सुप्रीम कोर्ट के दो अहम फैसलेः संरक्षित वनों और पार्कों के एक किमी दायरे में खनन व निर्माण की रोक, पूरी हेरिटेज को हरी झंडी
सुप्रीम कोर्ट ने दो अहम फैसले सुनाए हैं। इनमें पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि देशभर के संरक्षित वनों, वन्यजीव अभयारण्यों और नेशनल पार्कों के आसपास एक किमी का पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) होगा।

प्रत्येक राज्य के मुख्य वन संरक्षक ESZ के तहत मौजूदा संरचनाओं की एक सूची तैयार करेंगे और 3 महीने की अवधि के भीतर सुप्रीम कोर्ट को सौंपेंगे। वन्यजीव अभयारण्यों और नेशनल पार्कों के ESZ में किसी भी तरह माइनिंग की इजाजत नहीं दी जाएगी। इस किसी भी उद्देश्य के लिए कोई नई स्थायी संरचना की अनुमति नहीं दी जाएगी। देशभर में ESZ और उसके आसपास गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किए। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच का फैसला है। टीएन गोदावरमन मामले में संरक्षित वनों और नेशनल पार्कों को लेकर अर्जियों पर फैसला सुनाया।
पुरी हेरिटेज कॉरिडोर के निर्माण कार्य को हरी झंडी
ओडिशा में जगन्नाथ मंदिर के आसपास राज्य सरकार के पुरी हेरिटेज कॉरिडोर के निर्माण कार्य को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दी। साथ ही निर्माण कार्य के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं पर एक- एक लाख का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाओं में कोई मेरिट नहीं है। श्राइन में आने वाले लाखों लोगों के फायदे के लिए निर्माण जरूरी है। ये निर्माण कोर्ट के तीन जजों के फैसले के अनुरूप है और बड़े जनहित के लिए है। मालूम हो कि गुरुवार को ही मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।
बता दें कि मामले में सुप्रीम कोर्ट को तय करना था कि मंदिर के आसपास पुरी हेरिटेज कॉरिडोर के निर्माण को हरी झंडी दी जाए या नहीं। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने फैसला सुनाया है। साथ ही कोर्ट ने PIL के गिरते स्तर को लेकर भी चिंता जाहिर की। दोनों जस्टिस ने कहा कि इस याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए इतना हंगामा हुआ। ऐसा माहौल बनाया गया कि बात नहीं सुनी गई तो आसमान गिर जाएगा। हाल के दिनों में मशरूम की तरह ऐसी याचिकाओं में बढ़ोतरी हुई है, जो पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन हैं।
कोर्ट ने कहा कि हम इस तरह की PIL दाखिल करने की प्रथा की निंदा करते हैं। यह न्यायिक समय की बर्बादी है और इसे शुरू में ही समाप्त करने की आवश्यकता है ताकि विकास कार्य ठप न हो। क्या भक्तों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने से राज्य को वंचित किया जा सकता है? उत्तर जोरदार तरीके से नहीं है। इससे पहले उड़ीसा हाईकोर्ट ने निर्माण और खुदाई के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया था।
निर्माण कार्य बंद कर जांच का आदेश दे
बता दें कि कल सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश महालक्ष्मी पवनी ने कहा था कि श्री जगन्नाथ मंदिर परिक्रमा के भीतर निषिद्ध क्षेत्र में अवैध निर्माण किया जा रहा है। कोर्ट फौरन इसे मोस्ट अर्जेंट मानते हुए निर्माण कार्य बंद कर इसकी जांच का आदेश दे। कोर्ट इस महत्वपूर्ण स्मारक के संरक्षण, सुरक्षा और देखभाल सुनिश्चित करने का आदेश दे। ये अद्भुत शिल्पकला वाला मंदिर ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के साथ-साथ करोड़ों श्रद्धालुओं की भावना से भी जुड़ा है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।