जहां थी आबादी, वहां तबाही का मंजर, मलबे में खोज रहे सांसे, उत्तराखंड का इंजीनियर लापता, चमत्कार से बची कई जान
तुर्की और सीरिया में विगत 6 फरवरी को आए विनाशकारी भूकंप के बाद अब वहां तबाही के मंजर हैं। कभी खूबसूरत से ये शहर आज मलबे के ढेर में तब्दील नजर आ रहे हैं। भूकंप से दोनों देशों में 21 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। दोनों देशों के हालात बदतर हो गए हैं। बचाव कार्य जारी है। साथ ही मलबे के ढेर में सांसों की तलाश हो रही है। कई चमत्कार के चलते जिंदा बच निकले हैं। तो कई के मिलने की परिजनों को आस है। ऐसे लोगों में उत्तराखंड का एक इंजीनियर भी है, जिसकी आस लगाए परिजन परेशान हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत में भी भेजी है सहायता
भूकंप से हजारों लोग घायल हुए हैं। मलबे में दबे लोगों को निकालने का काम तेजी से जारी है। भूकंप के चार दिन बीत चुके हैं ऐसे में मलबे में दबे लोगों के जिंदा रहने उम्मीद काफी कम हो गई है। वहीं तुर्की और सीरिया में कड़ाके की ठंड से भी रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही हैं। भारत ने भी एनडीआरएफ की कई टीमें राहत और बचाव कार्य के लिए तुर्की भेजी है। अगली टीम भी राहत की सामग्री और दवाईयां लेकर जाने के लिए तैयार है। भारत संकट की इस घड़ी में मिशन दोस्त के तहत तुर्की की पूरी मदद कर रहा है। एनडीआरएफ ने कई लोगों को मलबे से जिंदा भी निकाला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बारिश और बर्फबारी से राहत में आ रही बाधा
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि बर्फबारी और बारिश के कारण भूकंप से प्रभावित दोनों ही देशों में बचाव कार्य प्रभावित हो रहा है। इमरजेंसी सर्विसेज की टीमों को रेस्क्यू में काफी दिक्कत हो रही है। तुर्की के कई शहरों में तापमान 9 से माइनस 2 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसी स्थिति में लोगों को हाइपोथर्मिया होने का खतरा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक के बाद एक आए भूकंफ के कई झटके
सीरिया और तुर्की में 6 फरवरी को सुबह भूकंप के 3 बड़े झटके महसूस किए गए थे। तुर्की के वक्त के मुताबिक, पहला भूकंप सुबह करीब चार बजे (7.8), दूसरा करीब 10 बजे (7.6) और तीसरा दोपहर 3 बजे (6.0) आया। वहीं, 243 आफ्टर शॉक्स भी दर्ज किए गए। इनकी तीव्रता 4 से 5 रही। 7 फरवरी सुबह तुर्की में फिर से भूकंप आया। जिसकी तीव्रता 8.53 दर्ज की गई। इसी दिन दोपहर 12.41 बजे 5.4 तीव्रता का भूकंप आया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड का इंजीनियर तुर्की में लापता
उत्तराखंड का इंजीनियर तुर्की में आए भीषण भूकंप का शिकार हो गया है। वह लापता है। तलाश शुरू हुई है। दरअसल, देहरादून में रहने वाले 36 वर्षीय प्लांट इंजीनियर विजय कुमार लापता हो गए हैं। वे तुर्की के अनातोलिया क्षेत्र में गैस प्लांट के निर्माण और उसे शुरू कराने की योजना पर काम करा रहे थे। भूकंप के बाद से परिजनों का उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विजय कुमार देहरादून के बालावाला इलाके में रहते हैं। वे बेंगलुरु के ऑक्सीप्लांट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में प्लांट इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे। कुल्कु गज नामक एक कंपनी के लिए वे एसिटिलीन गैस प्लांट के निर्माण और चालू करने के लिए तुर्की गए थे। तुर्की में औद्योगिक गैस आपूर्ति कंपनी के लिए काम करा रहे थे। इसी दौरान आए भीषण भूकंप में उनके लापता होने की सूचना आई है। सूचना के बाद से ही देहरादून में परिवार के लोग चिंतित और परेशान हैं। वहीं, सरकार की ओर से तुर्की में फंसे लोगों को निकालने के लिए प्रयास शुरू किया गया है। एनडीआरएफ की टीम भी रवाना की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विदेश मंत्रालय में सचिव पश्चिम संजय वर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हमने अडाना (तुर्की) में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है। 10 भारतीय प्रभावित क्षेत्रों के दूरदराज के हिस्सों में फंसे हुए हैं, लेकिन वे सुरक्षित हैं। एक भारतीय नागरिक जो एक व्यावसायिक यात्रा पर था, लापता है। हम उसके परिवार और बेंगलुरु में कंपनी के संपर्क में हैं, जहां वे काम करते हैं। विजय के भाई अरुण कुमार ने कहा कि मेरा भाई सोमवार से लापता है। मैं भारतीय दूतावास के अधिकारियों के संपर्क में हूं। उन्होंने मुझे बताया है कि जिस प्लांट में विजय काम कर रहा था, उसके अंदर एक बचाव अभियान अभी भी चल रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अरुण कुमार ने बताया कि मुझे दूतावास द्वारा सूचित किया गया है कि तुर्की में बचाव दल को उस जगह के पास एक पेट्रोल पंप की उपस्थिति के कारण कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। माना जा रहा है कि विजय वहां फंसा हो सकता है। अरुण ने कहा कि मेरा भाई 23 जनवरी को कंपनी के दौरे पर तुर्की गया था। मैंने उससे आखिरी बार 5 फरवरी (रविवार) सुबह बात की थी। पूरा परिवार उसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विजय कुमार मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल जिले की लैंसडाउन तहसील के ढकसुना गांव का रहने वाला है। विजय बेंगलुरु में कार्यरत था। वहीं, उसकी पत्नी और छह साल का बेटा देहरादून के बालावाला इलाके में किराए के मकान में रह रहा था। परिवार उसके कुशल इस हादसे निकलने की प्रार्थना कर रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तरी सीरिया का एक इलाक़ा एफरीन में तबाही मचाने वाले भूकंप को आए कई घंटे बीत चुके हैं। बचाव कार्य चल रहा है। इस दौरान राहत कार्य में लगे लोग चौंक जाते हैं कि मलबे से कुछ घंटों पहले पैदा हुई बच्ची निकली। ये नवजात बच्ची जब मिली तब वो अपनी मां की गर्भनाल से जुड़ी हुई थी। मां मर चुकी थी, लेकिन बच्ची ज़िंदा थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बच्ची जहां मिली, वो उसका घर था। वही घर जहां कुछ घंटों पहले तक इस बच्ची के पैदा होने की तैयारियां चल रही थीं। अब इस घर के सभी सदस्य मर चुके हैं, जो ज़िंदा है उसे गोद में खिलाने के लिए परिवार का कोई नहीं बचा। इस बच्ची के पिता के चचेरे भाई ख़लील अल-सुवादी ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि ‘बच्ची के मां-बाप की लाशें एक-दूसरे के बगल में थीं। जब हम मलबा हटा रहे थे, हमें कुछ आवाज़ सुनाई दी। हमने और खुदाई की. हमने जब धूल और मलबा हटाया तो हमें बच्ची मां की गर्भनाल से जुड़ी मिली। हमने उसे अलग किया। हम बच्ची को बाहर निकालकर ले गए और अस्पताल में भर्ती करवाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
45 घंटे तक मलबे में फंसा रहा बच्चा मोहम्मद
एक बच्चा करीब 45 घंटे तक मलबे में दबा रहा। मलबा हटाने के दौरान देखा गया कि उसकी आंखें खुली हुई हैं। एक शख़्स उसे बोतल के ढक्कन से पानी पिलाया। बच्चे का नाम मोहम्मद है। बचावकर्मी उसे पानी पिलाते हैं और वह जैसे ही पानी पीता है तो तभी बचावकर्मी खुश हो जाता हैं। ये बच्चा सीरिया से है। स्काई न्यूज़ के मुताबिक़, बच्चे का नाम मोहम्मद अहमद है और वो भूकंप के बाद से ही मलबे में दबा हुआ था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
50 घंटे बाद सलामत निकला तोता
तुर्की के मलाट्या में परिंदे के साथ भी चमत्कार हुआ। तुर्की में मलबे से एक पालतू तोते को ज़िंदा बाहर निकाला गया। ये तोता जैसे ही बाहर निकला, ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा। बचाने वालों ने इस तोते को निकालकर एक बॉक्स में रखा और फिर सही जगह पर पहुंचा दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूरा परिवार ज़िंदा निकाला गया
सीरिया में जिस छत के नीचे पूरा परिवार 5 फरवरी को सोया था, उस जगह से घंटों बाद पूरा परिवार बाहर निकला। इस निकलने की चमत्कारिक और दुर्लभ बात ये थी कि पूरा परिवार ज़िंदा बाहर निकला था। इन लोगों को सीधा एंबुलेंस में ले जाया जाता है, जिसके बाद इन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भाई-बहन के प्यार को हिला नहीं पाया भूकंप
सीरिया का हारम गांव में घर की छत ना जाने कितने बच्चों पर भूकंप के कारण गिरी। ऐसी ही एक छत के नीचे दो भाई-बहन दब गए। लगभग 36 घंटों बाद जब बचाव दल के लोग यहां पहुंचे तो धूल दोनों के चेहरों पर भरी थी। मगर दोनों की आंखें खुली थीं और हरकत हो रही थी। सीएनएन की ख़बर के मुताबिक, ये दोनों बच्चे भाई-बहन हैं। बहन ने भाई को सिर के पास से पकड़ा हुआ था। बचाव दल के लोग जब यहां पहुंचे तो मरियम नाम की बच्ची बोली कि मुझे यहां से बाहर निकालो। मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूंगी। ज़िंदगी भर तुम्हारी गुलामी करूंगी।

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।