Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 6, 2025

साहित्यकार एवं रंगकर्मी मदन मोहन डुकलान की दो गढ़वाली कविताएं

साहित्यकार एवं रंगकर्मी मदन मोहन डुकलान की दो गढ़वाली कविता।

भारि सगत ……नखरु बगत…..

कोरोना

कनि या मो मार कार आज
उजाडी दी घर बार आज

काम व्योपार खै गे कन
चाटि गे सब रुज़्गार आज

कनि चैल पैल रैंद छै यख
बंजे दी सब बज़ार आज

दिन बार मैंना घुळी गे सब
गळे दी सब त्योहार आज

इनि अग्वारि बि नि छे या दुन्या
बिगाडी गे कन अंद्वार आज

यक्ल्वांस

बगत यो कनो सगत आइ
लाचार मन्खयू दैसत ह्वाइ

भैर रिटणी चौछवाडी मौत
भितरी भितर असंद आइ

दगुडु जो निभाणु दूर रैकी
दग्ड्या बस वी पसंद आई

घरबासे इन्नि यक्ल्वांस मा
बस ख्याल तेरो फगत आइ

दुन्यान बिगाडे दुन्याकि सूरत
अब सबक सिखाणा कुदरत आइ

कवि का परिचय
नाम- मदन मोहन डुकलान
मदन मोहन डुकलान कवि, साहित्यकार के साथ ही रंगकर्मी भी हैं। वह देहरादून निवासी हैं। वह गढ़वाली कविता का पोस्टर चिट्ठी भी पिछले कई साल से निरंतर प्रकाशित कर रहे हैं।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “साहित्यकार एवं रंगकर्मी मदन मोहन डुकलान की दो गढ़वाली कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *