छात्र एवं युवा कवि नवीन गौड़ की दो कविताएं- हां एक फूल हूं मैं, कर्तव्य प्रदान

हाँ एक फूल हूँ मैं।
नाजुक कलियों में खिलता हूँ।
हर रंग में मिलता हूँ।
कभी गर्मी,कभी सर्दी से लडता हूँ।
ओर हर मौसम में मिलता हूँ।
जमाना मुझे कुछ भी कह ले।
पर अपनी सुगंध से चलता हूँ।
कुछ पल के जीवन में ।
मैं हर किसी से मिलता हूँ।
कोई कल्पना में निहारता हैं।
कोई दिल में उतारता हैं।
क्षण भर के भोग के लिए।
अपनी पहचान खोता हूँ।
हर धर्म में मिलता हूँ।
हर तीर्थ में रहता हूँ।
हाँ एक फूल हूँ मैं।
जाति धर्म को छोडकर।
सरलता से रहता हूँ।
कभी काँटो में खिलता हूँ।
कभी दुआओं में मिलता हूँ।
हाँ एक फूल हूँ मैं।
कर्तव्य प्रदान
आज खुशियाँ होगी तेरे शहर मे
हर गली महौल्ला झुमेगा।
घर-घर प्रेम की ज्योत जलेगी
आँगन -आँगन गूंजेगा।
आज रात भी सुवाहनी होगी
प्रियतमा भी सजी होगी।
कोई प्यार से दीप जलायेगा
कोई आश मे गीत गायेगा।
जग-मन जीवन को देख
आज चाँद भी शर्मायेगा।
मै ठेरा पिंजरे का पंक्षी
भाव से दीप जलाऊँगा।
दूर खडा अम्बर को देख
अरमानो से सेतु बनाऊँगा।
कल्पना पर पंख लगाऊँगा
भाव भर कर लाऊँगा।
कवि का परिचय
नाम-नवीन गौड़ (रिंकेश)
निवासी- नन्दा धाम (कुरूड़)
विकासखंड घाट, जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड।
शिक्षा-श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय गोपेश्वर चमोली में बीए द्वितीय वर्ष के छात्र।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।