Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 27, 2025

उत्तराखंडी फिल्म माटी पहचानः पलायन का दंश, प्रेम कहानी का अंत, ब्रेख्त के नाटकों की तरह दर्शकों को झकझोरती है फिल्म

फार्च्यून टाल्कीस मोशन पिक्चर के बैनर तले बनी उत्तराखंडी फिचर फिल्म माटी पहचान शुक्रवार से उत्तराखंड के 15 सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। फिल्म में बॉलीवुड स्टाइल है। पलायन का दंश है। एक ऐसी प्रेम कहानी है, जो सामाजिक आडंबरों के चलते सफल नहीं हो पाती है। फिर अपने अपने लक्ष्य हैं। हीरो पलायन करता है, तो वहीं हिरोइन अपनी माटी से जुड़ी रहती है। ये फिल्म पारंपरिक अरस्तू के नाट्य सिद्धांतों से सर्वथा भिन्न तथा मौलिक नाट्य सिद्धांत रचने वाले महान नाट्यकार यूगेन बर्थोल फ्रेडरिक ब्रेख्त की भी याद दिलाती है। बीच बीच में हल्की फुल्की कॉमेडी भी है, लेकिन फिल्म अपने मूल सिद्धांत की ओर आगे बढ़ती है। ब्रेख्त के नाटकों में ये सिद्धांत रहा कि जो कुछ मंच पर घटित है उससे दर्शक एकात्म न हों। वे समझे कि जो कुछ दिखाया जा रहा है वह विगत की ही गाथा है। इसी तरह फिल्म उत्तराखंड के पहाड़ों की सच्चाई को बयां करती है। साथ ही अंत में दर्शकों को झकझोर कर रख देती है। पलायन को लेकर भले ही हम बड़ी बड़ी बातें कर लें, लेकिन जब कोई माटी को बचाने के लिए संघर्ष करता है तो वह इस लड़ाई में हमेशा अकेला पड़ जाता है। महिला सशक्तिकरण की मिशाल बनी मां और बेटी अंत तक अपनी माटी के लिए लड़ते रहते हैं और संघर्ष करते रहते हैं। अंत में आमजन मानस से एक सवाल भी फिल्म पूछती है कि आखिर कब उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों से पलायन रुकेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

फिल्म की कहानी की बात करेंगे तो उन लोगों से साथ अन्याय होगा, जो इस फिल्म को देखने का मन बना रहे हैं। ऐसे में कहानी को यहां नहीं दिया जा रहा है। सिर्फ फिल्म की दृष्टि से ही हम बात करेंगे। फिल्म के सारे गीने बेहतरीन तरीके से फिल्माए और गाए गए हैं। फिल्म में गरीबी और अमीरी के बीच की दीवार है। कलाकार भी अपने अपने किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय करते नजर आए। देहरादून के सिल्वर सिटी में फिल्म समाप्त होने के बाद दर्शकों से जब फिल्म के बारे में पूछा गया तो अमूमन सभी का कहना था कि ये ही जीवन की सच्चाई है। इससे हम मुंह मोड़ नहीं सकते हैं। फिल्म ने हमें पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया है। ये ही फिल्म की खासियत है कि इसे देखने के बाद आपके मन में एक साथ कई सवाल उठने लगते हैं। साथ ही महिला किरदार माधुरी (अंकिता परिहार) ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के भीमताल परिसर में वाद विवाद प्रतियोगिता के दौरान ये भी सुझाती हैं कि किस तरह पहाड़ों से पलायन को रोका जा सकता है। मैं तो इतना ही कहूंगा कि परिवार के साथ फिल्म को जरूर देखें। क्योंकि इसमें अन्य फिल्मों से हटकर वास्तविकता पर जोर दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

पलायन और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित
उत्तराखंडी फिल्म माटी पछ्यांण कुमाऊंनी बोली में है। डायलॉग इतने सरल हैं कि गैर उत्तराखंडी भी समझ करता है कि कौन क्या बोल रहा है। फॉर्च्यून टॉकीज मोशन पिक्चर्स के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता फ़राज़ शेर हैं और निर्देशन अजय बेरी का है। फिल्म में सभी कलाकार उत्तराखंड के हैं। उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों में हुई इस फिल्म में पलायन और महिला सशक्तिकरण की बात की गई है। फिल्म एक छोटे से गांव की पहचान, समुदाय, भाषा और प्रेम के जटिल मुद्दों को उठाती नजर आ रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

नई जेनरेशन के लोकप्रिय गीत
फिल्म के सभी गाने राजन बजेली ने बनाए हैं। इनमें पहाड़ों के संगीत, संस्कृति और सुकून को इसमें महसूस किया जा सकता है। इनमें स्वर निशांत दास अधिकारी और प्रज्ञा पात्रा के साथ ही सागरिका मोहंती ने गीतों को आपनी आवाज दी। वहीं, फिल्म के टाइटल सॉंग को “ये माटी मेरी मां छू” को प्रतिभाशाली बॉलीवुड पार्श्व गायक सुदेश भोसले ने अपनी आवाज दी।
उत्तराखंड के 15 सिनेमाघरों में हुई रिलीज
उत्तराखंडी फीचर फिल्म माटी पहचान अल्मोड़ा, देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार, काशीपुर, मासुरी, नैनीताल, पिथौरागढ़, रामनगर, रूडकी, के साथ रुद्रपुर पुरे 15 सिनेमा हॉल्स में रिलीज़ हुई। फिल्म को जैसा की उम्मीद की जा रही थी लोगो का भरपूर प्यार मिल रहा है। प्रदेश में पहले दिन कई शो जगह हाउसफुल भी रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

अल्मोड़ा में उपस्थित रही फिल्म की टीम
फिल्म रिलीज़ के मौके पर आज अल्मोड़ा में माटी पहचान की पूरी टीम मूवी जोन, रघुनाथ सिटी मॉल में उपास्थित रही। जहाँ पर उनका भावए स्वागत हुआ । फिल्म की मुख्या कलाकरो अंकिता परिहार, कारन गोस्वामी, सहयोगी कलाकार आकाश नेगी और नरेश बिष्ट,शेखर कुमार के साथ फिल्म के निर्माता फ़राज़ शेरे, निर्देशक अजय बेरी, लेखक मन मोहन चौधरी ने दर्शको के साथ फिल्म देखी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ग्राफिक एरा का भी रहा सहयोग
उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणीय संस्थान ग्राफिर एरा का भी इस फिल्म के निर्माण में सहयोग रहा है। इसकी शूटिंग ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के भीमताल परिसर में हुई। वहीं, इस फिल्म का अधिकारिक टीजर भी ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी देहरादून के सभागार में रिलीज किया गया था। तब पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने फिल्म को टैक्स फ्री करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक वह वादा नहीं निभा पाए। वहीं, विशिष्ट अतिथि ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. कमल घनशाला ने भी पहाड़ की संस्कृति को बढ़ावा देने वाली इस फिल्म के बनाने के प्रयासों की की जमकर तारीफ की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

फार्च्यून टाल्कीस मोशन पिक्चर की पहली फिल्म
माटी पहचान फार्च्यून टाल्कीस मोशन पिक्चर के बैनर तले बानी पहली फिल्म है। ये कंपनी एड बनाती है। फिल्म में सभी कलाकार उत्तराखंड के हैं। उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों में हुई इस फिल्म में पलायन और महिला सशक्तिकरण की बात की गई है। निर्माता फ़राज़ शेर ने कहा कि ये फिल्म उत्तराखंडी सिनेमा को बहुत ऊंचे आयाम पर पहुंचा देगी। उन्होंने उत्तराखंड की लोगों से इस फिल्म को देखने का आग्रह करते हुए कहा कि फिल्म का भविष्य दर्शकों के हाथों में होता है और माटी पछ्यांण को उत्तराखंड के दर्शकों की प्रतीक्षा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड में फिल्म उद्योग की काफी संभावना
निर्देशक अजय बेरी ने बताया कि वो कई वर्षों से सिनेमा से जुड़े हैं, जिसके अनुभव को उन्होंने अपने उत्तराखंड की संस्कृति को बड़े परदे पर प्रदर्शित करने के लिए इस्तेमाल किया है। उन्होंने बताया कि फिल्म को उद्योग कहा जाता है और अब समय है कि उत्तराखंड में भी इसे उद्योग की तरह प्रसारित किया जाय। उन्होंने बताया कि माटी पछ्यांण में सभी स्थानीय कलाकार बहुत प्रतिभावान हैं, ज़रूरी है कि इनका सरंक्षण हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

उत्साहित हैं कलाकार
फिल्म में नवोदित अभिनेता करण गोस्वामी और नवोदित अभिनेत्री अंकिता परिहार फिल्म को लेकर उत्साहित हैं। निवासी अंकिता ने बताया कि ये उनकी पहली फिल्म है और उन्हें खुशी है कि ये उनकी मातृभाषा में है। करन गोस्वामी ने बताया कि वो मुंबई में संघर्ष कर रहे थे लेकिन जैसे ही उन्हें उत्तराखंडी फिल्म में काम करने का अवसर मिला उन्होंने तुरंत हां कर दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बॉलीवुड स्टाइल में बनी फिल्म
फिल्म बॉलीवुड स्टाइल में जरूर बनी है, लेकिन इसमें मारधाड़ नहीं है। फिल्म में प्रेम कहानी है, चाहे इसके पात्र का प्रेम हो या फिर अपनी मूल जड़ यानि कि माटी से प्रेम हो।  फिल्म में हल्द्वानी के कलाकार आकाश नेगी ने एक अनोखा और महत्वपूर्ण किरदार निभाया है। उन्होंने बताया कि माटी पछ्यांण किसी भी बॉलीवुड फिल्म को टक्कर देती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा अपनी बोली भाषा और संस्कृति को विश्व पटल पर प्रदर्शित करने का सबसे सशक्त माध्यम है। फॉर्च्यून टॉकीज मोशन पिक्चर्स की कार्यकारी निर्माता प्रज्ञा तिवारी ने उत्तराखंड की जनता से अधिक से अधिक संख्या में फिल्म देखने का निवेदन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इन कलाकारों ने भी किरदार से किया पूरा न्याय
फिल्म में सिनेमा और रंगमंच से जुड़े वरिष्ठ कलाकारों ने भी काम किया है। जिनमें चंद्रा बिष्ट, वान्या जोशी, पदमेंदर रावत, प्रकाश जोशी, नरेश बिष्ट,जीवन सिंह रावत, आरव बिष्ट, विजय जम्मवाल, तरुण, शेखर आर्या, रेखा पाटनी, महेंद्र बिष्ट आदि हैं। फिल्म की कहानी मन मोहन चौधरी ने लिखी है और फिल्मांकन फारूक खान ने किया है। संगीत राजन बजेली का है और फिल्म का संपादन मुकेश झा ने किया है। सभी ने अपने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यहां बुक कराएं टिकट
फिल्म को वीके फिल्म्स द्वारा भारत के सभी सिनेमाघरों में वितरित किया गया है। हंगामा डिजिटल इस फिल्म का डिजिटल मीडिया और गानो को अलग अलग म्यूजिक प्लेटफार्म पर वितरित है। साथ ही E-उत्तरांचल माटी पहचान के साथ ऑनलाइन मीडिया पार्टनर के रूप में जुड़े है। माटी पहचान फिल्म की टिकट्स बुक माय शो और पेटम अप्प्स पर उपलब्ध है।

Bhanu Prakash

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *