उत्तराखंड पुलिस के ऑपरेशन स्माइल से लौटी परिवारों की मुस्कान, रिकार्ड 2509 गुमशुदाओं को किया बरामद

उत्तराखंड पुलिस की ओर से संचालित “ऑपरेशन स्माइल” मानवीय दृष्टिकोण से अब तक का सबसे सफल और संवेदनशील अभियान बनकर सामने आया है। विगत वर्षों की अपेक्षा वर्ष 2024 में दो चरणों में अभियान चलाकर सबसे अधिक 2509 गुमशुदाओं को बरामद कर उनके परिजनों से मिलाया गया। इससे उत्तराखंड पुलिस ने समाज में न केवल सुरक्षा का भरोसा मज़बूत किया, बल्कि संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का भी अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने पुलिस मुख्यालय में “ऑपरेशन स्माइल” की समीक्षा की। इसमें समस्त जनपद प्रभारी (ऑनलाइन), टीम प्रभारी, वरिष्ठ अधिकारी एवं अभियान में भागीदार संस्थाओं के प्रतिनिधि सहित गुमशुदाओं के परिजन सम्मिलित हुए। नोडल अधिकारी एवं पुलिस उपाधीक्षक (अपराध) अभिनय चौधरी ने अभियान की कार्यवाही, उपलब्धियों एवं अनुभवों की जानकारी प्रस्तुत की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अभियान के अंतर्गत प्रदेश के प्रमुख जनपदों में देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर व नैनीताल में 4-4 तथा अन्य जनपदों एवं रेलवे में 1-1 टीम गठित कर कुल 26 खोज टीमों का गठन किया गया। प्रत्येक टीम में महिला पुलिसकर्मी की नियुक्ति की गई। अभियोजन अधिकारीगण द्वारा विधिक सहायता और डी.सी.आर.बी. द्वारा तकनीकी सहयोग प्रदान किया गया, जिससे अभियान कानूनी और तकनीकी रूप से भी सशक्त बना। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
टीमों ने गुमशुदा व्यक्तियों के परिजनों से मिलकर जानकारी संकलित की, उत्तराखण्ड सहित अन्य राज्यों में जाकर खोजबीन की। साथ ही, प्रदेश एवं सीमावर्ती राज्यों में मिले लावारिस शवों से गुमशुदाओं का मिलान भी कराया गया। अभियान के दौरान कई मामलों में वर्षों से लापता व्यक्तियों को उनके परिवारों से पुनः मिलाया गया, जिससे अनेक परिवारों में भावनात्मक पुनर्मिलन हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डीजीपी दीपम सेठ ने अपने संबोधन में कहा कि ऑपरेशन स्माइल केवल एक पुलिस कार्यवाही नहीं, बल्कि यह एक मानवीय प्रयास है। जो परिजन वर्षों से अपने अपनों की प्रतीक्षा कर रहे थे, उन परिवारों के लिए आशा की नई किरण बना है। उत्तराखंड पुलिस की यह सफलता उसकी संवेदनशीलता और सेवा भाव का प्रमाण है। हमारी प्राथमिकता केवल गुमशुदा व्यक्तियों की खोज नहीं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि वे पुनः सुरक्षित जीवन जी सकें और किसी भी अपराध का शिकार न बनें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन स्माइल वर्ष 2015 से लगातार संचालित किया जा रहा है, जिसमें साल दर साल उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। पिछले 10 वर्षों में इस अभियान में 3331 बच्चे, 1627 पुरुष, 2162 महिलाएं सहित कुल 7120 गुमशुदाओं को बरामद कर सकुशल उनके परिजनों के सुपुर्द किया जा चुका है। सीमित संसाधनों के बावजूद पुलिस टीमों ने अपनी कार्यशैली, प्रतिबद्धता और समर्पण से इस अभियान को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि भविष्य में इस अभियान को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए अगले चरण की शीघ्र शुरुआत की जाएगी, जिसमें नेटग्रिड सहित अन्य Advance Technology के उपयोग से पुराने मामलों की भी पुनः समीक्षा कर वर्षों से लंबित गुमशुदगी के मामलों में बरामदगी के हर सम्भव प्रयास किये जाएंगे। ऑपरेशन स्माइल उत्तराखंड पुलिस की मानवीय सोच, कर्तव्यपरायणता और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का उदाहरण बन चुका है, जो न केवल मुस्कान लौटाता है, बल्कि भरोसे को भी फिर से मजबूत करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुलिस महानिदेशक ने परिजनों एवं बच्चों के साथ संवाद किया और बच्चों को उपहार भी भेंट किये। समीक्षा बैठक में विभन्न जनपदों के टीम प्रभारियों ने अपने अनुभव साझा किए। कई परिजनों ने भी उत्तराखंड पुलिस के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने जिस उम्मीद को खो दिया था, उसे पुलिस ने फिर से जगा दिया और अपनों से हमें मिला दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुलिस कर्मियों को डीजीपी महोदय द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। समीक्षा गोष्ठी में अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था वी. मुरुगेशन, पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था नीलेश आनन्द भरणे, पुलिस उप महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था धीरेन्द्र गुंज्याल, पुलिस अधीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था कमलेश उपाध्याय सहित अन्य पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।