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November 11, 2024

देखें दिल दहलाने वाले वीडियोः सीरिया और तुर्की में तीन भूकंप से ऐसे गिरी इमारतें, अब तक 4000 से ज्यादा मौत, भारत ने भेजी मदद

सोमवार को तुर्की और सीरिया में विनाशकारी भूकंप से अब तक 4000 से अधिक लोगों की मौतों की पुष्टि हो चुकी है। भूकंप से करीब पांच हजार इमारतें मलबे में तब्दील हो गई हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है। मरने वालों की संख्या और अधिक होने की संभावना जताई जा रही है। कारण ये है कि कई इमारतों के मलबे में अभी तक तलाशी अभियान शुरू तक नहीं हो पाया है। भूकंप के तेज झटकों ने हजारों इमारतों को तबाह कर दिया। इमारतें ताश के पत्तों की तरह गिरने लगी। तबाही का मंजर इतना भयावह था कि बचावकर्ताओं ने जीवित बचे लोगों के रेस्क्यू के लिए हाथों से ही खुदाई करनी पड़ी। दर्जनों देशों ने 7.8-तीव्रता के भूकंप के बाद तुर्की की सहायता का वादा किया। ये भूकंप तब आया जब लोग अभी भी सो रहे थे। और ठंड के मौसम ने राहत कार्यों और इमरजेंसी सेवाओं को और मुश्किल बना दिया। इस संकट की घड़ी में भारत ने तुर्की में सहायता के लिए एनडीआरएफ की टीम भेजी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तीन झटकों ने इमारतों को बदला मलबे में
एक के बाद एक आए तीन भूकंप के तेज झटकों के कारण सैकड़ों इमारतें जमींदोज हो गईं। तुर्की में तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। ये झटके 7.8, 7.6 और 6.0 तीव्रता के लगातार तीन विनाशकारी भूंकप आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्की और सीरिया में आए भूकंप में लोगों की मौत पर शोक व्यक्त किया. साथ ही भारत ने इस त्रासदी से निपटने में मदद के लिए हाथ भी बढ़ाया है. पीएम मोदी ने कहा कि, भारत भूकंप पीड़ितों की हर संभव मदद के लिए तत्पर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

भारत ने मदद के लिए भेजा राहत दल
भारत ने तुर्की को हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। इसी के तहत एनडीआरफ की टीम और विेशेष प्रशिक्षित डॉग स्क्वॉड को तुर्किये के लिए रवाना किया गया। डिप्टी कमांडेंट दीपक तलवार ने बताया कि इस टीम में 47 एनडीआरएफ कर्मी और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं जो संयुक्त राष्ट्र के दिशानिर्देशों के अनुसार कार्य करते हैं। हमें दो टीमों के निर्देश मिले हैं। पहली टीम रवाना होने वाली है और दूसरी टीम सुबह रवाना होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

देश से इतिहास में सबसे बड़ा भूकंप
तुर्की में लोगों के से भरे कई बहुमंजिला अपार्टमेंट मलबे के ढेर में तब्दील हो गए. साथ ही सीरिया में भी कई इमारतें ढह गई। अलेप्पो में पुरातात्विक स्थलों को भी नुकसान पहुंचा। दक्षिण-पूर्वी तुर्की शहर कहामनमारस में एक 23 वर्षीय रिपोर्टर मेलिसा सलमान ने कहा कि यह पहली बार था जब हमने ऐसा अनुभव किया। सीरिया के राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के प्रमुख रायद अहमद ने इसे “देश के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ा भूकंप करार दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इमारतों के मलबे से लोगों को जीवित निकालने की कोशिश
शुरुआती भूकंप के बाद दर्जनों आफ्टरशॉक्स आए, जिनमें 7.5 तीव्रता का भूकंप भी शामिल हैं। इसने सोमवार को खोज और बचाव कार्य में और खलल डाल दिया। दक्षिणपूर्वी तुर्की के शहर सान्लिउफ़ा में बचावकर्ता रात में काम कर रहे थे और सात मंजिला इमारत के मलबे से जीवित बचे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे थे। तापमान शून्य से नीचे गिरने के बावजूद, शहर में सहमे हुए लोग आग के चारों ओर घूमते हुए सड़कों पर रात बिताने की तैयारी कर रहे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

हजारों इमारतें ढही
55 वर्षीय शख्स ने एएफपी को बताया कि हम यहां इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि हम घर नहीं जा सकते। हर कोई डर रहा है। सरकार और बचावकर्ताओं ने कहा कि सीरिया में सोमवार को कम से कम 1,444 लोग मारे गए। जानकारी के मुताबिक दोनों देशों में कुल मौतों का आंकडा कम से कम 3,823 तक पहुंच चुका है। अंकारा ने सोमवार देर रात घोषणा की कि लगभग 14,500 लोग घायल हो गए और 4,900 इमारतें ढह गईं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तुर्की में सात दिन का शोक
इस बीच तुर्की ने सात दिन के शोक की घोषणा की। सर्दियों के बर्फ़ीले तूफ़ान से बचाव में बाधा आ रही थी, जिसने प्रमुख सड़कों को बर्फ से ढक दिया। अधिकारियों ने कहा कि भूकंप ने क्षेत्र में तीन प्रमुख हवाईअड्डों को निष्क्रिय कर दिया, जिससे महत्वपूर्ण सहायता की डिलीवरी और जटिल हो गई। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा कि सोमवार का पहला भूकंप तुर्की के शहर गजियांटेप के पास लगभग 18 किलोमीटर (11 मील) की गहराई पर सुबह 4:17 बजे (0117 GMT) आया, जहां लगभग 20 लाख लोगों का घर हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डेनमार्क के भूवैज्ञानिक संस्थान ने कहा कि तुर्की में आए मुख्य भूकंप के करीब आठ मिनट बाद भूकंप के झटके ग्रीनलैंड के पूर्वी तट पर महसूस किए गए। आपदा प्रबंधन एजेंसी ने कहा कि तुर्की में 12,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जबकि सीरिया ने कहा कि कम से कम 3,411 लोग घायल हुए हैं। इस मुश्किल घड़ी में तुर्की की मदद के लिए भारत की तरफ से भी NDRF टीम भेजी गई. मलबे में फंसे लोगों को बचाने के लिए राहत बचाव कार्य चल रहा है।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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