धामी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में पथ भ्रमित हो गया उत्तराखंडः गरिमा दसौनी

उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने उत्तराखंड में धामी सरकार के तीन साल पूरे होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने तीन साल के कार्यकाल का जश्न पूरे राज्य में मनाया, लेकिन बीजेपी नेतृत्व को बताना चाहिए कि कर्ज से डूबे हुए उत्तराखंड में ऐसे समारोह मनाना का खर्च कहां से आया? उन्होंने कहा कि भाजपाइयों को जश्न नहीं, पश्चाताप करना चाहिए। क्योंकि जो कभी नहीं हुआ, वह धामी के इन तीन सालों के कार्यकाल में राज्य के अंदर घटित हुआ है। उत्तराखंड और उत्तराखंडियत को धामी मंत्रिमंडल के सदस्यों और संगठन अध्यक्ष के द्वारा गालियां पड़ी हैं। इसके लिए समूची भारतीय जनता पार्टी को पश्चाताप करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि धामी के तीन साल के राज में कानून व्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर गई। चोरी, डकैती, हत्या के अलावा राज्य में बड़ी संख्या में महिला उत्पीड़न से संबंधित अपराध हुए। यहां तक की नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट में नौ हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड महिला अपराधों में अव्वल है। यही नहीं, भाजपा के कई वरिष्ठ पदाधिकारी यौन हिंसा के आरोपों में नामज़द होने के साथ ही आरोपी पाए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि धामीराज में एक तरफ जहां मंत्री उत्तराखंड को गाली देते हुए पाए गए। वहीं दूसरे मंत्रियों पर घोटाले, आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। वर्तमान सरकार इतनी लाचार नजर आई कि अंकिता भंडारी को हत्या के तीन साल बाद भी न्याय नहीं दिला पाई। आज राज्य में सुरसा का रूप ले चुकी बेरोजगारी को कम करने में भी धामी सरकार पूरी तरह से नाकाम नजर आई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा ने कहा कि राज्य में होने वाले अधिकतर अपराधों में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता अथवा नेता संलिप्तता बताती है कि राज्य सरकार का रसूख और इकबाल खत्म हो चुका है। भाजपा राज में नशा कारोबारी, खनन कारोबारी, भू माफिया, लकड़ी माफिया, शराब माफिया खूब फल फूल रहे हैं। जनता ने मूल निवास, भू कानून मांगा, इन्होंने जबरन सनातन धर्म पर चोट करने वाला यूसीसी थोप दिया। इसका उत्तराखंड में जनता और अधिवक्ताओं की ओर से जमकर विरोध हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि इन तीन सालों में मुखिया की कमजोरी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह अपने मंत्रिमंडल का विस्तार तक नहीं कर पाए। मुख्यमंत्री एक रबर स्टैंप या कठपुतली मुख्यमंत्री के रूप में नजर आए। हर वक्त और हर निर्णय में साफ नजर आया कि उत्तराखंड राज्य की सरकार दिल्ली से चल रही है। इससे बड़ा मजाक क्या होगा कि पिछले आठ सालों में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के ही पूर्व मुख्यमंत्रीयों के निर्णयों को बदलने के अलावा और कुछ करते नजर नहीं आए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा ने कहा कि धामी सरकार के तीन साल पूरे हुए और इससे पहले भी बीजेपी की पांच साल प्रदेश में सरकार रही। इसके बावजूद पिछले आठ साल में राज्य ने कुछ पाया नही, सिर्फ खोया ही खोया है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में विकास ठप है, बेरोजगारी बढ़ी है। किसान परेशान है और सरकार के कामकाज से जनता में काफी निराशा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार सेवा दिवस के नाम जनता के टैक्स की गाड़ी कमाई को लुटाने का काम कर रही है। अपनी झूठी उपलब्धियां गिनाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। हकीकत यह है कि राज्य भ्रष्टाचार का मॉडल बन चुका है। भ्रष्टाचार से जनता त्रस्त है। मुख्यमंत्री शिकायत प्रकोष्ठ 1905 निष्क्रिय पड़ा है। जहां जनता की शिकायतों का न तो समाधान हो रहा है और न ही सुनवाई। अधिकारी बिना जांच किए शिकायतें डिलीट कर रहे हैं। वहीं, सरकार उनकी पीठ थपथपा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि प्रदेश के हालात यह है की शराब सस्ती हो गई है, लेकिन डीजल, खाद और बिजली-पानी का बिल सभी महंगा हो गया हैं। दसौनी ने आरोप लगाया कि सरकार जनहित की योजनाओं से जुड़े बजट को खर्च नहीं कर पा रही है। धामी राज में युवा निराश है, किसान हताश है और महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। गरिमा ने निंदा करते हुए कहा कि जिस प्रदेश का मुखिया ही जेहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल करता हो उस प्रदेश का सौहार्द तो सिर्फ भगवान भरोसे है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।