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February 7, 2025

उत्तराखंड में यूसीसी के खिलाफ यूकेडी निकालेगी यात्रा, सरकार पर वापस लेने का बनाया जाएगा दबाव

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के विरोध में उत्तराखंड क्रांति दल ने भी प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू करने का निर्णय किया है। इसके विरोध में 10 फरवरी से हरिद्वार के गुरुकुल नारसन से पदयात्रा शुरू की जाएगी। ये यात्रा चमोली जिले के नीति मलारी गाँव तक होगी। इसका समापन 18 फरवरी को होगा। आज देहरादून में उत्तरांचल प्रेस क्लब के सभागार में यूकेडी नेताओं ने प्रेस वार्ता में इसकी जानकारी दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यूकेडी के युवा प्रकोष्ठ के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष एवं यात्रा के संयोजक राजेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि हम राज्य की जनता से आह्वान करना चाहते हैं कि राज्य की संस्कृति को बचाने के लिए, मूल निवास के लिए, अपने क्षेत्रीय दल की ओर से आयोजित गुरुकुल नारसन से नीति मलारी गाँव तक की इस यात्रा में शामिल होकर इस काले कानून के विरोध में अपना अमूल्य योगदान दें। ताकि भविष्य में होने वाले इसके दुष्परिणाम को रोका जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि राज्य के मूल निवासियों ने जिस प्रकार से राज्य निर्माण के लिए अपने संघर्षो से 42 से अधिक शहादत दी है। इसके पश्चात उतराखंड राज्य का निर्माण किया गया। राज्य आंदोलनकारियों ने राज्य के सुख, समृद्धि, संपन्नता के सपनें देखे थे। वह लडाई सिर्फ राज्य निर्माण के लिए नहीं थी, अपितु अपनी संस्कृति, अपने सामाजिक, भौगोलिक ताने बाने को जोड़े रखने के लिए एक संघर्ष था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि आज धामी सरकार यूसीसी जैसे काले कानून को थोपकर राज्य के मूल निवासियों की मूल निवास की लड़ाई को खत्म करना चाहती है। साथ ही लिव इन रिलेशनशिप जैसे पाश्चात्य संस्कृति को वैध ठहरा कर यहाँ के युवाओं को नैतिक पतन की ओर लेकर जा रही है। यह राज्य के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि प्रदेश में मूल निवास और भू कानून के लिये चल रहे जन आंदोलन के मध्य मुख्यमन्त्री धामी ने 27 जनवरी 2025 को प्रदेश में समान नागरिक संहिता कानून (UCC) लागू कर दिया। इससे पहले भी राज्य स्थापना दिवस 09 नवम्बर 2024 को सीएम धामी ने यह कानून प्रदेश में लागू करने की घोषणा की थी, लेकिन उस समय उक्रांद की मूल निवास 1950 एवं सशक्त भू कानून के लिए आयोजित ताण्डव रैली और उक्रांद के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय त्रिवेन्द्र सिंह पँवार की ओर से इस कानून के ख़िलाफ़ 48 घण्टे के उपवास के बाद सीएम धामी ने इस काले कानून को लागू करने से अपने हाथ पीछे खींच लिये थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि कुछ माह पूर्व एक दुर्घटना में त्रिवेंद्र पँवार की मौत हुई और सीएम धामी ने प्रदेश में चल रहे राष्ट्रीय खेलों के अवसर पर देहरादून पहुँचे पीएम मोदी के आगे उत्तराखंड को यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनाने वाला रिपोर्ट कार्ड पेश कर अपने नम्बर बढ़ाने का प्रयास किया। साथ ही राज्य को एक बड़े खतरे की ओर धकेल दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में जो यूसीसी लागू किया। इसमें साल भर लिव इन रिलेशन में रहने वाले और प्रदेश में नौकरी या कारोबार करने वाले बाहरी प्रदेश के लोगों या देशी-विदेशी जोड़ों को सामाजिक रूप से अनैतिक संबंधों के माध्यम से स्वयं और अपनी संतानों को प्रदेश का स्थायी निवासी बना दिया जाएगा। उन्हें उत्तराखंड के मूल निवासी, स्थायी निवासी के समकक्ष भूमि और संपत्ति के साथ-साथ,स्थायी निवासी की तरह रोजगार और अन्य सभी अधिकारों का हक़दार भी बना दिया है। इससे भविष्य में राज्य के युवाओं के रोजगार पर भी बाहरी राज्यो से आने वालो को समान अधिकार प्राप्त होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यूकेडी के केंद्रीय महामंत्री बृज मोहन सजवाण ने कहा कि यूसीसी कानून में किसी भी धर्म विशेष के व्यक्ति को विशेषकर हिन्दू लड़की से लिव इन रिलेशन न रखने की कोई बाध्यता नहीं है। इसका मतलब ये है कि प्रदेश भाजपा सरकार द्वारा बड़े हिन्दू वोट बैंक पर सेंधमारी करने के लिये लव जिहाद, लैंड जिहाद, थूक जिहाद, मजारों और मस्जिदों को तुड़वाना भी सामाजिक वैमनस्य पैदा करने के अलावा और कुछ नहीं था। लिव इन रिलेशन में रजिस्ट्रेशन के बाद अनैतिक संबंधों को, मोरल व सोशल पुलिसिंग को ठेंगा दिखाते हुये, पुलिस और कानून का भी संरक्षण प्राप्त होगा। आप चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर पाओगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सामाजिक रूप से अवैध संबंधों से जन्मे बच्चों को भी प्रदेश के स्थायी निवासी का दर्जा देकर यहां के मूल निवासी की भूमि खरीद-फ़रोख़्त के अधिकार पर अतिक्रमण करने का उक्रांद विरोध करता आया है। धामी सरकार ने इस कानून में कोई भी संसोधन किये बग़ैर ही प्रदेश की जनता को बरगलाकर यूसीसी लागू किया है। जो कि धर्म विशेष के ख़िलाफ़ है और प्रदेश की जनता के हित में नहीं है। इस मूल निवास और भू-कानून के विशेषाधिकार की खिलाफत करने वाले कानून को जबरन प्रदेश की जनता के ऊपर थोप दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यूकेडी के केंद्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश उपाध्याय ने कहा सीएम धामी इसे अपनी उपलब्धि बता रहे हैं, जबकि इस कानून की खामियों के चलते देश के किसी भी राज्य की सरकार ने इस कानून को लागू करने की अभी तक हामी नहीं भरी है। वाज़िब सवाल ये भी है कि अगर वाक़ई ये सभी धर्म के नागरिकों को समान अधिकार देने वाला कानून है, तो इसे सिर्फ़ उत्तराखण्ड पर ही लागू क्यों किया गया। पूरे देश की जनता पर क्यों नहीं? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि सवाल ये भी कि अगर देश की सम्पूर्ण जनता को एक ही कानून के दायरे में लाना सम्भव होता, तो फ़िर भारत के संविधान में आरक्षण, पाँचवी अनुसूची, छटवीं अनुसूची जैसे नागरिकों को विशेषाधिकार देने वाले प्रावधान क्यों? प्रदेश में यूसीसी कानून लागू होने का मतलब ये भी है कि अब प्रदेश में मूल निवास व्यवस्था और शशक्त भू कानून लागू नहीं होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि इस काले कानून के खिलाफ राज्य निर्माता दल उत्तराखंड क्रान्ति दल उत्तराखंड को अनैतिक संबंधों से स्थायी निवासी पैदा करने की फैक्ट्री रोकने के लिये आंदोलन और हाईकोर्ट की शरण लेने की रणनीति बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रेस वार्ता में दिनेश नेगी, आशुतोष नेगी, भोला प्रसाद चमोली, परवीन चंद रमोला, मनीष रावत, प्रकाश भट्ट, निषित मनराल, सुमित डंगवाल, के एल शाह, जितेंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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