उद्धव ठाकरे को सुप्रीम कोर्ट से जगी उम्मीद, चुनाव आयोग के खिलाफ याचिका पर कल होगी सुनवाई
शिवसेना का चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे गुट को देने के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। सुप्रीम कोर्ट भी उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ याचिका पर बुधवार 22 फरवरी को 3.30 बजे सुनवाई होगी। उद्धव ठाकरे की ओर से कपिल सिब्बल ने याचिका पर बुधवार को ही सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर कोई संरक्षण आदेश पारित नहीं किया गया, तो बैंक खाते समेत टेक ओवर हो जाएंगे। इस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बुधवार शाम 3.30 बजे इस मामले पर सुनवाई करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उद्धव ठाकरे गुट ने अपनी याचिका में कहा है कि चुनाव आयोग की भूमिका निष्पक्ष नहीं रही है। चुनाव आयोग का कार्य व्यवहार उसके संवैधानिक कद के अनुरूप नहीं रहा। आयोग ने अयोग्यता की कार्रवाई का सामना कर रहे विधायकों की दलीलों के आधार पर फैसला लेकर गलती की है। पार्टी में टूट की बात के सबूत की गैरमौजूदगी में आयोग का फैसला त्रुटिपूर्ण है। उद्धव गुट चुनाव आयोग के फैसले पर तत्काल रोक लगाने की मांग कर रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उधर, शनिवार को शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट मे कैविएट दाखिल कर मांग कर दी है कि बिना उसका पक्ष सुने कोई एकतरफा फैसला ना लिया जाए। दरअसल, शुक्रवार को केन्द्रीय चुनाव आयोग ने अपने फैसले में शिवसेना पार्टी और चुनाव चिह्न शिंदे गुट को इस्तेमाल की इजाजत दे दी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, उद्धव ठाकरे गुट की याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने 1999 के संविधान पर विचार किया, जबकि 2018 का संशोधित संविधान लागू था। उन्हें 2018 के संविधान को रिकॉर्ड पर रखने के लिए अधिक समय नहीं दिया गया था। 2018 के संशोधित संविधान के अनुसार, शिवसेना प्रमुख पार्टी में सर्वोच्च प्राधिकारी होंगे, जो किसी भी पद पर नियुक्तियों को रोक सकते हैं, हटा सकते हैं या रद्द कर सकते हैं। उनके निर्णय सभी पार्टी मामलों पर अंतिम हैं। वहीं, 1999 के संविधान के अनुसार, पार्टी प्रमुख के पास खुद से पदाधिकारियों को मनोनीत करने की शक्ति नहीं थी।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।