यूकेडी ने लगाया आरोप, विधानसभा में अयोग्य को बना दिया प्रोटोकॉल अधिकारी, हटाने की मांग को लेकर अध्यक्ष को दिया ज्ञापन

उत्तराखंड क्रांति दल ने आरोप लगाया कि विधानसभा में ऐसे व्यक्ति को प्रोटोकॉल अधिकारी बना दिया गया है, जो ना तो शैक्षणिक दृष्टि से योग्य है और ना ही राजपत्रित अधिकारी बनने के लिए अन्य अहर्ताएं पूर्ण करता है। यूकेडी के युवा प्रकोष्ठ के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बिष्ट के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने उक्त अधिकारी को हटाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष रितु भूषण खंडूड़ी को संबोधित ज्ञापन उनके जन संपर्क अधिकारी अशोक शाह को सौंपा। इसमें कहा गया कि विधानसभा में अवैध रूप से लगे प्रोटोकॉल अधिकारी मयंक सिंघल को तत्काल हटाया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि विधानसभा में अवैध शैक्षणिक दस्तावेजों के माध्यम से प्रथम श्रेणी राजपत्रित अधिकारी पद पर मयंक सिंघल को तैनाती दी गयी है। मयंक सिंघल वर्ष 2006 में उप प्रोटोकॉल अधिकारी के रूप में विधानसभा में तदर्थ रूप से नियुक्त किए गए। विधानसभा सचिवालय सेवा नियम के अनुसार उप प्रोटोकॉल अधिकारी पद पर नियुक्ति के लिए स्नातक उपाधिधारण होना आवश्यक आर्हता है। अब मयंक सिंघल विधानसभा में कार्यरत हैं तथा लगातार पदोन्नति प्राप्त करते हुए राजपत्रित अधिकारी प्रथम श्रेणी पद पर आसीन हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजेंद्र सिंह बिष्ट के मुताबिक, सूचना के अधिकार से जब मयंक सिंघल के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच की जाती है तो गुरुकुल विश्वविद्यालय वृन्दावन, मथुरा से उन्हें दसवी अधिकारी परीक्षा व्यक्तिगत उतीर्ण दर्शाया गया है। वहीं, उतराखंड एसआईटी ने वर्ष 2012 से 2016 तक नियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच की थी। इसमें यह तथ्य भी एसआईटी जाँच के दौरान प्रकाश में आया कि गुरुकुल वृन्दावन, मथुरा से दसवी अधिकारी परीक्षा व्यक्तिगत माध्यम से नहीं कराई जाती है। एसआईटी ने जाँच रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय को भेज दी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से सूचना के अधिकार के तहत सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश ने भी स्पष्ट किया कि गुरुकुल विश्वविद्यालय वृन्दावन, मथुरा की 12 वी पंडित परीक्षा माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की इंटरमीडिएट परीक्षा के समकक्ष ना तो पूर्व में मान्य थी और ना ही वर्तमान में मान्य है। इस प्रकार 12 वी पंडित परीक्षा कभी भी मान्य नहीं रही है। इसके साथ ही जब दसवी तथा इंटरमिडिएट के प्रमाणपत्रों की जांच की गयी तो इंटरमीडिएट का प्रमाण पत्र 10वी के प्रमाण पत्र से पहले जारी किया हुआ दर्शाता है। यह अपने आप में राज्य सरकार द्वारा पोषित अब तक के सबसे बड़े नियुक्ति घोटाले की पोल खोलता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यूकेडी के केंद्रीय महामंत्री बृज मोहन सजवाण ने कहा कि विधानसभा में 2016 के भर्ती घोटाले की जाँच के लिए 2022 में विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी ने एक जाँच समिति का गठन किया था। इसका कार्य विधानसभा सचिवालय में विधि एवं सेवा नियमों के विरुद्ध कार्मिकों, अधिकारियों की नियुक्ति, पदोन्नति के संबंध में जाँच करना था, लेकिन समिति ने खानापूर्ति करते हुए 2015 के बाद की नियुक्ति को रद्द किया। वहीं, मयंक सिंघल उप प्रोटोकॉल अधिकारी से पदोन्नति होकर प्रोटोकॉल अधिकारी प्रथम श्रेणी पद तक पहुँच गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उप प्रोटोकॉल अधिकारी समूह ग की श्रेणी में आता है, वहीं उत्तर प्रदेश से उतराखंड की विधानसभा में इस अधिकारी का नाम उतराखंड के कौन से रोजगार कार्यालय में पंजीकृत हुआ, यह भी सोचनीय विषय है। क्योंकि समूह ग के पदों के लिए सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण तथा स्थानीय निवासी होना अनिवार्य है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि प्रश्न यह भी उठता है कि जब मयंक सिंघल के 10वीं तथा 12वीं के प्रमाणपत्र ही संदिग्ध हैं, तो उन्हें स्नातक में किस आधार पर दाखिला दिया गया। शैक्षिक दस्तावेज अमान्य होने के कारण स्पष्ट होता है कि मयंक सिंघल ने कूटरचित तरीके से अंकतालिका बनायी है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से इस मामले की जांच कर तत्काल कारवाई कर जालसाजी में मुकदमा दर्ज करने की मांग की। साथ ही अभी तक दी गईसभी सुविधाओ तथा वेतन को वसूलने की भी मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि यदि इस मामले में एक सप्ताह के भीतर कड़ी कारवाई नहीं की जाती हैक, तो उक्रांद उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा। साथ ही कानूनी रूप से इस लडाई को लड़ेगा। परवीन चंद रमोला ने कहा कि एक तरफ सरकार उतराखंड में नौकरियों पर रोक लगा कर युवाओं का मानसिक शोषण कर रही है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की अवैध नियुक्तियां कर रही है। प्रतिनिधिमंडल में दल के केंद्रीय उपाध्यक्ष जय प्रकाश उपाध्याय, केंद्रीय महामंत्री किरन रावत, भोला दत्त चमोली, मनीष रावत, अनूप बिष्ट, मनोज कण्डवाल, निषित मनराल आदि भी शामिल रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।