जेपी पांडे का उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में अविस्मरणीय योगदानः धीरेंद्र प्रताप

उन्होंने जेपी पांडे को हरिद्वार छोड़ो आंदोलन का नायक बताया। कहा कि जिस वक्त बहुत से लोग हरिद्वार को उत्तराखंड में जोड़ने का विरोध कर रहे थे, तब जेपी पांडे ने उनकी (धीरेंद्र प्रताप) राय का समर्थन किया और बढ़-चढ़कर हरिद्वार जोड़ो आंदोलन में भाग लिया। धीरेंद्र प्रताप ने कहा यदि वह संघर्ष नहीं करते तो हरिद्वार का उत्तराखंड में जोड़ना मुश्किल था। आज हरिद्वार भारत का सबसे बड़ा धार्मिक केंद्र है और उत्तराखंड के एक औद्योगिक और धार्मिक क्षेत्र में के रूप में पूरे दुनिया में उसकी एक विशिष्ट पहचान है। और वह उत्तराखंड का मुख्य प्रवेश द्वार बन गया है।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण, उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण को बनाए जाने, आंदोलनकारियों के लिए 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण सहित कई महत्वपूर्ण सवालों को लेकर उन्होंने जोरदार संघर्ष किया। आजीवन उत्तराखंड के नवनिर्माण में लगे रहे। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि हरिद्वार मैं उनके नाम से एक सड़क मार्ग का नाम जेपी पांडे मार्ग रखा गया, परंतु आज तक हरिद्वार नगर निगम उनके नाम का पत्थर वहां नहीं लगा सका।
उन्होंने जेपी पांडे की एक आदमकद प्रतिमा रोशनाबाद जिला मुख्यालय में लगाए जाने की मांग की। कहा कि जब गैरसैंण में स्थाई राजधानी बन जाएगी और यदि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो वह गैरसैंण विधानसभा में जेपी पांडे की प्रतिमा लगाने की मांग करेंगे। इस मौके पर उन्होंने भाजपा के राज में मातृशक्ति पर हो रहे हमलों पर चिंता व्यक्त की। कहा कि उत्तराखंड को पर्यटन के नाम पर थाईलैंड नहीं बनने दिया जाएगा।
इस मौके पर संजय चोपड़ा, प्रदेश समिति के सचिव विजय भंडारी, हरिद्वार नगर निकाय के अध्यक्ष सुरेंद्र सैनी, स्वर्गीय जेपी पांडे की धर्मपत्नी कमला पांडे, उनकी पुत्री पूजा शर्मा, आंदोलनकारी रविंद्र भट्ट, भगवान जोशी, जेपी माला, कोटी समिति के केंद्रीय प्रवक्ता हाफिज अल्वी, विनोद डंडरियाल, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के सचिव जितेंद्र गौड़, दिल्ली गाडगे सेना के अध्यक्ष लखन कुमार, दिवाकर समेत अनेक लोगों ने स्वर्गीय जेपी पांडे को याद करते हुए उनके सपनों के अनुरूप उत्तराखंड बनाए जाने का संकल्प लिया।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।