आरपी जोशी ‘उत्तराखंडी’ की कविता- सुकून

सुकून
है शांत बहुत माहौल यहां, चिड़ियों की चहचहाअट है।
शहरों के कोलाहल से दूर, यहां सुनाई देती हर एक आहट है।
मंद मंद बह रही हवा, मिट्टी भी बहुत सुगंधित है।
सूरज की तपिश भी नरम नरम, हिमशिखर बहुत आकर्षित हैं।
नदियां बहती कलरव करती, नौलों का शीतल जल भी है।
नीले आकाश की गोद में देखो, झरने भी बहते अविरल हैं।
फूलों की खुशबू कण कण में, पेड़ों की ठंडी छांव भी है।
हैं पेड़ फलों से लदे हुए, दूर बिखरे छोटे से गांव भी हैं।
सीधे साधे हैं लोग यहां, छल कपट से कोसों दूर हैं।
टेढ़े मेढे इन रस्तों पर, बिखरा कुदरत का नूर है।
है बात अलग पहाड़ों की, यहां की सुबह यहां की शामों की।
सुख सुविधाओं से दूर सही, पर सुकूं यहां भरपूर है।
कवि का परिचय
आर पी जोशी “उत्तराखंडी”
अनुदेशक
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रयाग दत्त जोशी राज. आईटीआई सोमेश्वर जनपद अल्मोड़ा।
मूल निवासी- तल्ली मिरई, द्वाराहाट, जनपद अल्मोड़ा, उत्तराखंड।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।