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November 9, 2024

कब होगा शिखरफाल से ऋषिपर्णा का अवतरण, कौन बनेगा नया भगीरथः भूपत सिंह

देहरादून का पुराना शहर कभी रिस्पना और बिंदाल नदी के बीच सिमटा हुआ था। अंग्रेजों ने नगर बसाने के कौशल अनुरूप देहरादून को ईस्ट कैनाल रोड़ व वेस्ट कैनाल रोड़ का तोहफा दिया।


देहरादून का पुराना शहर कभी रिस्पना और बिंदाल नदी के बीच सिमटा हुआ था। अंग्रेजों ने नगर बसाने के कौशल अनुरूप देहरादून को ईस्ट कैनाल रोड़ व वेस्ट कैनाल रोड़ का तोहफा दिया। कभी यह नहरें नगर के पर्यावरण को सहेज कर बहती थी। मौथरोवाला से लेकर, माजरा, निरंजनपुर और काँवली ग्राम के खेतों में गेहूँ व बासमती की फसल को सिंचाई हेतु जल इन्ही नहरों से मिलता था। यह नहरें गर्मी से भी शहरवासियों को सकून देती। रोजगार के लिए आटा पीसने के घराट (पन चक्की) चलते और पशुओं को पीने का पानी नसीब होता था।


दिलाराम बाजार में स्थापित वाटर वर्क्स अंग्रेजों की देहरादून को अनुपम देन है। नगरवासियों की प्यास बुझाने के लिए दूरदराज शिखरों की तलहटी में बसे राजपुर जैसे गांवों से पानी के प्राचीन सीआई पाईप और नहर अंग्रेजों के शासन – प्रशासन की तारीफ करने और सबक सीखने के लिए आज भी मौजूद हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने मुख्यमंत्री काल में दूनवासियों को एक सपना दिखाया था कि रिस्पना नदी का पुर्नोद्धार कर ऋषिपर्णा नदी को एक बार फिर से जीवनदान मिलेगा। रिस्पना को ऋषिपर्णा का स्वरूप देना निसंदेह भगीरथ प्रयास है और त्रिवेंद्र जी इस चुनौती को भली भांति समझते रहे हैं।
राजपुर में मुख्यधारा शिखर फाल से लेकर करनपुर, धर्मपुर या मौथरोवाला तक रिस्पना के तट पर वैध -अवैध कब्जों और बस्तियों को हटाना कल्पना में तो संभव है, लेकिन यथार्थ में पॉलिटिकल इच्छा शक्ति के बिना नामुमकिन है। यह पर्यावरण परियोजना नहीं, अपितु अवैध कब्जा हटाने के लिए वोट बैंक और भू माफियाओं के विरूद्ध महाभारत छेड़ने से कम नहीं है।


अब त्रिवेंद्र सिंह रावत के सरकार से हटते ही ऋषिपर्णा नदी का सपना ठंडे बस्ते में जा चुका है। अधिकारियों का सर्वे, लाखों पेड़ लगाने के दावे और देहरादून अस्थायी राजधानी को विश्वस्तरीय महानगर बनाने का दावा भी धूल में मिल गया है। आज शिखर फाल जो युवाओं में शेखर फाल के नाम से भी जाना जाता है। निरंकुश टूरिस्ट प्वांइट बना हुआ है और आसपास के कालेज छात्र – छात्रायें यहां मौज मस्ती करते देखे जा सकते हैं।
अब एक और भगीरथ की प्रतीक्षा रहेगी। जो नाले में तबदील रिस्पना को फिर से ऋषिपर्णा के रूप में सजीव करने का बीड़ा उठाये। फिलहाल तो दूनवासियों को गर्मी में पीने का पानी नसीब हो जाये, यही गनीमत है। अन्यथा किसी दिन ऋषिकेश से गंगा और विकासनगर से यमुना का जल नहर और पाइप में अस्थायी राजधानी दून तक लाने की परियोजना बनानी होगी।

लेखक का परिचय
भूपत सिंह बिष्ट, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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