटते सिर्फ 55 रह गए हैं। अगर यही ट्रेंड रहा तो आने वाले 11 मिलियन सालों में वाई क्रोमोसोम पूरी तरह से गायब हो सकता है। इसका मतलब यह है कि तब लड़के पैदा नहीं होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

क्या खत्म हो सकता है इंसानों का अस्तित्व
अब सवाल ये है कि क्या Y क्रोमोसोम खत्म होने के बाद धरती से इंसान भी खत्म हो जाएंगे? क्रोमोसोम पर शोध करने वाली प्रोफेसर जेनी ग्रेव्स कहती हैं कि संभव है कि Y क्रोमोसोम खत्म होने के बाद इंसानों का अस्तित्व खत्म हो जाए। या तब तक कोई नया सेक्स क्रोमोसोम डेवलप हो जाए। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मूताबिक कांटेदार चूहे (चूहों की एक प्रजाति) ने अपना Y क्रोमोसोम खो दिया था, लेकिन वे नया जीन डेवलप करने में सफल रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रोफेसर जेनी ग्रेव्स ने कहा कि यह खोज एक वैकल्पिक संभावना का समर्थन करती है कि मनुष्य एक नया लिंग-निर्धारण जीन विकसित कर सकता है, लेकिन यह अभी भी उतना आसान नहीं हो सकता है। एक नए लिंग-निर्धारण जीन का विकास जोखिम के साथ आता है। उन्होंने कहा कि प्लैटिपस में XY जोड़ी सिर्फ एक साधारण क्रोमोसोम है, जिसमें दो समान सदस्य हैं, जो सुझाव देते हैं कि स्तनपायी X और Y बहुत समय पहले क्रोमोसोम की एक सामान्य जोड़ी थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने आगे कहा कि बदले में, इसका मतलब यह होना चाहिए कि 166 मिलियन वर्षों में Y क्रोमोसोम ने 900 से 55 सक्रिय जीन खो दिए हैं, जब मनुष्य और प्लैटिपस अलग-अलग विकसित हो रहे हैं। यह प्रति दस लाख वर्ष में लगभग पांच जीनों की हानि है। इस दर पर अंतिम 55 जीन 11 मिलियन वर्षों में समाप्त हो जाएंगे।
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