धर्म संसद के सवाल पर भड़के यूपी के डिप्टी सीएम, रिपोर्टर से की बदसलूकी, खींचा मास्क, डिलीट किया वीडियो
उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मी के बीच सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का इंटरव्यू चर्चा का विषय बन गया है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से इंटरव्यू के दौरान जब एक रिपोर्टर ने धर्म संसद में हेट स्पीच से जुड़ा सवाल पूछा तब केशव प्रसाद मौर्य भड़क गए।
दरअसल केशव प्रसाद मौर्य बीबीसी के एक रिपोर्टर को साक्षात्कार दे रहे थे। इसी दौरान रिपोर्टर ने धर्म संसद में दी गई हेट स्पीच और उसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ और पूरी बीजेपी की चुप्पी का सवाल उठा दिया। रिपोर्टर ने कहा कि ऐसे बयानों पर सीएम योगी आदित्यनाथ की चुप्पी से हिंसा बढ़ाने वाले बयान देने वाले लोगों को और बढ़ावा मिलता है। सीएम योगी आदित्यनाथ खुद इस बात को लेकर जनता को आश्वस्त क्यों नहीं करते कि आप किसी विशेष धर्म के खिलाफ नहीं हैं?
धर्म संसद से जुड़ा सवाल पूछे जाने पर केशव प्रसाद मौर्य असहज हो गए और रिपोर्टर से राजनीति से जुड़ा सवाल पूछने के लिए कहने लगे। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि भाजपा को किसी तरह का प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है। हमारा एजेंडा ही सबका साथ सबका विकास का है। डिप्टी सीएम ने कहा कि कोई धर्म आचार्य अपने मंच से क्या बोलता है, इसका भाजपा से कोई सरोकार नहीं है। हालांकि इसके ठीक बाद केशव प्रसाद मौर्य ने उल्टा रिपोर्टर से अन्य धर्मों के आचार्यों को बात करने की सलाह भी दे डाली।
इतने पर जब रिपोर्टर ने यति नरसिंहानंद और अन्नपूर्णा के उत्तर प्रदेश (क्रमशः गाजियाबाद और अलीगढ़) से ताल्लुक होने का हवाला देकर कार्रवाई न किए जाने का सवाल खड़ा किया और भारत पाकिस्तान मैच के बाद लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किए जाने का हवाला दिया। तभी केशव प्रसाद मौर्य रिपोर्टर पर भड़क गए। डिप्टी सीएम ने इंटरव्यू बीच में ही छोड़ दिया और रिपोर्टर का मास्क खींच लिया। इसके बाद केशव प्रसाद मौर्य ने रिपोर्टर से जबरन वीडियो भी डिलीट करवा दिया। हालांकि बीबीसी ने डिलीट किए गए वीडियो को रिकवर करने में कामयाबी हासिल कर ली। इसके बाद अपनी पूरी रिपोर्ट में इंटरव्यू प्रकाशित कर दिया। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। हालांकि बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है कि खुद केशव प्रसाद मौर्य ने इस पूरी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
जब विवादित धर्म संसद में किए गए नरसंहार के आह्वान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि आप किस वीडियो की बात कर रहे हैं। आप क्या चुनाव के बारे में पूछ रहे हैं? आप किसी पत्रकार की तरह बात नहीं कर रहे, आप किसी समूह विशेषा के एजेंट की तरह बात कर रहे हैं। मैं आपसे बात नहीं करूंगा।
धर्म संसद में विवादित भाषण देने का आरोप
बता दें कि हरिद्वार धर्म संसद का आयोजन स्वामी नरसिंहानंग ने कराया था। इस सम्मेलन में वक्ता के रूप में हिंदू रक्षा सेना के अध्यक्ष स्वामी प्रमोदानंग गिरि और स्वामी आनंदास्वरूप, साध्वी अन्नपूर्णा शामिल हुए थे। वहीं बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय पर भी कई आरोप लगे हैं, लेकिन उनका कहना है कि वह सिर्फ 30 मिनट ही कार्यक्रम में रुके थे। मुस्लिमों के खिलाफ विवादित भाषण पर कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. शमा मोहम्मद ने भी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि मुनव्वर फारूकी को उन जोक्स के लिए दंडित किया गया, जो उन्होंने नहीं सुनाए थे, लेकिन विवादित बोल बोलने वाले धर्म संसद के उन सदस्यों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
धर्म की रक्षा के लिए उठाएंगे शस्त्र
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साधु-संत कहते दिख रहे हैं कि धर्म की रक्षा के लिए वह शस्त्र उठाएंगे। अब मुस्लिम पीएम नहीं बनने देंगे। साथ ही वह मुस्लिम आबादी भी नहीं बढ़ने देंगे। धर्म की रक्षा के नाम पर साधुओं का यह विवादित भाषण तेजी से वायरल हो रहा है। वहीं साध्वी अन्नपूर्णा भी कॉपी-किताब रखकर हाथ में शस्त्र उठाने की बात कहती दिख रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
हरिद्वार में धर्म संसद में हेट स्वीच का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई को भी तैयार हो गया है। प्रमुख न्यायाधीश एन वी रमना ने कहा कि हम मामले की सुनवाई करेंगे। इस मामले में उत्तराखंड पुलिस पर हिलाहवाली के आरोप लग रहे हैं। पुलिस ने इस मामले में ‘धर्म संसद’ में भड़काऊ भाषण देने पर वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी और अन्य के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस ने केस दर्ज कर लिया। बस इसके बाद जांच के नाम पर पूरी कार्रवाई ठंडे बस्ते पर चली गई। लखीमपुर खीरी में किसानों को वाहन से कुचलने की घटना का मामला भी जब सुप्रीम कोर्ट पर पहुंचा था, तब ही पुलिस हरकत में आई थी। अब हरिद्वार धर्म संसद का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने पर उत्तराखंड पुलिस का एक्शन में आना भी तय है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।