चमोली में विरोध का अनोखा तरीका, बनाई 19 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला, जानिए कारण

उत्तराखंड के चमोली गढ़वाल में आंदोलनरत लोगों ने विरोध का आज नया तरीका निकाला। इसके लिए मानव श्रृंखला बनाई गई। दावा तो ये किया गया कि मानव श्रृंखला 19 किलोमीटर लंबी बनाई गई। बच्चे, बूढ़े, जवान, घसीयारी, महिलाएं सभी इस मानव श्रृंखला का हिस्सा बने। दावा किया गया कि 19 किलोमीटर लंबी सड़क से जुड़े गांवों के हजारों लोग इसमें शामिल हुए।
चल रहा है आंदोलन
चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित नंदप्रयाग-घाट मोटर मार्ग को चौड़ा करने की मांग ग्रामीणों की तरफ से काफी समय से की जा रही है। इसे लेकर घाट में ग्रामीण संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले पिछले माह पांच दिसंबर ग्रामीण धरना दे रहे हैं।
आंदोलनकारियों का नेतृत्व कर रहे टैक्सी यूनियन घाट के अध्यक्ष मनोज कठैत ने कहा कि क्षेत्र की 70 ग्राम सभाओं की 42 हजार आबादी इस सड़क पर निर्भर है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस सड़क को चौड़ा करने की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बावजूद इसके लोक निर्माण विभाग सड़क को चौड़ा करने की बजाय डामरीकरण का कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा कि घाट-नंदप्रयाग मार्ग काफी संकरा है। ऐसे में इस सड़क पर हादसों का खतरा बना रहता है। मार्ग खस्ताहाल है और लोनिवि इसी स्थिति में डामरीकरण कर रहा है। यही वजह है कि स्थानीय लोग भड़के हुए हैं। धरना शुरू किए हुए एक माह हो चुका है, लेकिन कोई उनकी सुध नहीं ले रहा है। कठैत ने कहा कि शासन-प्रशासन स्तर पर आंदोलन की उपेक्षा से व्यथित लोग मानव श्रृंखला बनाकर आंदोलन किया गया।
मां नंदा देवी के मायके जाने की है प्रमुख सड़क
उत्तराखंड की आराध्य मां नंदा देवी का मायका माने जाने वाले घाट विकासखंड की मुख्य मोटर सड़क नंदप्रयाग-घाट का चौड़ीकरण, सुधारीकरण एवं डामरीकरण का स्वीकृत कार्य आखिर कब धरातल पर उतरेगा, यह यक्ष प्रश्न हर किसी को मथ रहा है। इस प्रश्न के उठने का बड़ा कारण यह है कि स्वयं प्रदेश के मुखिया भी दो-दो बार खुले मंच से घोषणा कर चुके हैं। घोषणाओं के तीन बरस बाद क्षेत्रीय जनता के पिछले डेढ़ माह से आंदोलित रहने के बाद भी ठोस कार्रवाई का न होना रेखांकित हो गया है।
सबसे लंबी पैदल धार्मिक यात्रा की सड़क पर रहता है जाम
घाट ब्लाक को नंदा राजराजेश्वरी भगवती का मायका माना जाता हैं। प्रत्येक 12 वर्ष अथवा लग्नानुसार विश्व की सबसे लंबे पैदल यात्रा श्री नंदा राजजात यात्रा का प्रमुख केन्द्र के साथ ही प्रत्येक वर्ष भादों मास में आयोजित होने वाली श्री नंदा लोक जात यात्रा का आगाज इस ब्लाक के नंदा सिद्धपीठ कुरूड़ से होता है। सिद्धपीठ के कारण ही प्रति वर्ष हजारों की संख्या में यहां पर देवी भक्तों का आना जाना लगा रहता हैं। एक तरह से पूरा घाट प्रखंड धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन उचित यातायात सुविधा के अभाव में स्थानीय निवासियों के साथ ही यहां आने वाले देवी भक्तों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं।
1962 में बनी सड़क आज है बदहाल
ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से मात्र 19 किमी मीटर सड़क की स्थिति आज भी बदहाल बनी हुई है। 55 ग्राम पंचायतों वाले घाट ब्लाक मुख्यालय तक 1962 में सड़क का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। तब से इस में थोड़ा बहुत सुधार के अलावा बहुत कुछ अधिक नहीं हुआ हैं। दशकों से भूस्खलन, बाढ़, सड़क कटाव सहित तमाम अन्य दिक्कतों के चलते इस सड़क की स्थिति बद से बद्तर हो गई हैं।
लंबे समय से क्षेत्र की जनता उठा रही चौड़ीकरण की मांग
पिछले लंबे समय से घाट क्षेत्र की जनता बिना किसी राजनीतिक पैंतरेबाजी के एकजुटता से नंदप्रयाग-घाट 19 किमी मोटर सड़क को चौड़ा करने के साथ ही इसके सुधारीकरण एवं डामरीकरण की मांग विभिन्न मंचों से उठाती आ रही है। आज दिन तक उनके अरमान परवान नही चढ़ पाएं हैं।
सीएम ने की थी घोषणा, धरातल पर नहीं हुए काम
बताया जा रहा हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के 14 अगस्त 2017 को पुलिस लाईन गोपेश्वर में ही इस सड़क के चौड़ीकरण एवं डामरीकरण की घोषणा की थी। इस पर 14 सितंबर 2017 को ही 1 करोड़ 28 लाख 44 हजार रुपयों की वित्तीय स्वीकृत के अलावा 15 अक्टूबर 2018 को इस सड़क को डेढ़ लेन बनाने की भी स्वीकृति देने की बात कागजों में की गई। अब तक धरातल पर कुछ भी दिखाई नही पड़ रहा है।
चार दिसंबर से शुरू किया गया आंदोलन
तमाम मंचों पर इस सड़क की स्थिति के संबंध में मांग उठाए जाने के बावजूद जब किसी भी स्तर पर जनता की मांग नहीं सुनी गई तो 4 दिसंबर 2020 से क्षेत्रीय जनता ने व्यापार संघ घाट व टैक्सी यूनियन घाट के सहयोग से ब्लाक मुख्यालय घाट में आंदोलन शुरू कर दिया था। जो कि रविवार को भी जारी रहा। आंदोलन के 38 दिन बीतने के बावजूद क्षेत्रीय जनता की एक सूत्रीय मांग पूरी नही होने पर अब क्षेत्रीय जनता में आक्रोश बढ़ने लगा है। 10 जनवरी को मानव श्रृंखला का आंदोलन इसी की अभिव्यक्ति रहा है। पूरे प्रखंड के 55 ग्राम सभाओं के लोगो की इस मानव श्रृंखला के लिए एकजुटता ने आज साफ तौर सरकार को ये संदेश दे दिया है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में उसे भारी पड़ सकता है।
चमोली जिले से नवीन कठैत की रिपोर्ट।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।