छात्र एवं युवा कवि नवीन गौड़ की दो कविताएं-बदलता पहाड़, ऐ जिंदगी तू क्या-क्या रंग दिखाती है

बदलता पहाड़
सदियों की कहानी वो पनघट का।
बदलती जवानी बदलती कहानी।
खिलती हवाएँ और मिलती दुआएँ।
लम्बी सी रातें और चूल्हे पर बातें।
संस्कृति पुरानी और यादें लुभानी।
बदलती जवानी बदलती कहानी।
बीतता है बचपन बीतत गई जवानी।
सावन की रातें हल्की बरसातें।
त्यौहारों की रौनक पकवानों की खुशबू।
भक्ति के सागर में निष्ठा ओर आरजू।
फूलों की खुशबू में भौरों के गीत।
भोली सी सूरत में पशुओं से प्रीत।
भूल रहा पहाड़ अपनी ये रीत।
सदियों की कहानी वो पनघट का पानी।
बदलती जवानी और बदलती कहानी।
ऐ, जिंदगी तू क्या-क्या रंग दिखाती है।
कभी मन भर हँसाती हैं, पल भर में ही रुलाती है।
ऐ, जिंदगी तू क्या-क्या रंग दिखाती है।
कभी खूब सपने दिखाती हैं,पल भर मे ठुकराती है।
उदास कभी थे जो चेहरे, कभी उम्मीद उन्हें दिखाती है।
ऐ ,जिंदगी तू क्या-क्या रंग दिखाती है।
कभी अपना दर्द,कभी अपनो का दर्द तू बार-बार बताती है।
जिम्मेदारी का हर एहसास ,तू हर पल याद दिलाती है।
ऐ, जिंदगी तू क्या-क्या रंग दिखाती है।
मेरे धैर्य, शील स्वभाव में, आग सी लगा देती है।
बिखरे हुए मेरे सपनो में ,पंख तू लगा देती हैं।
ऐ ,जिंदगी तू ,क्या-क्या रंग दिखाती है।
कवि का परिचय
नाम-नवीन गौड़ (रिंकेश)
निवासी- नन्दा धाम (कुरूड़)
विकासखंड घाट, जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड।
शिक्षा-श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय गोपेश्वर चमोली में बीए द्वितीय वर्ष के छात्र।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।