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February 23, 2025

जल सुरक्षा और प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन, ग्रामीणों को किया गया जागरूक

उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद पंतनगर की ओर से वित्त पोषित परियोजना के अंतर्गत जल सुरक्षा एवं प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। इसमें ग्रामीणों को प्रशिक्षण देने के साथ ही जल सुरक्षा के प्रति जागरूक किया गया। इसके तहत डीएवी महाविद्यालय देहरादून, डीबीएस महाविद्यालय देहरादून, हर्ष विद्या मंदिर महाविद्यालय रायसी हरिद्वार के संयुक्त तत्वाधान में डोईवाला विकासखंड के अंतर्गत दूधली ग्राम पंचायत, कालसी विकासखंड के बदनु ग्राम में 12 और 13 मार्च को प्रशिक्षण दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं डीएवी महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. केआर जैन ने कहा धरती और इंसानी शरीर दोनो में 70 फीसद जल से निर्मित है। भारत के लगभग 70 फीसद रोग जल जनित होते हैं। इसलिये जल की खराब गुणवत्ता गंभीर स्वास्थ्य खतरा उत्पन्न करती जा रही है। जल गुणवत्ता का बार-बार परीक्षण कर इसके निष्कर्षों को ग्रामीणों से सार्वजनिक किया जाना चाहिए। इससे वे भी अपने क्षेत्र की जल गुणवत्ता से वाकिफ रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुख्य वक्ता एवमस्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के बायोसाइंस स्कूल के प्राचार्य प्रो. संजय गुप्ता ने कहा कि जल में मौजूद विषाणु ग्रामीण क्षेत्रों में जल जनित बीमारियों को न्योता दे रही है। शहरों के जैविक पदार्थ और मल-मूत्र नदियों और झीलों में बहाया जा रहा है जिसके कारण पर्यावरण का सन्तुलन बिगड़ रहा है। यह सीवेज अपने साथ माइक्रोबियल पेथोजिन लाता है जिसके कारण से रोग फैलते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एक अन्य आमंत्रित व्याख्यान में उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) देहरादून के वैज्ञानिक डॉ. भवतोष शर्मा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में 80 फीसद बीमारियाँ जल द्वारा उत्पन्न होती है। जलजनित बीमारी कहीं भी, किसी को भी प्रभावित कर सकती है। यह जोखिम शिशुओं, छोटे बच्चों, बुजुर्गों और मधुमेह, हृदय रोग, गुर्दे, आदि के पुराने रोगियों में अधिक रहता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

डीएवी महाविद्यालय, देहरादून के रसायन विभाग के प्रो. प्रशांत सिंह ने कार्यशाला की महत्ता पर प्रकाश डाला। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत देहरादून व हरिद्वार जिलों के प्रत्येक ब्लॉक में गांवों को चिन्हित कर ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं में जैवकीय प्रदूषण के रोकथाम हेतु एक जल सुरक्षा योजना बनाई जाएगी, जिससे ग्रामीणों को इसका लाभ मिलेगा। इसके अतिरिक्त डॉ. सिंह ने कार्यशाला में मौजूद ग्रामीणों के समक्ष जल प्रदूषण से रोकथाम के तरीकों पर प्रकाश डाला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रशिक्षण कार्यशाला में एक अन्य आमंत्रित व्याख्यान में उत्तराखंड जल संस्थान, देहरादून के मुख्य कैमिस्ट डॉ. विकास कंडारी ने ग्रामीणों को फील्ड टेस्टिंग किट के जरिए जल गुणवत्ता जांच की बारीकियां सिखलाई गई। डॉ. कंडारी ने जैवकीय जल गुणवत्ता पर अपना जोर दिया। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में जिला पंचायत प्रतिनिधि कालसी कलम सिंह चौहान भी मौजूद रहे। तथा क्षेत्र को पेयजल परियोजनाओं की जल गुणवत्ता में सहयोग का आश्वासन दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दूधली में हुई प्रशिक्षण कार्यशला के दौरान दूधली ग्राम प्रधान श्याम सिंह धामी व बदनू, कालसी विकासखंड में आयोजित कार्यशाला में ग्राम प्रधान कांति चौहान ने ग्रामीण पेयजल आपूर्ति की गुणवत्ता जांच से जुड़ी इस परियोजना में पूरा सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। साथ ही अपने गांव के लोगों को भी कार्यशाला का पूर्ण लाभ उठाने को प्रेरित किया गया। इन प्रशिक्षण कार्यशालाओं के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इन प्रशिक्षण कार्यशालाओं में 100 से अधिक ग्रामीणों ने प्रतिभाग किया।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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