देखें वीडियोः केजीएफ की एक और नई कहानी लेकर आ रहे हैं तमिल स्टार चियान विक्रम, जानिए क्या है केजीएफ
तमिल स्टार चियान विक्रम की फिल्म ‘तंगलान’ का मेकिंग वीडियो लोगों का खूब ध्यान खींच रहा है। ‘तंगलान’ की कहानी उसी KGF से जुड़ी है, जिसपर बनी यश की फिल्मकी फिल्म बहुत पॉपुलर हो चुकी है। वहीं, विक्रम की फिल्म की कहानी उस दौर की एक घटना पर है जब KGF में ब्रिटिश माइनिंग कर रहे थे। चियान विक्रम की नई फिल्म ‘तंगलान’को पा रंजीत बना रहे हैं। जो इससे पहले ‘सारपट्टा परमबरै’, ‘काला’ और ‘कबाली’ जैसी फिल्में भी बना चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चियान विक्रम की “तंगलान”, इस साल की बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक है। फिल्म से अभिनेता का पहला लुक देखने के बाद सभी प्रशंसकों के बीच उत्सुकता के बीच, निर्माताओं ने हाल ही में अभिनेता विक्रम के जन्मदिन पर फिल्म की मेकिंग की कुछ झलक दिखाते हुए एक शक्तिशाली वीडियो जारी किया है। फुटेज बार को सुनिश्चित करने के लिए उच्च सेट करता है। पा. रंजीत द्वारा निर्देशित ‘तंलगान’ तमिल, हिंदी, तेलुगु, मलयालम, उड़िया, मराठी और बंगाली भाषाओं में रिलीज होने के लिए तैयार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
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टीज़र में कोई डायलॉग सुनाई नहीं पड़ता। विक्रम को देखकर लगता है कि वो किसी आदिवासी कबीले के मुखिया बने हैं। उनके अलावा मालविका मोहनन, पार्वती तिरुवत्तू और पशुपति के किरदार भी नज़र आते हैं। सूर्या की फिल्म ‘सूराराई पोट्रू’ के लिए म्यूज़िक देने वाले जी.वी. प्रकाश कुमार ने ‘तंगलान’ के लिए भी म्यूज़िक दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पा रंजीत ने साल 2014 में विक्रम को इस फिल्म की कहानी सुनाई थी, लेकिन तब किसी वजह से बात आगे नहीं बढ़ पाई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आजादी पूर्व की घटना पर आधारित फिल्म
‘तंगलान’ की कहानी को लेकर मेकर्स ने कुछ रिवील नहीं किया है। हालांकि पिंकविला में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ फिल्म की कहानी आज़ादी से पूर्व वाले भारत में घटेगी। इसका सबूत हमें टीज़र में भी मिलता है। जहां कुछ ब्रिटिश किरदार नज़र आते हैं। बहरहाल कोलार गोल्ड फील्ड्स यानी KGF को फिल्म की मुख्य पृष्ठभूमि बताया जा रहा है। उस माइन में काम करने वाले आदिवासी मजदूर इस कहानी के हीरो होंगे। पा रंजीत पिछले चार सालों से वहां काम करने वाले मजदूरों के जीवन और रहन-सहन पर रिसर्च कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये भी नजर आएंगे साथ
तंगलान में चियान विक्रम के साथ महिला प्रधान पात्रों में पार्वती और मालविका मोहनन हैं। लारा क्रॉफ्ट: टॉम्ब रेडर के लिए जाने जाने वाले हॉलीवुड अभिनेता डेनियल कैल्टागिरोन को फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अनुबंधित किया गया है। स्टार-कास्ट में अन्य लोगों में पसुपति, हरि कृष्णन अंबुदुरई, प्रीति करण और मुथुकुमार शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ए. किशोर चियान विक्रम की सिनेमैटोग्राफी संभाल रहे हैं और जीवी प्रकाश कुमार संगीत रचना कर रहे हैं। तमीज़ प्रभा इस फिल्म की सह-लेखक हैं और कला विभाग एसएस मूर्ति द्वारा संभाला जाता है। आरके सेल्वा (संपादन) और स्टनर सैम (स्टंट) इस उदार दल का हिस्सा हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
केजीएफ की पृष्ठभूमि पर सेट की गई कहानी
कोलार गोल्ड फील्ड ( केजीएफ ) की पृष्ठभूमि के खिलाफ कहानी सेट की गई है , फिल्म को एक एक्शन एंटरटेनर के रूप में तैयार किया गया है और इसे प्रख्यात प्रोडक्शन हाउस स्टूडियो ग्रीन – केई ज्ञानवेल राजा द्वारा पा. रंजीत के नीलम प्रोडक्शंस के सहयोग से भारी बजट में बनाया गया है। चियान विक्रम स्टारर फिल्म की शूटिंग अंतिम चरण में है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
केजीएफ सोने की नहीं कहानियों की भी खदान
जहां यश की फिल्म कोलार गोल्ड फील्ड्स पर बेस्ड एक फिक्शन थी, वहीं ‘तंगलान’ रियल इतिहास के ज्यादा करीब है। KGF सिर्फ सोने की ही नहीं, कहानियों की भी खदान है। किसी समय भारत में निकले सोने का 95% सिर्फ कोलार से ही आता था। खदानों से निकला सोना, इसे पाने की दौड़ में लगे लोग, और इस दौड़ में मजदूरों की खामोश कुर्बानी, कोलार को लगभग किसी मिथक जैसा बना देती हैं। कोलार का इतिहास, वर्तमान और सोना क्यों एक स्क्रीन पर एक अद्भुत संसार रचता है इसका जवाब इतिहास में छुपा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हजारों साल पुराना है कोलार के सोने का इतिहास
KGF यानी कोलर गोल्ड फील्ड्स, आज कर्नाटक के कोलार जिले में एक तहसील है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि 1899 से 1924 के बीच कोलार फील्ड के ब्रिटिश सुपरइंटेंडेंट रहे फ्रेड गुडविल ने यहां का इतिहास जुटाया था। पश्चिम गैंग राजवंश ने दूसरी सदी में कोलार को खोजा था। अपने लगभग हजार साल के शासन में उन्होंने अपनी राजधानी को कोलार से बदलकर, आज के मैसूर में कर लिया। वे अपने नाम के आगे एक टाइटल लगाते रहे जिसका था ‘कोलार के राजा’। अब ये सोचने वाली बात है कि इस जमीन में ऐसा क्या था जो इसके नाम से उन्होंने खुद की पहचान को जोड़े रखा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रिपोर्ट्स बताती हैं कि कोलार में सोने का खनन करने की कोशिश, दसवीं सदी में चोल साम्राज्य के राज के दौरान भी होती रही, लेकिन बहुत छोटी-छोटी माइन्स बना कर हाथों से ही सारा प्रोसेस होता था। यही कोलार 13वीं सदी में विजयनगर साम्राज्य का हिस्सा रहते हुए 16वीं-17वीं सदी में मराठाओं और हैदराबाद के निजाम के हिस्से में रहा। आखिरकार ब्रिटिश कंट्रोल में आ गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ब्रिटिश आर्मी के लेफ्टिनेंट जॉन वॉरेन ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि कोलार के सोने से उसका पाला पहली बार 1799 में पड़ा। युद्ध में टीपू सुल्तान के निधन के बाद अंग्रेजों ने सारा राज्य मैसूर के महाराज को वापिस सौंप दिया, लेकिन कोलार की जमीन पर सर्वे करने का अधिकार अपने पास रख लिया था। 1804 में एशियाटिक जर्नल में छपी रिपोर्ट में वॉरेन ने लिखा कि उसने कोलार के लोकल लोगों से, चोल शासन के दौरान हाथों से सोना निकाले जाने की कहानियां सुनी थीं। इन अफवाहों के आधार पर उसने एक घोषणा करवाई कि जो कोई उसे सोना निकालकर दिखाएगा, उसे ईनाम दिया जाएगा।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।