सड़क किनारे बसे लोगों की उत्तराखंड कांग्रेस ने की पैरवी, प्रदेश अध्यक्ष माहरा ने सीएम को लिखा पत्र
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने राज्य के पर्वतीय जनपदों में सड़कों के किनारे बसे लोगों के खिलाफ अतिक्रमण हटाने के नाम पर की जा रही तोड़फोड की कार्रवाई का कड़ा विरोध किया। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर राज्य के पर्वतीय जनपदों में बेनाप भूमि पर किये गये निर्माण कार्यों एवं कृषि कब्जों को हटाये जाने सम्बन्धी आदेश निरस्त किये जाने की मांग की है। खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि वर्ष 1962 के उपरान्त प्रदेश में भूमि की बंदोबस्ती नहीं हुई है। इसके कारण राज्य के अनेक क्षेत्रों विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि भूमि एवं आवासीय भूमि आज भी बेनाप है। पर्वतीय क्षेत्र की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी के आवासीय मकान, गौशाला (छानी), खर्क, गोठ सरकारी दस्तावेजों में बेनाप मानी गई जमीन पर स्थित हैं। खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति की 80 प्रतिशत परिवारों की कृषि योग्य भूमि भी कई पुस्तों से बेनाप भूमि में शामिल है। वहां के निवासियों के पनघट, गोचर, देवस्थान भी इसी बेनाप (कैसरीन) भूमि पर स्थापित हैं। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के नाम पर इस बेनाप भूमि से वर्षों पूर्व बसे लोगों को उजाड़ने के आदेश जारी किये गये हैं, जो कि न्याय संगत प्रतीत नहीं होता है। खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार द्वारा राज्य के मैदानी जनपदों देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर एवं नैनीताल के तराई क्षेत्र में सरकारी भूमि एवं परम्परागत नदियों के किनारे बसी मलिन बस्तियों को नियमित करने के लिए अध्यादेश जारी करने की बात की जा रही है, वहीं पर्वतीय क्षेत्र में परिवार का पालन-पोषण करने के लिए वर्षों से सडकों के किनारे छोटे-छोटे व्यवसाय कर अपना गुजर-बसर करने वालों को उजाड़ने की बात की जा रही है। खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने ही वर्ष 2018 में शराब की दुकानों को छूट देने की नीयत से राष्ट्रीय राजमार्गों को बदलकर राजमार्ग एवं राजमार्ग को जिला मार्ग में बदलने के लिए अध्यादेश जारी किया गया था। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के उपरान्त प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के कई लोग अन्य प्रदेशों से बेरोजगार होकर अपने गांवों में लौट चुके हैं। वे वहीं पर अपना छोटा-मोटा व्यवसाय कर रोजी-रोटी कमा रहे हैं। राज्य सरकार के इस निर्णय से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खडा हो गया है। साथ ही पर्वतीय क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के नाम पर किये जा रहे ध्वस्तीकरण के निर्णय से पर्वतीय क्षेत्र के 80 प्रतिशत निवासी प्रभावित होने के साथ-साथ छोटे गरीब व्यवसायियों की रोजी-रोटी भी प्रभावित हो रही है। खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्र की विषम भौगोलिक परिस्थितियों, परम्पराओं तथा छोटे व्यवसायियों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए बेनाप भूमि पर वर्षों पूर्व बसे लोगों तथा छोटे व्यवसायियों के ध्वस्तीकरण के निर्णय को जनहित में शीध्र वापस लिया जाना चाहिए।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।