उत्तराखंड में आज लागू हो जाएगा यूसीसी, ऐसा करने वाला देश का बनेगा पहला राज्य, सीएम धामी करेंगे पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण

उत्तराखंड में आज समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के पोर्टल और नियमावली के लोकार्पण के साथ ही उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। ढाई साल की तैयारियों के बाद आज राज्य में यूसीसी लागू हो रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज मुख्य सेवक सदन में यूसीसी के पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण करेंगे। इसके लिए शासन स्तर से तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं। गृह सचिव की ओर से शनिवार को इसके संबंध में पत्र भी जारी कर दिया गया था। इसी के साथ समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा। हालांकि, समान नागरिक संहिता में असमानता ये है कि जनजातियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। ऐसे में इसे पूरी तरह से समान नागरिक संहिता कहना कितना सही है, ये विशेषज्ञ ही बता सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री धामी ने शनिवार शाम जारी एक बयान में कहा था कि यूसीसी लागू करने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, जिसमें अधिनियम की नियमावली को मंजूरी और संबंधित अधिकारियों का प्रशिक्षण शामिल है। उन्होंने कहा कि यूसीसी से समाज में एकरूपता आएगी और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और दायित्व सुनिश्चित होंगे। धामी ने कहा कि यूसीसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है। समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीएम धामी ने चुनावों के दौरान किया था वादा
उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करना 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा किए गए प्रमुख वादों में से एक था। मार्च में दोबारा सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में यूसीसी प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए उसका मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन पर मुहर लगा दी गयी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गठित की गई थी समिति
उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में 27 मई 2022 को विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी, जिसने लगभग डेढ़ वर्ष में विभिन्न वर्गों से बातचीत के आधार पर चार खंडों में तैयार अपनी विस्तृत रिपोर्ट दो फरवरी 2024 को राज्य सरकार को सौंपी। रिपोर्ट के आधार पर सात फरवरी 2024 को राज्य विधानसभा के विशेष सत्र में यूसीसी विधेयक पारित कर दिया गया और उसके एक माह बाद 12 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने भी उसे अपनी मंजूरी दे दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हाल ही में नियमावली को मंत्रिमंडल ने दी थी मंजूरी
यूसीसी अधिनियम बनने के बाद पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में गठित की गयी एक समिति ने इसके क्रियान्वयन के लिए नियमावली तैयार की। जिसे हाल ही में राज्य मंत्रिमंडल ने भी मंजूरी दी थी। असम सहित देश के कई राज्य उत्तराखंड के यूसीसी अधिनियम को एक मॉडल के रूप में अपनाने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मॉक ड्रिल में समस्याओं को किया गया दूर
शुक्रवार को हुई मॉक ड्रिल में पहले आई समस्याओं को दूर कर लिया गया। अब यह पोर्टल आम नागरिकों और अधिकारियों के प्रयोग के लिए पूरी तरह से तैयार है। आज 27 जनवरी की दोपहर 12.30 बजे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसका लोकार्पण करेंगे। इसके साथ ही यूसीसी की नियमावली का भी लोकार्पण किया जाएगा। इसके बाद से विवाह, तलाक, लिव इन, लिव इन से अलग होना, विरासत आदि के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिए जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह होगा बदलाव
-यूसीसी के लागू होने के बाद शादी का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। हर ग्राम सभा लेवल पर भी रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।
-किसी भी जाति, धर्म या संप्रदाय का व्यक्ति हो, उसके लिए तलाक का एक समान कानून होगा। फिलहाल देश में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के जरिए करते हैं।
-इसके अलावा सूबे में बहुविवाह पर रोक लगेगी। लड़कियों की शादी की उम्र चाहे वह किसी भी जाति-धर्म की हो, एक समान होगी। यानी कि लड़की की शादी की उम्र 18 साल होगी।
-यूसीसी के लागू होने के बाद सभी धर्मों में बच्चों को गोद लेने का अधिकार मिलेगा। हालांकि दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा।
-यूसीसी के लागू होने के बाद उत्तराखंड में हलाला जैसी प्रथा भी बंद हो जाएगी। वहीं उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर की हिस्सेदारी होगी।
-उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराना कपल के लिए अनिवार्य होगा। अगर कपल 18 से 21 साल के हैं तो उन्हें रजिस्ट्रेशन के दौरान अपने माता-पिता का सहमति पत्र भी देना होगा।
-यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशन से पैदा होने वाले बच्चे को भी शादीशुदा जोड़े के बच्चे की तरह ही अधिकार मिलेगा।
-यूनिफॉर्म सिविल कोड के नियम-कानून से शेड्यूल ट्राइब को पू्र्ण रूप से बाहर रखा गया है। इसके अलावा ट्रांसजेंडर और धार्मिक मामलों जैसे पूजा-पद्धति व परंपराओं से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।