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September 24, 2024

उच्च न्यायालय का आदेश दरकिनार कर रहा है उत्तराखंड परिवहन निगम, सभी यूनियनों की एकजुटता जरूरीः दयाकिशन पाठक

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उत्तराखंड में राज्य पथ परिवहन निगम कर्मचारी यूनियन ने परिवहन निगम पर मनमानी का आरोप लगाया। यूनियन की ओर से प्रेस वार्ता कर कर्मचारी यूनियन से जुड़े पदाधिकारियों ने अब आरपार की लड़ाई की बात कही। साथ ही सभी यूनियनों में एकजुटता की जरूरत बताई। देहरादून में उत्तरांचल प्रेस क्लब सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में प्रांतीय महामंत्री दयाकिशन पाठक ने कहा कि उत्तराखंड परिवहन निगम उच्च न्यायालय के आदेश को भी दरकिनार कर रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग के कुछ अधिकारियों की कारगुजारी के कारण सेवानिवृत्त कर्मचारियों के विधिक देयो से अवैध रूप से कटौती करके ही उनको भुगतान किया जा रहा है। उक्त सूची का कारण वेतन का गलत निर्धारण किया जाना बताया जा रहा है। इस के संबंध में परिवहन निगम मुख्यालय के वित्त नियंत्रक की ओर से अपने पत्रांक 164 दिनांक 11 11 2020 को जारी किए जाने के पश्चात अवैध रूप से कटौती की जा रही है। इसके विरोध यूनियन की ओर से अवैध कटौती के खिलाफ उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल में चुनौती दी गई। उच्च न्यायालय की रोक के बावजूद भी इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुख्य वक्ता के रूप में उच्च न्यायालय के अधिवक्ता एम.सी.पंत ने कहा कि यूनियन की ओर से याचिका पर उच्च न्यायालय द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारियों एवं कार्यरत कर्मचारियों से की जा रही कटौती पर रोक लगा दी गई। इस निर्णय के पश्चात भी कुछ अधिकारियों द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारियों से अवैध रूप से की जा रही कटौती को बंद नहीं किया गया। इस पर अवमानना याचिका दायर की गई। न्यायालय ने भी 5.9.2022 को पारित निर्णय में पूर्व में पारित निर्णय का पालन न करने को स्पष्ट मानहानि माना। इसके बावजूद निगम के अधिकारियों द्वारा निर्णयों का दरकिनार करते हुए कर्मचारियों की कटौती की जा रही है। इससे कर्मचारियों के मध्य भारी रोष व्याप्त है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि परिवहन निगम प्रबंधन तंत्र अपनी हठधर्मिता के कारण उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल के पारित निर्णय का अनुपालन नहीं किया जाना अवैध कृत्य है। सीटू के प्रांतीय महामंत्री महेंद्र जखमोला ने कहा कि पूर्व राज्य उत्तर प्रदेश परिवहन निगम से 80 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। उत्तराखंड परिवहन निगम के अधिकारियों की कारगुजारी के कारण शासन ने तत्काल 40 करोड़ रुपए वापस ले लिए। इसके परिणाम स्वरूप आज कर्मचारियों को विगत 4 माह से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सीटू के जिला महामंत्री एवं प्रांतीय सचिव लेखराज ने कहा कि निगम को एक सोची समझी साजिश के तहत बंद करने के उद्देश्य से चालक और परिचालक के रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति न करके पीआरडी के माध्यम से पूरे उत्तराखंड परिवहन निगम के पदों पर 195 कर्मियों को नियुक्त किए जाने का विरोध करती है। साथ ही मांग करती है कि परिवहन निगम के अस्तित्व को बचाने के लिए सभी को एक साथ नियुक्ति का पुरजोर विरोध करते हुए रिक्त पदों पर वर्तमान में कार्यरत विशेष श्रेणी के कर्मचारियों वरिष्ठता के आधार पर निगम में नियमित नियुक्ति की जाए। अंत में वक्ताओं ने परिवहन निगम को बचाने के लिए निगम में कार्यरत सभी यूनियनों को एक साथ आने का आह्वान किया।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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