खत्म हो रही हैं इंतजार की घड़ियां, महाराष्ट्र में शिंदे सरकार के भविष्य पर कल आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला, 16 विधायकों की बढ़ी टेंशन
महाराष्ट्र में पिछले कई महीनों से चल रहे राजनीतिक घमासान का अंत निकट पहुंच गया है। इंतजार की घड़ियां समाप्त हो रही हैं। शिवसेना के 16 बागी विधायकों के निलंबन पर फैसला सुप्रीम कोर्ट गुरुवार 11 मई को सुनाएगा। पिछले साल जून 2022 में एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर ली थी। इसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बागी विधायकों के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने विधानसभा उपाध्यक्ष के पास से विधायक को अयोग्य करार देने की याचिका दायर की थी। हालांकि एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में उपाध्यक्ष के फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर रोक लगाने की मांग की। एकनाथ शिंदे गुट का कहना है कि उपाध्यक्ष पर पहले ही कुछ विधायकों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया है, ऐसे में वे विधायकों के निलंबन पर फैसला नहीं ले सकते। सुप्रीम कोर्ट में करीब नौ महीने तक चली लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ठाकरे गुट का दावा
ठाकरे गुट के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 10 का हवाला देते हुए दलील रखी। कहा कि अगर कोई विधायकों का समूह दो तिहाई से ज्यादा लोग बगावत करते हैं तो उन्हें किसी ना किसी दल में विलीन होना होगा, लेकिन शिंदे और उनके गुट ने ऐसा नहीं किया। इसलिए उन्हें अयोग्य घोषित किया जाये। वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष पर आए अविश्वास पर भी उठे सवाल को ठाकरे गुट ने गलत बताया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शिंदे गुट का दावा
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिंदे गुट के वकीलों ने कहा कि उनके विधायकों ने पार्टी में कोई बगावत नहीं की। वे आज भी शिवसेना में हैं और पहले भी शिवसेना में ही थे। लिहाजा जिस संविधान के दसवें शेड्यूल का हवाला देखकर निष्कासित करने की मांग की जा रही है वो तथ्यहीन है। एकनाथ शिंदे शिवसेना पार्टी के विधानसभा में ग्रुप लीडर है। बहुमत उनके पास है। ऐसे में विधायकों का कोरम पूरा किए बगैर ही उन्हें गैरकानूनी तरीके से हटाने की कोशिश उद्धव ठाकरे ने की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग
याचिका में एकनाथ शिंदे, भरतशेट गोगावले, संदिपानराव भुमरे, अब्दुल सत्तार, संजय शिरसाट, यामिनी जाधव, अनिल बाबर, बालाजी किणीकर, तानाजी सावंत, प्रकाश सुर्वे, महेश शिंदे, लता सोनवणे, चिमणराव पाटिल, रमेश बोरनारे, संजय रायमूलकर और बालाजी कल्याणकर, को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कानूनी जानकारों की राय
सुप्रीम कोर्ट सीधे तौर पर विधायकों के निलंबन पर कोई फैसला नहीं ले सकता। कार्यपालिका यानी विधानसभा के कामकाज में हस्तक्षेप माना जा सकता है। कानूनी जानकार बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट विधायकों को योग्य की अयोग्य करार देने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास मामला भेज सकता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।