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September 15, 2024

वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी को सुप्रीम कोर्ट से मिली तीन महीने की जमानत, शर्तें भी लागू

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को तीन महीने की अंतरिम जमानत दे दी। उन्हें पहले वसीम रिजवी के नाम से जाना जाता था।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को तीन महीने की अंतरिम जमानत दे दी। उन्हें पहले वसीम रिजवी के नाम से जाना जाता था। महीनों पहले जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी ने मुस्लिम धर्म छोड़ हिन्दू मजहब को अपनाया था। इन्हें हरिद्वार धर्म संसद में आयोजित अभद्र भाषा की जांच के सिलसिले में पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली पीठ ने चिकित्सा आधार पर त्यागी को अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि उन्हें यह वचन देना होगा कि वह अभद्र भाषा में शामिल नहीं होंगे और इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल या सोशल मीडिया पर कोई बयान नहीं देंगे। त्यागी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से अपने मुवक्किल को नफरत भरे भाषणों में शामिल न होने और समाज में सद्भाव बनाए रखने की सलाह देने को कहा।
अधिवक्ता ने कहा कि जिस समय त्यागी जमानत पर बाहर आते हैं, उन्हें फिर से अभद्र भाषा पर बयान नहीं देना चाहिए। वकील ने पीठ से कहा कि हमें हर कीमत पर सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना है। अगर वह अभद्र भाषा बोलते हैं तो उनकी जमानत बिना किसी नोटिस के अपने आप रद्द कर दी जानी चाहिए। जहां तक ​​उनकी चिकित्सा स्थिति का सवाल है, यह स्थिर है। उन्हें हृदय संबंधी कुछ समस्याएं हैं।
पिछले हफ्ते शीर्ष अदालत ने त्यागी की जमानत खारिज करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका पर उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया था। जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा था कि वे पूरा माहौल खराब कर रहे हैं। खंडपीठ ने हरिद्वार धर्म संसद के विवादास्पद आयोजन का जिक्र करते हुए कहा कि इससे पहले कि वे दूसरों को जागरूक करने के लिए कहें, उन्हें पहले खुद को संवेदनशील बनाना होगा। वे संवेदनशील नहीं हैं। यह कुछ ऐसा है जो पूरे माहौल को खराब कर रहा है। त्यागी कभी हिंदू धर्म स्वीकार करने से पहले यूपी शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख थे। उन्होंने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के 8 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें जमानत नहीं मिली थी।
जनवरी में किए गए थे गिरफ्तार
त्यागी को 13 जनवरी को भारतीय दंड संहिता के धारा 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 298 (किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द बोलना) के तहत अपराध के लिए दर्ज मामले में 13 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। उच्च न्यायालय ने उन्हें यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि उन्होंने अपमानजनक टिप्पणी की थी।
इन धाराओं के तहत मामला दर्ज
गौरतलब है कि उनके खिलाफ IPC की धारा 341, 504, 506 और 352 के तहत मामला दर्ज किया था। हरिद्वार में बीते साल 17 से 19 दिसंबर के बीच हुई धर्म संसद में कथित तौर पर भड़काउ भाषण देने का उन पर आरोप है। धर्म संसद मामले में हरिद्वार में नरसिंहानंद और जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी सहित 10 से ज्यादा लोगों के खिलाफ दो FIR दर्ज की गई थी।
धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने का आह्वान
धर्म संसद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में साधु-संत कहते दिख रहे हैं कि धर्म की रक्षा के लिए वह शस्त्र उठाएंगे। अब मुस्लिम पीएम नहीं बनने देंगे। साथ ही वह मुस्लिम आबादी भी नहीं बढ़ने देंगे। धर्म की रक्षा के नाम पर साधुओं का यह विवादित भाषण तेजी से वायरल हुआ। वहीं साध्वी अन्नपूर्णा भी कॉपी-किताब रखकर हाथ में शस्त्र उठाने की बात कहती दिख रही थी।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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